
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहे हैं. पहले सत्ता छिनी और अब इलेक्शन कमीशन ने 5 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी. इमरान पर बेहद संगीन आरोप हैं कि उन्होंने अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान मिलने वाले बेशकीमती तोहफों की गलत जानकारी दी. बाद में बेहद सस्ते दामों में उन्हें 'तोशाखाने' से खरीद लिया और फिर इंटरनेशनल मार्केट में बेच दिया. तोहफों की कीमत करीब 14 करोड़ रुपए थी, जिन्हें इमरान ने 2.15 करोड़ रु. में खरीद कर 5.8 करोड़ रु. में बेच दिया.
पाकिस्तान में जब तक इमरान खान की सरकार रही, तब तक ये मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा. लेकिन उनकी सत्ता जाने के बाद 'तोशाखाने का जिन्न' बोतल से निकलकर बाहर आ गया. पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक इमरान खान को अपने पीएम कार्यकाल के दौरान एक ग्राफ घड़ी, 4 रोलेक्स घड़ियां, एक अंगूठी, कफलिंक का एक सेट, एक अंगूठी और एक पेन समेत 58 गिफ्ट मिले थे.
तोशाखाने में फर्जीवाड़े का यह कोई पहला अनोखा केस नहीं है. इससे पहले पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, युसूफ रजा गिलानी और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी पर भी इस तरह के आरोप लग चुके हैं. पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान 1997 में उन्हें सऊदी अरब सरकार की तरफ से मर्सिडीज कार तोहफे में मिली थी. 2008 में तब के प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी ने यह लग्जरी कार नवाज शरीफ को महज 6 लाख रु. के बदले दे दी. इसे उदाहरण की तरह पेश करके आसिफ अली जरदारी ने ऐसे ही 3 कारें खरीद लीं.
क्या कहता है नियम?
ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक तोहफे में मिला 4 लाख रु. की कीमत तक का कोई भी सामान प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति अपने पास रख सकता है, लेकिन इससे ज्यादा कीमत का सामान रखने की अनुमति बिल्कुल भी नहीं है. नवाज शरीफ और आसिफ अली जरदारी के लग्जरी मर्सिडीज कार को अपने पास रखने के फैसले को पाकिस्तान की जांच एजेंसी नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (NAB) ने गैर कानूनी बताया था.
क्या इमरान ने मानी गलती?
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान इस बात को मानते हैं कि उन्होंने विदेश से मिले गिफ्ट बेचें हैं, लेकिन वो इसे गलती या अपराध नहीं मानते हैं. जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक इमरान खान ने एक बार कहा था कि उन्होंने जो भी सामान बेचे, वो उन्हें गिफ्ट के तौर पर मिले थे. ये तोहफे उन्हें निजी तौर पर दिए गए थे, इसलिए इन पर उनका अधिकार था. इमरान ने कहा था कि तोशाखाना से गिफ्ट बेचने का आरोप आधारहीन है, क्योंकि उन्होंने तोशाखाना से जो सामान खरीदा है, वह रिकॉर्ड में दर्ज है. इमरान ने कहा था कि एक देश के राष्ट्रपति ने मेरे घर गिफ्ट भिजवाए थे, मैंने उन्हें तोशाखाने में जमा करा दिए थे. बाद में ये गिफ्ट उसकी मूल लागत से पचास फीसदी की दर पर उन्होंने ही खरीद लिए.