Advertisement

...तो पाकिस्तान-श्रीलंका जैसा हो जाएगा एक और देश, रिसर्च में किया आगाह

रिसर्च में कहा गया है कि चीन अपनी इस बेल्ट एंड रोड परियोजना के जरिए कर्ज कूटनीति को कर्ज जाल कूटनीति में तब्दील कर सकता है, जिसके जरिए वह विकासशील देशों को इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के जरिए फंड मुहैया कराता है, चीन धीरे-धीरे इन देशों को कर्ज में जाल में फंसा देता है और फिर उन देशों की सरकारों को प्रभावित करता है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:22 PM IST

भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और श्रीलंका कर्ज के जाल में फंसकर की बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं. ऐसा ही डर नेपाल को लेकर भी जताया जा रहा है कि उसे कर्ज जाल की डिप्लोमेसी से बचकर रहना चाहिए. अगर नेपाल चौकस नहीं रहता है तो उसकी भी हालत श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी हो सकती है.

पिछले साल नेपाल के पोखरा में हुई विमान दुर्घटना के बाद वहां का अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा चर्चा में आ गया था. इस एयरपोर्ट का निर्माण चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना के तहत किया गया था. 

Advertisement

एक रिसर्च में कहा गया है कि चीन अपनी इस बेल्ट एंड रोड परियोजना के जरिए कर्ज कूटनीति को कर्ज जाल कूटनीति में तब्दील कर सकता है, जिसके जरिए वह विकासशील देशों को इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के जरिए फंड मुहैया कराता है, चीन धीरे-धीरे इन देशों को कर्ज में जाल में फंसा देता है और फिर उन देशों की सरकारों को प्रभावित करता है.

पोखरा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के अलावा नेपाल ने काठमांडू में दो और बड़ी परियोजाओं को पूरा किया है, जिनमें एक गौतम बुद्ध अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और दूसरा चोभर ड्राई पोर्ट है. लेकिन इनमें से किसी भी परियोजना का सफल संचालन नहीं हुआ. अगर किसी परियोजना की बिजनेस स्ट्रैटेजी प्रभावी नहीं है और उसके निर्माण में तमाम तरह की अड़चने हैं तो इससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बहुत नकारात्मक संदेश जाता है.

इसलिए इस तरह के प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाने या इन परियोजनाओं के लिए पैसा उधार लेने के लिए बहुत अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है. नेपाल के सामने जोखिम यह है कि जब उसे इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भारी निवेश की जरूरत है तो उस पर राष्ट्रीय कर्ज बहुत बढ़ सकता है. 

Advertisement

ऐसी स्थिति में बिना सटीक कैलकुलेशन के पैसे खर्च करना कर्जे को और बढ़ा सकता है. जोखिम यह है कि देश का राष्ट्रीय ऋण उस समय बहुत अधिक हो सकता है, जब नेपाल को बुनियादी ढांचे में बड़े निवेश की जरूरत हो. 2022-2023 के लिए नेपाल सरकार को आंतरिक कर्ज के तौर पर लगभग दो अरब डॉलर जुटाने की मंजूरी है.

देश में बाहरी कर्ज पर लगाम लगाने का यह फैसला ऐसे समय में सामने आया है, जब श्रीलंका समेत कई देश कर्ज संकट का सामना कर रहे हैं. ऐसे में नेपाली अधिकारी चीन से कर्ज लेने में खासी सतर्कता बरत रहे हैं और बीजिंग से ‘बेल्ट एंड रोड’ परियोजना के तहत परियोजनाओं के लिए कर्ज के बजाय ग्रांट का अनुरोध कर रहे हैं.

नेपाल की आय का मुख्य स्रोत इंपोर्ट ड्यूटी है, जिसका मतलब है कि वह विकास कार्यों के लिए कर्ज लेने को मजबूर हो सकता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement