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Dubai: इस्लाम कुबूल करने के चार दिन बाद ही यूक्रेनी महिला की मौत, याद में बनाई जाएगी मस्जिद

यूक्रेन की प्रवासी महिला दरिया कोत्सेरेंको ने पिछले ही महीने 25 मार्च को इस्लाम कबूल की थी. लेकिन इस्लाम कबूल करने के चार दिन बाद ही हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई. दरिया की याद में इस्लामिक इन्फोर्मेशन सेंटर ने एक मस्जिद बनाने की घोषणा की है.

दरिया को जब दफनाया गया तो सैकड़ों लोग पहुंचे थे. (@Janaza_uae) दरिया को जब दफनाया गया तो सैकड़ों लोग पहुंचे थे. (@Janaza_uae)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 10:47 AM IST

दुबई की दार अल बेर सोसाइटी (Dar Al Ber Society) ने 29 वर्षीय प्रवासी महिला दरिया कोत्सेरेंको की याद में मस्जिद बनाने की घोषणा की है. बीते महीने 25 मार्च को इस्लाम कबूल करने के चार दिन बाद ही यानी 29 मार्च को दरिया की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी.

यूएई की न्यूज वेबसाइट 'खलीज टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दरिया कोत्सेरेंको मस्जिद का क्षेत्रफल 613 वर्ग मीटर होगा. इस मस्जिद में ग्राउंड फ्लोर पर पुरुषों के लिए नमाज पढ़ने की व्यवस्था होगी, वहीं फर्स्ट फ्लोर महिलाओं के लिए होगा.

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रिपोर्ट के मुताबिक, सामुदायिक एकजुटता और धर्मपरायणता दिखाने के लिए दरिया कोत्सारेंकों की याद में मस्जिद बनाने का फैसला लिया गया है. इस मस्जिद का निर्माण इस्लामिक इन्फोर्मेशन सेंटर दार अल बेर सोसाइटी की निगरानी में होगी. इसी इस्लामिक सेंटर में दारिया ने इस्लाम कबूल की थी. 

613 वर्ग मीटर होगा मस्जिद का कुल क्षेत्रफल

इस मस्जिद का कुल क्षेत्रफल 613 वर्ग मीटर होगा. मस्जिद की मीनार की ऊंचाई 33 मीटर होगी. जिसमें एक साथ 208 नमाजी रह सकते हैं. महिलाओं के लिए स्नान कक्ष के अलावा नमाज कक्ष भी पहली मंजिल पर होगा. इसके अलावा 170 वर्ग मीटर का इमाम का निवास स्थल होगा. पुरुषों का स्नान कक्ष भी होगा. गुरुवार शाम तक इस मस्जिद के निर्माण के लिए कुल बजट का लगभग 13 प्रतिशत यानी पांच लाख दिरहम से ज्यादा की राशि जुटा ली गई है.

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सैकड़ों लोग पहुंचे दफनाने

दरिया की मौत के वक्त ना तो उसका कोई परिवार या ना ही कोई रिश्तेदार दुबई में था. लेकिन दरिया को जब दफनाया गया तो सैकड़ों लोग पहुंचे थे. दुबई के इमाम और इस्लामिक कंटेंट क्रिएटर फारिस अल हम्मादी के अनुसार, दारिया पहली बार तीन साल पहले दुबई आई थी. यहां उसने स्थानीय संस्कृति और धर्म के बारे में जानने में जिज्ञासा दिखाई. इसके अलावा वो दूसरे शहर भी घूमने गई. लौटने के बाद दरिया इस्लाम धर्म कबूल कर ली.

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