
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सप्ताह के आखिर (27-28 अप्रैल) में चीन के वुहान शहर में होने वाले अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात करेंगे. इस मीटिंग में दोनों नेताओं के बीच भारत-चीन से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी. हालांकि, इस मीटिंग में न कोई समझौता होगा और न ही कोई साझा बयान जारी किया जाएगा. जानिए भारत की वो चिंताएं जिसपर इस मीटिंग में हो सकती है चर्चा...
1. सीमा विवाद
मोदी और जिनपिंग की मीटिंग में भारत-चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद पर भी चर्चा हो सकती है. दोनों नेता डोकलाम विवाद को लेकर भी चर्चा कर सकते हैं. बता दें, चीन की ओर से डोकलाम में सड़क निर्माण की कोशिशों के बीच ये विवाद जारी हुआ था. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था.
2. व्यापार असंतुलन
इस मीटिंग में दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर भी चर्चा हो सकती है. इसमें व्यापार असंतुलन का मुद्दा अहम होगा. बता दें, चीन भारत के मार्केट पर काफी हद तक कब्जा जमाए हुए हैं. इतना भारत की ओर से चीन के मार्केट के लिए नहीं किया गया. इसी व्यापारिक असंतुलन पर दोनों देशों के नेता चर्चा कर सकते हैं.
3. PoK में चीन के दखल पर चर्चा
हाल के दिनों में देखने में आया है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में चीन का दखल बढ़ रहा है. ऐसी भी जानकारी है कि पाकिस्तान इस इलाके की सीमा के पास चीन की सहायता से सड़क निर्माण में लगा है. ऐसे में भारत के लिए ये चिंता का विषय बना हुआ है. इन दोनों नेताओं की मीटिंग में इस मुद्दे पर भी चर्चा हो सकती है.
4. आतंकी मसूद अजहर
चीन मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कराने की भारत की कोशिशों में अड़ंगा लगाता रहा है. ऐसे में इस मीटिंग में मसूद अजहर पर भी चर्चा हो सकती है. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि जैश-ए- मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से पाबंदी लगाए जाने जैसे मुद्दे इस मीटिंग में नहीं उठने चाहिए. क्योंकि शिखर वार्ता ऐसा मंच नहीं है जहां मसूद के बारे में बात की जाए. लेकिन भारत के लिए ये भी चिंता का विषय बना हुआ है.
5. ब्रह्मपुत्र नदी पर हाइड्रोपावर परियोजना
इसके अलावा भारत और चीन के बीच ब्रह्मपुत्र नदी पर हाइड्रोपावर परियोजना को लेकर भी चर्चा हो सकती है. सिर्फ सुरक्षा ही नहीं, चीन की इस परियोजना को लेकर पर्यावरणीय चिन्ताएं भी बनी हुई है. इसके अलावा भी भारत की कई चिंताएं हैं जिसको लेकर दोनों देशों के बीच बात हो सकती है.
मीटिंग में नहीं होगा कोई समझौता
बता दें, चीन के उप विदेश मंत्री कोंग जुआनयू ने बयान जारी कर कहा, 'शिखर सम्मेलन भारत-चीन संबंधों को नए सिरे से स्थापित करने पर केंद्रित नहीं है. दोनों पक्ष किसी समझौते पर हस्ताक्षर न करने या कोई संयुक्त दस्तावेज जारी न करने, लेकिन लंबित मुद्दों के समाधान के लिए अहम सहमति पर पहुंचने के लिए सहमत हुए हैं.'