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Nagaenthran Dharmalingam: कौन है वो भारतीय मूल का मलेशियाई, जिसे सिंगापुर में हुई फांसी, जांघ में बांध रखी थी हेरोइन

Nagaenthran Dharmalingam: भारतीय मूल के मलेशियाई नागरिक नागेंद्रन धर्मांलिंगम को 2009 में हेरोइन के साथ पकड़ा गया था. उनके मामले की सुनवाई अदालतों में 13 साल तक चली. 27 अप्रैल को उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया.

नागेंद्रन धर्मांलिंगम को 27 अप्रैल को फांसी पर चढ़ा दिया गया. (फाइल फोटो-AP/PTI) नागेंद्रन धर्मांलिंगम को 27 अप्रैल को फांसी पर चढ़ा दिया गया. (फाइल फोटो-AP/PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 2:54 PM IST
  • अप्रैल 2009 में गिरफ्तार हुए था धर्मांलिंगम
  • नवंबर 2010 में मिली थी फांसी की सजा
  • मानसिक रूप से बीमार थे धर्मांलिंगम

Nagaenthran Dharmalingam: सिंगापुर में नागेंद्रन धर्मालिंगम को फांसी दिए जाने पर विरोध शुरू हो गया. नागेंद्रन भारतीय मूल के थे और मलेशिया में जन्मे थे. उन्हें 2009 में ड्रग्स केस में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के 13 साल बाद उन्हें बुधवार को फांसी पर चढ़ा दिया गया. नागेंद्रन मानसिक रूप से कमजोर थे और उनका आईक्यू लेवल सिर्फ 69 था. 34 साल के नागेंद्रन को नवंबर 2010 में फांसी की सजा सुनाई गई थी.

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नागेंद्रन धर्मांलिंगम का जन्म 13 सितंबर 1988 को मलेशिया की राजधानी इपोह में हुआ था. उनके दो छोटे भाई और एक बड़ी बहन हैं. उनकी मां ने उनकी फांसी की सजा को बदलने के लिए तमाम अदालतों के चक्कर काटे, लेकिन सिंगापुर की हर कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी.

धर्मांलिगम के पास से 42.72 ग्राम हेरोइन बरामद हुई थी. सिंगापुर में 15 ग्राम से ज्यादा हेरोइन के साथ पकड़े जाने पर फांसी की सजा का प्रावधान है. 

धर्मांलिंगम की फांसी की सजा का सिंगापुर में भारी विरोध हुआ था. (फाइल फोटो-PTI)

कैसे पकड़े गए थे धर्मांलिंगम?

22 अप्रैल 2009 को धर्मांलिंगम मलेशिया से सिंगापुर आए थे. तब उनकी उम्र 21 साल थी. उनकी जांघ पर हेरोइन के बंडल बंधे हुए थे. इसकी मात्रा 42.72 ग्राम थी. उन्हें चेकप्वॉइंट पर पकड़ लिया गया था. धर्मांलिंगम के साथ उनके एक और साथी कुमारसेन को भी गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया.

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पूछताछ में धर्मांलिंगम ने ड्रग्स लेकर आने की बात कबूल की थी. हालांकि, उसका ये भी दावा था कि उसे उसके चीनी दोस्त ने फंसाया है. उसे वो 'किंग' कहता था. धर्मांलिंगम का कहना था कि उसे धमकी दी गई थी कि अगर उसने ये काम नहीं किया तो उसकी गर्लफ्रेंड को मार देंगे. साथ ही उसने ये भी बताया था कि उसके पिता की हार्ट सर्जरी और अपना कर्जा उतारने के लिए उसे पैसों की जरूरत थी, इसलिए उसने ये किया.  

धर्मांलिंगम को ड्रग्स तस्करी करने का दोषी पाया गया. सिंगापुर की हाईकोर्ट ने उन्हें 22 नवंबर 2010 को फांसी की सजा सुनाई. हाईकोर्ट के जज ने उनकी उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि ये सब करने के लिए उनपर दबाव बनाया गया था. 27 जुलाई 2011 को हाईकोर्ट की तीन जजों की बेंच ने भी उनकी अपील को खारिज कर दिया.

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अदालतों के दरवाए खटखटाए, लेकिन नहीं टली फांसी

हाईकोर्ट से फांसी की सजा मिलने के बाद धर्मांलिंगम और उनकी मां ने तमाम अदालतों के दरवाजे खटखटाए. धर्मांलिंगम ने सिंगापुर के राष्ट्रपति हालीमा याकोब के सामने दया याचिका दायर करते हुए उनकी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की अपील की, लेकिन यहां भी उनकी अर्जी ठुकरा दी गई.

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सारी अपीलें खारिज होने के बाद पिछले साल अक्टूबर में धर्मांलिंगम का डेथ वारंट जारी हुआ. उनके परिवार को बताया गया कि उन्हें 26 अक्टूबर को फांसी दी जाएगी. बाद में मामला फिर अदालत में चला गया. इसी साल 20 अप्रैल को उनका दूसरा डेथ वॉरंट जारी हुआ और 27 अप्रैल को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया.

धर्मांलिंगम की फांसी रुकवाने के लिए लोग सड़कों पर उतर आए थे. (फाइल फोटो-AP/PTI)

ड्रग्स तस्कर को फांसी मिलने का विरोध क्यों?

ड्रग्स को लेकर दुनिया में सबसे सख्त कानून सिंगापुर में ही है. यहां 15 ग्राम से ज्यादा हेरोइन मिलने पर फांसी की सजा का प्रावधान है. इसी वजह से धर्मांलिंगम को फांसी की सजा हुई. लेकिन धर्मांलिंगम की फांसी की सजा का विरोध भी हुआ. फांसी पर चढ़ाए जाने के बाद भी विरोध हो रहा है.

इस फांसी के विरोध की वजह ये है कि धर्मांलिंगम मानसिक रूप से बीमार थे. डॉक्टरों ने बताया था कि उनका आईक्यू सिर्फ 69 है और इंटरनेशनल स्टैंडर्ड में इसे मानसिक विकलांगता माना जाता है. हालांकि, कोर्ट का कहना है कि धर्मांलिंगम को पता था कि वो क्या कर रहे हैं और इसी कारण उन्हें फांसी की सजा दी गई. 

धर्मांलिंगम की फांसी की सजा को रुकवाने के लिए हजारों लोगों ने एक पिटीशन पर साइन की थी. लोगों का कहना था कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत मानसिक रूप से कमजोर लोगों को फांसी नहीं दी जा सकती. हालांकि, सरकार ने और कोर्ट ने इस पर ध्यान नहीं दिया. फांसी के बाद सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि धर्मांलिंगम ने अपने सारी कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल किया था.

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