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नेपाल सरकार का दावा- लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी उसके अभिन्न अंग, निर्माण रोके भारत

नेपाल की यह प्रतिक्रिया, भारतीय दूतावास के उस बयान के बाद आई, जिसमें कहा गया कि नेपाल के साथ अपनी सीमा पर भारत की स्थिति स्पष्ट है. इसकी सूचना नेपाल सरकार को दे दी गई है.

नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा
aajtak.in
  • काठमांडू,
  • 17 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:20 AM IST
  • नेपाल की भारत से अपील- इन क्षेत्रों में सभी निर्माण कार्य रोके जाएं
  • भारतीय दूतावास के बयान के बाद आई नेपाल की प्रतिक्रिया

नेपाल सरकार ने रविवार को एक बार फिर दावा किया है कि लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी उसके अभिन्न अंग हैं. इतना ही नहीं नेपाल ने भारत से अपील की है कि इन क्षेत्रों में सभी निर्माण कार्य रोके जाएं. हालांकि, नेपाल ने साथ ही ये भी कहा है कि वह बॉर्डर विवाद को राजनयिक स्तर पर सुलझाना चाहता है. 

नेपाल की यह प्रतिक्रिया भारतीय दूतावास के उस बयान के बाद आई, जिसमें कहा गया कि नेपाल के साथ अपनी सीमा पर भारत की स्थिति स्पष्ट है. इसकी सूचना नेपाल सरकार को दे दी गई है. बयान में कहा गया है कि पारस्परिक रूप से सहमत सीमा मुद्दे जो बकाया हैं उन्हें हमेशा हमारे घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों से हल किया जा सकता है. 
 
नेपाल के आईटी मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की, जो सरकार में प्रवक्ता भी हैं. उन्होंने कहा, सरकार इस तथ्य के बारे में दृढ़ और स्पष्ट है कि महाकली नदी के पूर्व में लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी क्षेत्र नेपाल का एक अभिन्न अंग है. 
  
ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में बताते हुए कहा, नेपाल सरकार भारत सरकार से नेपाली क्षेत्र से गुजरने वाली किसी भी सड़क के निर्माण और विस्तार जैसे सभी एकतरफा कदमों को रोकने की अपील करती है. 
 
कार्की ने कहा, नेपाल की सरकार दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संधि, समझौतों, दस्तावेजों और मानचित्रों के आधार पर और नेपाल और भारत के बीच घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंधों की भावना  बॉर्डर विवाद को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है. 

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कार्की का बयान ऐसे वक्त पर आया, जब भारत द्वारा लिपुलेख में सड़क बनाने का नेपाल में विरोध हो रहा है. नेपाल की सत्ताधारी कांग्रेस ने शुक्रवार को बयान जारी कर, रोड के निर्माण का विरोध किया. 
 
सत्ताधारी पार्टी ने कहा,  कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा नेपाली क्षेत्र में हैं. पार्टी ने भारत से कालापानी क्षेत्र में तैनात अपने सैनिकों को तुरंत वापस लेने और ऐतिहासिक तथ्यों और सबूतों के आधार पर उच्च स्तरीय बातचीत के माध्यम से सीमा विवाद को हल करे. 
 
लिपुलेख दर्रा कालापानी के पास है, जो नेपाल और भारत की सीमा पर है. भारत और नेपाल दोनों कालापानी को अपने अधिकार क्षेत्र में अभिन्न अंग बताते हैं. भारत उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के हिस्से के रूप में इसे दिखाता है वहीं, नेपाल धारचूला जिले का इसे हिस्सा बनाता है.

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