
नेपाल की सत्ताधारी पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में सियासी संकट और अधिक गहराता जा रहा है. प्रधानमंत्री केपी ओली के खिलाफ गोलबंद हुए नेता जहां इस बार ओली के झांसे में नहीं आ रहे हैं वहीं दूसरी ओर ओली भी अपने विरोधी खेमे की मांग को दरकिनार करते हुए पार्टी की बैठक बुलाने को अभी तक तैयार नहीं हुए हैं.
पार्टी के दो गुटों में विभाजित होने के बाद एक-दूसरे खेमे के नेताओं और सांसदों को मनाने की कोशिश जारी है. प्रचंड से पार्टी विभाजन पर तू-तू मैं-मैं होने के बाद प्रधानमंत्री ओली अपने पक्ष में बहुमत बनाए रखने के लिए प्रचंड खेमे में रहे नेताओं से लगातार बैठकें कर रहे हैं. तो दूसरी ओर प्रचंड भी अपने खेमे में अधिक से अधिक सांसदों को रखने की कोशिश कर रहे हैं.
प्रचंड खेमे के द्वारा ओली को पार्टी की बैठक बुलाने के लिए जो 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया है, वह आज पूरा होने जा रहा है. पार्टी में ओली विरोधी नेताओं का कहना है कि अगर आज शाम तक पीएम ने बैठक नहीं बुलाई तो उनके खिलाफ संसदीय दल में अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी है. इस बीच दोनों ही खेमा अपने पक्ष में अधिक से अधिक सांसदों का हस्ताक्षर कराने में व्यस्त है.
इस वजह से फिर आमने-सामने हुए दोनों नेता
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ गया है. बताया जा रहा है कि ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि पहले तय हुआ था कि आगे से सभी फैसले आपसी परामर्श के बाद ही लिए जाएंगे लेकिन पीएम ओली की तरफ से ऐसा नहीं किया जा रहा था. दहल गुट ने पीएम ओली पर एकतरफा फैसले लेने के आरोप लगाए हैं.
देखें: आजतक LIVE TV
न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक ओली और दहल ने शनिवार (31 अक्टूबर) को पार्टी की बैठक बुलाई थी इसी दौरान दोनों नेताओं के बीच आपसी तनाव बढ़ गया. इसके बाद दोनों ही नेताओं ने अपने-अपने गुट की अलग-अलग बैठक बुलाई थी. खबर में दावा किया गया है कि दहल ने रविवार शाम (1 नवंबर) को बुलाई अपनी मीटिंग में आए लोगों को पार्टी के टूटने की संभावनाओं से अवगत कराया था.