
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद नागरिकों को जान का खतरा लगातार सता रहा है. सार्वजनिक रूप से खुद को गे बताने वाले अफगानिस्तान के पहले शख्स नेमत सादत ने भी इस पर चिंता जाहिर की है. नेमत सादत भले ही वर्षों पहले अफगान छोड़ चुके हैं. लेकिन अफगान में मौजूद अपने जैसे लोगों के लिए वह चिंतित हैं. अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में गे एक्टिविस्ट नेमत सादत ने कहा है कि अफगान में LGBTQ समुदाय को जान का खतरा है.
नेमत सादत फिलहाल अमेरिका में रहते हैं और लेखक के रूप में भी काम करते हैं. अफगान में सार्वजनिक रूप से खुद को गे बताने वाले वह पहले शख्स थे. ताबिलान के कब्जे के बाद अब नेमत सादत लगातार वहां फंसे LGBTQ समुदाय के लोगों को निकालने की कोशिशों में लगे हैं.
टीचर की नौकरी से निकाले गए थे नेमत सादत
जानकारी के मुताबिक, नेमत सादत ने साल 2013 में अफगानिस्तान छोड़ा था. तब उन्हें गे होने की वजह से काबुल में मौजूद अमेरिकन यूनिवर्सिटी से टीचर की नौकरी से निकाल दिया गया था. इंटरव्यू में नेमत सादत ने बताया है कि पिछले 20 सालों से अफगान के LGBTQ को कानूनी अधिकारों से वंचित रखा गया है और डर है कि जैसे ही अफगान से बचाव दल की आखिरी फ्लाइट निकलेगी उसके बाद LGBTQ समुदाय के लोगों को ढूंढकर उनके साथ पता नहीं क्या सलूक किया जाएगा.
सादत ने बताया कि अहमदुल्लाह नाम का एक शख्स जिसके पिता-छोटे भाई को तालिबान ने पहले ही मार दिया था, उसके ब्वॉयफ्रेंड की जान भी अब तालिबान ने ले ली है. वह बोले, 'अहमदुल्लाह ने अपने ब्वॉयफ्रेंड को घर जाने के लिए कहा था, लेकिन वह नहीं माना. बाद में अहमदुल्लाह को किसी से पता चला कि तालिबानियों ने उसका सिर कलम कर दिया है क्योंकि उन्हें शक हो गया था कि वह होमोसेक्सुअल है.'
एक्टिविस्ट के मुताबिक, अफगान में LGBTQ समुदाय के लोग फिलहाल डरकर छिप गए हैं और वह किसी पर विश्वास नहीं कर पा रहे. अफगान में LGBTQ की फिलहाल क्या स्थिति है? इस पर नेमत सादत दावा करते हैं कि अफगानिस्तान में करीब 4 मिलियन लोग LGBTQ समुदाय के होंगे. नेमत ने कहा कि तालिबान के आने से पहले हामिद करजई और अशरफ गनी की सरकार ने भी उनको कोई कानूनी अधिकार नहीं दिया था.
अब नेमत की कोशिश रहेगी कि LGBTQ समुदाय के 1000 अफगानियों को किसी तरह एयरलिफ्ट करके यूएस, कनाडा, यूके आदि में सेटल किया जाए. इनके शरणार्थी वीजा के लिए सादत कोशिशों में लगे हैं.