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नेपाल की सीमा में चीन ने किया अतिक्रमण! अब जांच के लिए बनेगी हाई लेवल कमेटी

नेपाल सरकार ने पहली बार माना है कि चीन के साथ उसका सीमा विवाद है. नेपाल सरकार ने इस मामले की जांच के लिए हाई लेवल कमेटी के गठन करने का निर्णय लिया है.

Sher Bahadur Deuba Sher Bahadur Deuba
सुजीत झा
  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 3:55 PM IST
  • कैबिनेट बैठक में लिया गया फैसला
  • समिति गृह मंत्रालय को सौंपेगी रिपोर्ट

चीन की नजर अब नेपाल पर भी है. सितंबर 2020 में पहली बार खबर सामने आई थी कि पड़ोसी देश चीन नेपाल के हुमला जिले के लिमी इलाकों में अतिक्रमण करने में जुट गया है. हालांकि उस दौरान ये विवाद सिर्फ सुर्खियां बनकर रह गया, लेकिन अब नेपाल सरकार ने पहली बार माना है कि चीन के साथ उसका सीमा विवाद है. नेपाल सरकार ने इस मामले की जांच के लिए हाई लेवल कमेटी के गठन करने का निर्णय लिया है. 

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कैबिनेट बैठक में हुआ फैसला 
चीन की सीमा से सटे नेपाल के इलाकों में सबकुछ सही नहीं चल रहा है. नेपाल सरकार ने हिमालयी जिले हुमला में चीन के साथ सीमा विवाद का डीटेल अधय्यन करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करने का फैसला किया है. नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस समिति के गठन के लिए मंजूरी दी गई. नेपाल गृह मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बनने वाली इस कमेटी में नेपाल के चारों सुरक्षा निकाय के प्रतिनिधि को रखे जाने का निर्णय किया गया है.

गृह मंत्रालय को सीधे सौंपी जाएगी रिपोर्ट 
सरकार के प्रवक्ता ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने कहा कि 'कमेटी नेपाल-चीन सीमा से जुड़ी लिमी लपचा से लेकर हुमला जिले के नमखा ग्रामीण नगरपालिका के हिल्सा तक की समस्याओं का अध्ययन करेगी.' नई समिति में सर्वेक्षण विभाग, नेपाल पुलिस, सशस्त्र पुलिस और सीमा विशेषज्ञों के अधिकारी शामिल होंगे. इस उच्च स्तरीय कमेटी का गठन गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव के समन्वय के तहत किया जाएगा.  कार्की ने कहा कि समिति गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपेगी. हालांकि समिति को रिपोर्ट जमा करने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है.

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पिछले साल आई थीं अतिक्रमण की खबरें 
बता दें चीन ने कथित तौर पर नेपाली भूमि पर अतिक्रमण किया और पिछले साल हुमला में नौ इमारतें बनाई थीं. मुख्य जिला अधिकारी के नेतृत्व में साइट पर अध्ययन करने के लिए एक टीम गठित की गई थी, हालांकि रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने नेपाल के क्षेत्र में चीन के अतिक्रमण की खबरों को खारिज कर दिया था. 


 

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