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नासा ने रचा इतिहास, मंगल की सतह पर उतरा रोबोटिक ‘इनसाइट लेंडर’

सात मिनट तक पूरी दुनिया के वैज्ञानिक दम साधे इस पूरी प्रक्रिया को लाइव देखते रहे. जैसे ही इनसाइट ने मंगल की सतह को छुआ, सभी वैज्ञानिक खुशी से झूमने लगे.

नासा का रोबोटिक 'मार्स इनसाइट लेंडर' नासा का रोबोटिक 'मार्स इनसाइट लेंडर'
राहुल विश्वकर्मा
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  • 27 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 10:15 AM IST

मंगल ग्रह की गुत्थियां सुलझाने के लिए नासा का रोबोटिक 'मार्स इनसाइट लेंडर' सोमवार की रात सफलतापूर्वक लाल ग्रह पर लैंड कर गया. ‘इनसाइट’ मंगल ग्रह की आंतरिक संरचना पृथ्वी से कितनी अलग है, इसका पता लगाएगा. 

‘इनसाइट’ की मंगल पर लैंडिंग की पूरी प्रक्रिया सात मिनट तक चली. भारतीय समयानुसार सोमवार रात 1.24 बजे ‘इनसाइट’ ने मंगल की सतह पर उतरा. सात मिनट तक पूरी दुनिया के वैज्ञानिक दम साधे इस पूरी प्रक्रिया को लाइव देखते रहे. जैसे ही ‘इनसाइट’ ने मंगल की सतह को छुआ, सभी वैज्ञानिक खुशी से झूमने लगे. नासा के प्रशासक जिम ब्राइडेंस्टाइन ने इनसाइट के टचडाउन का ऐलान करते ही सभी को बधाई दी.

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नासा ने ‘इनसाइट’ की लैंडिंग लाइव दिखाई. मंगल की कक्षा में पहुंचने के समय ‘इनसाइट’ की स्पीड 19800 किलोमीटर की थी, जो लैंडिंग के वक्त घटकर 8 किलोमीटर प्रतिघंटा की रह गई. ‘इनसाइट’ का ये मिशन मंगल करीब 7044 करोड़ रुपये का था.

6 महीने में 48.2 करोड़ किलोमीटर की यात्रा पूरी कर इनसाइट मंगल की सतह पर उतरा.  नासा के मुताबिक इनसाइट नामक यह यान एक पैराशूट और ब्रेकिंग इंजन की मदद से रफ्तार को धीमा किये जाने के बाद उतरा. मंगल से पृथ्वी की दूरी लगभग 16 करोड़ किलोमीटर है और अंतरिक्षयान के बारे में रेडियो सिग्नल से मिल रही जानकारी यहां तक आने में आठ मिनट से ज्यादा का समय लग रहा है. 1976 के बाद से नासा ने नौवीं बार मंगल पर पहुंचने का यह प्रयास किया. अमेरिका के पिछले प्रयास को छोड़कर बाकी सभी सफल रहे.

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इसी साल 5 मई को नासा ने कैलिफोर्निया के वंडेनबर्ग एयरफोर्स स्टेशन से एटलस वी रॉकेट के जरिए लांच किया था. इससे पहले 2012 में मंगल पर पहला यान क्यूरोसिटी भेजा गया था. उस मिशन में मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी के बारे में पता किया गया. वहीं इस बार ‘इनसाइट’ मंगल की आंतरिक संरचना के बारे में पता करेगा. यान के मंगल की धरती पर उतरते ही दो वर्षीय मिशन शुरू हो गया है. इनसाइट मंगल ग्रह के अंदर होने वाली हलचल के बारे में पता लगाएगा.

‘इनसाइट’ के रवाना होने के साथ ही दो मिनी सेटेलाइट भी इसके पीछे चलती रहीं, जो हर पल अपडेट देती रहीं. पृथ्वी से तुलना करें तो मंगल का भार एक तिहाई और घनत्व 30% से कम है. इनसाइट मंगल पर भूकंपीय हलचल यानि सिस्मिक वेव के बारे में पता लगाएगा.

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