Advertisement

'5000 लोगों की मौत की जिम्मेदारी लेता हूं,' नेपाली PM ने कबूली थी ये बात, अब सुप्रीम कोर्ट में होगी पेशी

जनवरी 2020 में काठमांडू में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में नेपाल के वर्तमान पीएम प्रचंड ने 5000 नागरिकों की हत्या की जिम्मेदारी ली थी. इस बयान के बाद अब नेपाल के पीएम प्रचंड के खिलाफ दो अलग- अलग रिट दायर की गई हैं. इस मामले में नेपाल की SC ने 9 मार्च को सुनवाई के दौरान प्रधानमंत्री प्रचंड को कोर्ट में हाजिर होने के लिए वारंट जारी कर दिया है.

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की बढ़ीं मुसीबतें नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की बढ़ीं मुसीबतें
सुजीत झा
  • काठमांडू,
  • 07 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 7:39 PM IST

नेपाल की सरकार बने अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं कि प्रधानमंत्री के सामने मुसीबत के बादल छाए हुए हैं. जहां एक ओर प्रचंड के सामने सरकार बचाने की चुनौती बरकरार है वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल प्रचंड के खिलाफ सामूहिक नरसंहार का मुकदमा दर्ज हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद माओवादी पीड़ित पक्ष की तरफ से कुछ वकीलों ने पीएम के खिलाफ मुकदमा दायर किया है.

Advertisement

प्रचंड के खिलाफ मुकदमा दायर करने के बाद ही कोर्ट ने 9 मार्च के लिए पेशी की तारीख भी तय कर दी है. नेपाल के पीएम प्रचंड के खिलाफ दो अल- अलग रिट दायर की गई हैं. दोनों की सुनवाई एक साथ होने की जानकारी दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने 9 मार्च को सुबह 10 बजे सुनवाई के दौरान प्रधानमंत्री प्रचंड को कोर्ट में हाजिर होने के लिए वारंट भी जारी कर दिया है.

14 लोगों ने प्रचंड के खिलाफ दो अलग-अलग याचिकाएं कीं दायर 

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं. गुरुवार को रिट पर सुनवाई करने की तारीख तय की गई है. याचिकाकर्ता कल्याण बुढाथोकी ने कहा कि प्रचंड ने खुद ही पांच हजार लोगों की हत्या की जिम्मेदारी सार्वजनिक रूप से स्वीकार की थी इसलिए उनके खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया है. बता दें कि जनयुद्ध के नाम पर प्रचंड के आदेश पर ही कई सामूहिक नरसंहार को अंजाम दिया गया था और यह युद्ध के नियमों के खिलाफ एक कृत्य था.

Advertisement

एक और रिट याचिकाकर्ता ज्ञानेंद्र राज अरन ने कहा कि संक्रमणकालीन न्याय के मुद्दों को हल करने के लिए बार-बार सरकार का ध्यान आकर्षित करने के बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो मजबूरी में न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट आना पड़ा. इसी तरह एक याचिकाकर्ता ने कहा कि पीड़ितों को न्याय दिलाने की पहल की गई है. नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते ही प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचण्ड की गिरफ्तारी की मांग करते हुए याचिका दायर करने का आदेश दिया था.

इस बयान के चलते SC में पेश होंगे प्रधानमंत्री प्रचंड

गौरतलब है कि तीन साल पहले 15 जनवरी 2020 को काठमांडू में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में प्रचंड ने माओवादियों द्वारा चलाए गए सशस्त्र विद्रोह के दौरान मारे गए 17 हजार लोगों में से 5000 नागरिकों की हत्या की जिम्मेदारी लेने की बात कही थी.

5000 हत्याओं के जिम्मेदारी ले चुके हैं पीएम प्रचंड

प्रचंड ने कहा था कि सशस्त्र विद्रोह के समय मारे गए 17 हजार लोगों की हत्या का आरोप उन पर लगाया जाता है जो कि झूठ है. उन्होंने कहा था कि 12 हजार नागरिकों की मौत सरकारी एजेंसी के द्वारा और तत्कालीन शासकों के द्वारा करवाई गई थी. लेकिन उसका दोष भी मुझ पर ही लगाया जाता है जो सही नहीं है. वो सिर्फ 5000 हत्याओं की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं. इससे वो पीछे नहीं हटेंगे और ना ही इसकी जिम्मेदारी से वो भागेंगे.

Advertisement

करीब 17 साल पुराना है मामला

बात करीब 17 साल पुरानी है. जब नेपाल में 13 फरवरी 1996 को एक विद्रोह शुरू हुआ था.  यह विद्रोह 21 नवंबर 2006 को सरकार के साथ व्यापक शांति समझौता होने के बाद आधिकारिक तौर पर खत्म हुआ था. एक दशक तक चले इस संघर्ष में कई हजार लोगों की मौत हुई थी.

हजारों की मौत के आरोपी हैं प्रचंड

दरअसल नेपाल में राजशाही के दौरान माओवादी विद्रोह में हजारों लोगों की जान गई थी. उस वक्त माओवादी हथियारों के दम पर नेपाल की सत्ता पर काबिज होना चाहते थे. उस वक्त माओवादी लोगों की कमान प्रचंड के ही हाथ में थी. वो पुष्प कमल दाहाल प्रचंड ही थे जिनके एक इशारे पर हजारों लोगों की हत्याएं की गईं.इस दौरान कई सरकारी अधिकारियों पर हमले हुए थे और संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया था. बाद में जब यह संघर्ष थमा और राजशाही खत्म हुई तब प्रचंड ने अपने इन लड़ाकों को नेपाली सेना में शामिल कराने की मांग भी की थी.

संकट में प्रचंड सरकार?

उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्‍व वाली सीपीएन-यूएमएल पार्टी ने मौजूदा प्रचंड सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. ऐसे में प्रचंड सरकार संकट में है और उन्हें संसद में शक्ति परीक्षण से भी गुजरना होगा. साथ ही उन्हें एक महीने के भीतर ही अपना बहुमत भी साबित करना होगा. इससे पहले भी कुछ राजनीतिक दलों ने प्रचंड सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान किया था.फिलहाल देश में तीन राजनीतिक दलों के समर्थन वापस लेने के बाद मंत्रिमंडल में 16 मंत्रिपद खाली पड़े हैं. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement