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नेपाल में मुश्किल में आई 'प्रचंड' सरकार? RPP के 4 मंत्रियों ने इस्तीफा सौंपा

नेपाल में 275 सदस्यीय सदन में आरपीपी की 14 सीटें हैं और प्रतिनिधि सभा में पांचवीं सबसे बड़ी पार्टी है. सीपीएन (माओवादी केंद्र) के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री प्रचंड की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए नेपाली कांग्रेस के नेता रामचंद्र पौडेल का समर्थन करने से सत्तारूढ़ गठबंधन को बड़ा झटका लगा है.

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड'. (फाइल फोटो) नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड'. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • काठमांडू,
  • 26 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 5:42 AM IST

राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) के अध्यक्ष और उप प्रधानमंत्री राजेंद्र लिंगडेन समेत चार मंत्रियों ने शनिवार को प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. राष्ट्रपति पद के लिए नेपाली कांग्रेस के नेता रामचंद्र पौडेल की उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-माओवादी केंद्र, जनता समाजवादी पार्टी और सीपीएन (एकीकृत समाजवादी) पार्टी समेत आठ दलों का नया गठबंधन बना है, जिसके बाद RPP ने सरकार से हटने का फैसला किया है. 

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हालांकि, RPP ने आधिकारिक तौर पर सरकार से अपना समर्थन वापस नहीं लिया है. लेकिन अगर पार्टी समर्थन वापस लेती है तो नेपाल सरकार पर संकट आ सकता है. मंत्रिमंडल में आरपीपी के नेता लिंगडेन के पास ऊर्जा, जल संसाधन और सिंचाई मंत्रालय था. जबकि उपाध्यक्ष बिक्रम पांडे के पास शहरी विकास मंत्रालय और नेता ध्रुव बहादुर प्रधान के पास कानून, न्याय और संसदीय कार्य मंत्रालय था. इसी तरह, दीपक बहादुर सिंह ऊर्जा राज्यमंत्री थे.

RPP की नेपाल में 14 सीटें, पांचवी बड़ी पार्टी

बताते चलें कि नेपाल में 275 सदस्यीय सदन में आरपीपी की 14 सीटें हैं और प्रतिनिधि सभा में पांचवीं सबसे बड़ी पार्टी है. सीपीएन (माओवादी केंद्र) के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री प्रचंड की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए नेपाली कांग्रेस के नेता रामचंद्र पौडेल का समर्थन करने से सत्तारूढ़ गठबंधन को बड़ा झटका लगा है. 

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गठबंधन के भविष्य पर मंडराया संकट

बताते चलें कि नेपाल के प्रधानमंत्री ने गठबंधन के उम्मीदवार के बजाय विपक्षी नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार रामचंद्र पौडयाल को समर्थन देने का ऐलान किया है. ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव ने सत्तारूढ़ गठबंधन के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है. नेपाल में राष्ट्रपति के पद का कार्यकाल चुनाव की तारीख से पांच वर्ष का होगा और एक व्यक्ति को केवल दो कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति पद के लिए चुना जा सकता है.

 

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