
नेपाल की कांग्रेस ने शनिवार को केंद्रीय समिति की बैठक बुलाई है. इस बैठक में नेपाल के नक्शे में होने वाले संवैधानिक संशोधन पर औपचारिक निर्णय लिया जाएगा. असल में, नेपाल की तरफ से जारी नए नक्शे को देश के संविधान में जोड़ने के लिए बुधवार को संसद में संविधान संशोधन का प्रस्ताव रखा जाना था. लेकिन नेपाल सरकार ने ऐन मौके पर संसद की कार्यसूची से संविधान संशोधन की कार्यवाही को हटा दिया.
नेपाल के सत्तापक्ष और प्रतिपक्षी दल, दोनों की आपसी सहमति से संविधान संशोधन विधेयक को संसद की कार्यसूची से हटाया गया. मंगलवार को नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने नए नक्शे वाले मुद्दे पर राष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इस बैठक में सभी दल के नेताओं ने भारत के साथ बातचीत कर किसी भी मसले को सुलझाने का सुझाव दिया था.
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क्या है मामला
दरअसल, नेपाल सरकार ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था, जिसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को भी शामिल किया गया है. नेपाल कैबिनेट की बैठक में भूमि संसाधन मंत्रालय ने नेपाल का यह संशोधित नक्शा जारी किया था. इसका बैठक में मौजूद कैबिनेट सदस्यों ने समर्थन किया था.
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बता दें कि 8 मई को भारत ने उत्तराखंड के लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर के लिए सड़क का उद्घाटन किया था. इसको लेकर नेपाल ने कड़ी आपत्ति जताई थी. इसके बाद नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी करने का फैसला किया था और इसमें भारत के क्षेत्रों को भी अपना बताकर दिखाया है.