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नेपाल में एक बार फिर प्रचंड की नैया पार, तीन महीने में दूसरी बार विश्वास मत जीता

नेपाल में एक बार फिर प्रचंड की नैया पार हो गई है. उन्होंने तीन महीने में दूसरी बार विश्वास मत जीत लिया है. नेपाल की संसद में पिछली बार 275 में 273 यानी कि 99.27 प्रतिशत सांसदों का समर्थन मिला था. लेकिन इस बार प्रचंड को 172 सांसदों का ही समर्थन मिला.

प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल 'प्रचण्ड' प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल 'प्रचण्ड'
सुजीत झा
  • पटना,
  • 20 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 8:21 PM IST

नेपाल की राजनीति में पिछले दिनों हुए उठापटक के बीच तीन महीने में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल 'प्रचंड' को दूसरी बार संसद में विश्वास का मत लेना पडा. नेपाल में दो महीने में ही सत्ता गठबन्धन में आए बदलाव के बाद संवैधानिक बाध्यता की वजह से एक बार फिर पीएम को इस अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा और वे इसमें पास भी हो गए हैं. 

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सियासी परीक्षा में प्रचंड फिर हुए पास

नेपाल की संसद में पिछली बार 275 में 273 यानी कि 99.27 प्रतिशत सांसदों का समर्थन मिला था. लेकिन इस बार प्रचंड को 172 सांसदों का ही समर्थन मिला. तीन महीने पहले के पी ओली के साथ वाम गठबन्धन बनाकर सरकार गठन करने वाले प्रचंड ने दो महीने में ही के पी ओली की पार्टी को सत्ता गठबन्धन से बाहर कर दिया. इस बार वाम लोकतांत्रिक गठबन्धन में नेपाली कांग्रेस सहित कई अन्य दलों का समर्थन मिला है.

विश्वास का मत रखते हुए प्रचंड ने कहा कि मजबूरी में उन्होंने तीसरे महीने में दूसरी बार संसद में अपना बहुमत साबित करना पड रहा है. ओली के साथ सत्ता साझेदार करने के बाद से ही उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वो इस गबन्धन में कम्फर्टेबल हैं. आज संसद में बोलते हुए प्रचंड ने कहा कि पिछली बार विश्वास मत वाले दिन ही उन्होंने ओली के साथ और आगे नहीं चलने का मन बना लिया था.

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ओली के द्वारा असंवैधानिक तरीके से किए गए संसद विघटन को अब तक जायज ठहराने, नेपाल में लोकतंत्र, गणतंत्र और संघीयता विरोधी ताकतों से सांठगांठ करने से संशकित होने की बात भी प्रचंड ने अपने भाषण में कही.

ओली का प्रचंड पर हमला

जवाब में ओली ने प्रचंड को एक अविश्वासी, अस्थिर चरित्र का नेता बताया. ओली ने प्रचंड पर आरोप लगाते हुए कहा कि मैंने उन्हें प्रधानमंत्री बनने का ऑफर नहीं दिया था बल्कि वो खुद मेरे पास चल कर समर्थन मांगने आए थे. ओली ने माओवादी का यह गठबन्धन दो महीने से अधिक नहीं चलने का दावा भी कर दिया.

इस बार माओवादी अध्यक्ष प्रचंड को नेपाली कांग्रेस, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी, जनता समाजवादी पार्टी, एकीकृत समाजवादी, लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी, जनमत पार्टी, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी और राष्ट्रीय जनमोर्चा का समर्थन मिला. जबकि प्रचंड के विपक्ष में ओली के नेतृत्व में रहे नेपाल कम्यूनिष्ट पार्टी यूएमएल के अलावा राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी तथा नेपाल मजदूर किसान पार्टी के सांसदों ने मतदान किया था.

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