
नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा ने पद और गोपनीयता की शपथ ले ली है. मंगलवार की रात करीब 8.25 बजे राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने देउबा को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शेर बहादुर देउबा को पांचवी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई है. निवर्तमान प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की ओर से संसद भंग किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त करने के आदेश दिए थे.
नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने संसद को फिर से बहाल करने का आदेश देते हुए मंगलवार की शाम पांच बजे तक शपथ ग्रहण का समय निर्धारित किया था लेकिन प्रधानमंत्री देउबा ने पहले कहा कि वो छह बजे शपथ लेंगे. शपथ ग्रहण की तैयारियां पूरी भी हो गई थीं. सभी मेहमान भी पहुंच गए थे. शपथ ग्रहण के लिए खुद देउबा के साथ ही उनके मंत्रिमंडल के मंत्री और अन्य वीवीआईपी राष्ट्रपति भवन में ही मौजूद थे लेकिन फिर भी शपथ ग्रहण में देरी हो रही थी.
नियुक्ति पत्र पर विवाद
शपथ ग्रहण में विलंब को लेकर पहले तो कारण यह बताया गया कि राष्ट्रपति की तरफ से प्रधानमंत्री की नियुक्ति को लेकर जो पत्र दिया गया था उसको लेकर देउबा को आपत्ति थी. राष्ट्रपति के पत्र में लिखा था कि सर्वोच्च अदालत के फैसले के मद्देनजर शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया जाता है. देउवा की आपत्ति इस बात को लेकर थी कि राष्ट्रपति के तरफ से दिए गए नियुक्ति पत्र में संविधान की धाराओं का कोई उल्लेख नहीं किया गया था. हालांकि, राष्ट्रपति के तरफ से शपथ ग्रहण के समय से पहले ही इस मामले को सुलझा लिया गया था.
शपथ ग्रहण में नहीं आए ओली
इसके बाद भी पीएम के शपथ ग्रहण में देर हो रही थी. कारण यह बताया गया कि निवर्तमान प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का इंतजार किया जा रहा है. शपथग्रहण के निर्धारित समय से एक घंटे तक भी ओली नहीं आए. बाद में उनकी तरफ से यह संदेश आया कि वो इस समारोह में सहभागी नहीं होने वाले हैं लेकिन प्रधानमंत्री पद छोड़ने से पहले देशवासियों को दिए अपने संदेश में ओली ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जमकर आलोचना की.
उन्होंने कहा कि जनादेश से चुनी गई मेरी सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बदल कर परमादेश से देउबाजी को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है जो कि लोकतांत्रिक मूल्य मान्यताओं के विपरीत है. ओली के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं आने को लेकर काफी आलोचना हुई कि उन्होंने सामान्य शिष्टाचार का निर्वाह भी नहीं किया.
कुंडली में था काल योग
नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा पूजा पाठ, ज्योतिष, तंत्र-मंत्र में बहुत ही विश्वास करते हैं. एक ज्योतिष ने देउबा की कुंडली में सात बार प्रधानमंत्री बनने का योग होने की बात कही थी. इस बार पांचवीं दफे वो पीएम का पद संभाल रहे हैं. अपने ज्योतिष की सलाह पर शुभ मुहूर्त में ही वो कोई भी बड़ा काम या बड़ा निर्णय करते हैं. शपथ ग्रहण कहने के लिए तो सुप्रीम कोर्ट ने तय किया था लेकिन कोर्ट की तरफ से जो समय निर्धारित किया गया था वो शाम पांच बजे का ही था लेकिन कुंडली में शाम 5 बजे से रात 8.20 तक काल योग होने के कारण देउबा का शपथग्रहण 8.25 के बाद हुआ.
देर के साथ हो रही थी तरह-तरह की चर्चा
जैसे-जैसे शपथग्रहण के समय में देरी हो रही थी, राष्ट्रपति भवन से अनेक तरह की खबरें बाहर आ रही थी. वहीं लोगों को यह भी लग रहा था कि कुछ न कुछ ज्योतिषीय शुभ मूहुर्त के कारण देरी हो रही है. इस बात को और अधिक बल तब मिला जब अलग-अलग बहाने बनाकर शपथग्रहण में देरी करा रहे देउबा ने अचानक 8.20 बजे ही कहा कि अब शपथग्रहण का काम शुरू किया जाए. इससे पहले कभी नियुक्ति पत्र तो कभी बैठने की व्यवस्था और प्रोटोकॉल का हवाला देकर वे देर कर रहे थे. कालयोग के खत्म होते ही देउबा ने शपथग्रहण कर लिया.