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नेपाली कांग्रेस और CPN-माओवादी सेंटर का गठबंधन टूटा, पुष्प कमल दहल प्रचंड ने किया ऐलान

नेपाली कांग्रेस के सीनियर नेता राम चंद्र पौडेल ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि पूर्व पीएम प्रचंड उर्फ ​​पुष्प कमल दहल ने आज दोपहर गठबंधन की बैठक से बाहर निकलते हुए माओवादी पार्टी द्वारा दिए सत्तारूढ़ गठबंधन को दिए गया समर्थन वापस लेने की घोषणा की.  

शेर बहादुर देउबा और पुष्प कमल दहल प्रचंड (फाइल फोटो) शेर बहादुर देउबा और पुष्प कमल दहल प्रचंड (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:20 PM IST

नेपाल में नए प्रधानमंत्री के नाम पर अबतक सहमति नहीं बन पाई है. इसको लेकर आज नेपाली कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की पार्टी की बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक को पुष्प कमल दहल बीच में ही छोड़कर चले गए. पुष्प कमल दहल ने नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़ने का भी ऐलान कर दिया है. 

नेपाली कांग्रेस के सीनियर नेता राम चंद्र पौडेल ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि पूर्व पीएम प्रचंड उर्फ ​​पुष्प कमल दहल ने आज दोपहर गठबंधन की बैठक से बाहर निकलते हुए माओवादी पार्टी द्वारा दिए सत्तारूढ़ गठबंधन को दिए गया समर्थन वापस लेने की घोषणा की.  

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न्यूज एजेंसी के मुताबिक, नेपाली कांग्रेस के नेता राम चंद्र पौडेल ने कहा कि नेपाल के माओवादी सेंटर ने सत्तारूढ़ गठबंधन को छोड़ने का फैसला किया है. उन्होंने माओवादी केंद्र के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल का हवाला दिया, जिन्होंने कहा है कि "गठबंधन ने अपनी प्रासंगिकता खो दी है." 

नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने सभी पार्टियों को प्रधानमंत्री पद के लिए दावा पेश करने के लिए आज तक ही डेडलाइन दी थी. इसके बाद भी नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन और केपी शर्मा ओली की पार्टी वाले गठबंधन ने अभी तक दावा पेश नहीं किया. नेपाली कांग्रेस ने चुनाव के बाद ही बहुमत का ऐलान किया था.  

पार्टी में देउबा के नाम पर बनी सहमति

नेपाली कांग्रेस में प्रधानमंत्री पद के लिए शेर बहादुर देउबा के नाम पर सहमति बनी थी. इसको लेकर देउबा ने पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड से मुलाकात भी की थी. इस चुनाव में नेपाली कांग्रेस ने 275 सीटों में से 89 जीती हैं, CPN-UML के खाते में 78 सीटें गई हैं और CPN-Maoist को 32 सीटों से संतुष्ट करना पड़ा है. पहली बार चुनाव लड़ रही राष्ट्रीय स्वतंत्रता पार्टी ने भी 20 सीटे अपने नाम की हैं, जनता समाजवादी पार्टी ने 12 सीटें जीती हैं जनमत पार्टी के खाते में 6 सीटें गई हैं. 

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देउबा ने दूसरी पार्टी के साथ क्या डील की? 

बताया जा रहा है कि इन दोनों के नेताओं के बीच प्रधानमंत्री पद को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है. देउबा ने जब प्रचंड से मुलाकात की थी, उसमें समर्थन देने की बात तो हुई, लेकिन शर्त ये रखी है कि प्रधानमंत्री की कुर्सी एक नहीं दो लोगों के हिस्से में आएगी यानी कि पहले ढाई साल प्रचंड प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, फिर दूसरे हाफ में देउबा को मौका मिले.  

 

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