Advertisement

नेपाल: पीएम केपी ओली की शपथ को बताया गया था अवैध, SC ने सुनाया ये फैसला

शुक्रवार को हुए शपथ ग्रहण समारोह में केपी ओली ने शपथ लेने के दौरान 'ईश्वर' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने जब ईश्वर, देश और लोगों का जिक्र किया तो उनकी बातों को दोहराते हुए केपी ओली ने ईश्वर शब्द का इस्तेमाल नहीं किया.

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ( फोटो पीटीआई) प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ( फोटो पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 मई 2021,
  • अपडेटेड 12:16 AM IST
  • पीएम केपी ओली की शपथ को लेकर बवाल
  • शपथ के दौरान ईश्वर शब्द का इस्तेमाल नहीं किया

नेपाल में राजनीतिक हलचल पिछले कई महीनों से काफी ज्यादा देखने को मिल रही है. एक तरफ प्रधानमंत्री केपी ओली का अपनी ही पार्टी संग तल्ख रिश्ता चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ उनकी पीएम की कुर्सी भी लगातार खतरे में आती दिख रही है. अब शुक्रवार को केपी शर्मा ओली ने तीसरी बार बतौर नेपाल के प्रधानमंत्री शपथ ली थी. लेकिन वहां भी एक ऐसा विवाद खड़ा हुआ कि उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चार-चार याचिकाएं दायर कर दी गईं.

Advertisement

दरअसल शुक्रवार को हुए शपथ समारोह में केपी ओली ने शपथ लेने के दौरान 'ईश्वर' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने जब ईश्वर, देश और लोगों का जिक्र किया तो उनकी बातों को दोहराते हुए केपी ओली ने ईश्वर शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. राष्ट्रपति की तरफ से दो बार ईश्वर शब्द का इस्तेमाल हुआ लेकिन पीएम ने एक बार भी उसको नहीं बोला. लोगों की नजर में ये राष्ट्रपति और उनके पद का अपमान था. इसी वजह से उनके उस शपथ को ही अवैध बता दिया गया और मांग की गई कि उन्हें दोबारा शपथ दिलवाई जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है?

अब इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केपी ओली को राहत दी गई है. कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अभी के लिए वो इस मामले में कोई भी अंतरिम आदेश जारी नहीं करने जा रहे हैं. दायर की गई याचिका में ये एक बड़ी मांग थी जिसे कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया है. वैसे ये जरूर है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के ऑफिस को 15 के अंदर इस विवाद पर लिखित जवाब देना होगा. इसके बाद ही कोई फैसला सुनाया जाएगा. ऐसे में अभी के लिए केपी ओली को राहत मिली है, लेकिन 15 दिन बाद जो फैसला सुनाया जाएगा, वो मायने रखेगा.

Advertisement

किसने जताया था विरोध?

बता दें कि कोर्ट में चंद्रकांता ग्यावली, लोकेंद्र ओली और केशर जंग द्वारा एक संयुक्त रिट याचिका दायर की गई थी, वहीं राज कुमार सुवाल, नवराज और संतोष भंडारी द्वारा अलग-अलग रिट याचिका दायर की गई थीं, ऐसे में एक केस में कुल चार याचिकाएं कोर्ट के पास आई थीं. याचिका के जरिए ये भी अपील की गई थी कि सरकार बकायदा एक संघीय कानून बनाए जहां पर शपथ लेने की भी पूरी प्रक्रिया बताई जाए. वहीं संवैधानिक आधार पर 7 मंत्रियों का भी इस्तीफा मांगा गया. लेकिन अभी के लिए इन मुद्दों पर कोर्ट ने कोई फैसला नहीं सुनाया है और केपी ओली को राहत दे दी गई है.


 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement