
नाइजीरिया के सोकोतो में एक ईसाई छात्रा डेबोरा सैमुअल की मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा निर्मम हत्या ने देश में एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया है. पिछले हफ्ते मुस्लिम कट्टरपंथियों ने ईशनिंदा का आरोप लगाते हुए छात्रा की हत्या कर दी और उसे आग के हवाले कर दिया था. इस घटना पर दुख जताते हुए नाइजीरिया के इस्लामिक विद्वान शेख अहमद गुमी ने कट्टर मुसलमानों के प्रति गहरी नाराजगी जताई है.
उन्होंने कहा है कि बेकार के मुद्दों को लेकर इंसानों की हत्या पाप है. उन्होंने जोर देकर कहा कि पैगंबर मोहम्मद का भी अपमान और तिरस्कार किया गया था, लेकिन उन्होंने कभी भी बदले में हत्या नहीं की. नाइजीरिया के एक अखबार के मुताबिक, गुमी ने सुल्तान बेल्लो मस्जिद, कडुना में उपदेश देते हुए कहा कि नाइजीरिया में किसी ईसाई को मारने वाले मुसलमान को कभी जन्नत नसीब नहीं होगी.
उन्होंने कहा, 'नाइजीरिया एक इस्लामिक देश नहीं है. देश में मुसलमान अन्य धर्मों के लोगों के साथ शांति से रहने के लिए प्रतिबद्ध हैं. अगर कोई मुसलमान किसी अन्य धर्म के इंसान को धर्म का सहारा लेकर मारता है, वो बहुत बड़ा पापी है.'
मौलवियों पर बरसे इस्लामिक विद्वान
उन्होंने कुछ मुस्लिम मौलवियों को भी लताड़ लगाई, जो मुसलमानों से कहते हैं कि अपने धर्म का अपमान करने वाले को मार दो. उन्होंने कहा कि उन मौलवियों को कुरान की उन आयतों का मतलब नहीं पता जिन्हें वो पढ़ते हैं.
उन्होंने कुरान की आयतों का हवाला देते हुए कहा कि किसी गैर-मुसलमान को ईशनिंदा के कारण मारा जाना गुनाह है. वो बोले, 'ये गुनाह है क्योंकि अल्लाह ने हमें कुरान में बताया है कि गैर-मुस्लिम अल्लाह और उसके पैगंबर पर अपने विचार रख सकते हैं. और सच बात तो ये है कि सोकोतो में महिला की हत्या के बाद ईशनिंदा रुकेगी नहीं बल्कि और बढ़ेगी.'
मुसलमानों को उनका धर्म सिखाने की जरूरत
उन्होंने कट्टरपंथी मुसलमानों को लताड़ते हुए कहा, 'नाइजीरिया के मुसलमान जो पैगंबर मोहम्मद की रक्षा करना चाहते हैं, उन्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए क्योंकि वे भ्रष्ट हैं... अगर हम सच में पैगंबर की रक्षा करना चाहते हैं तो सबसे अच्छा तरीका उनकी शिक्षाओं का पालन करना है. हम मौलवियों को जागने और मुसलमानों को उनका धर्म सिखाने की जरूरत है. हमें इस अज्ञानता को त्याग देना चाहिए. हम जानवरों की तरह हो गए हैं. इस देश में बस हम मुसलमान अकेले नहीं रहते...और लोग भी हैं.'
मौलवी ने कहा कि जिन लोगों ने पैगंबर में विश्वास नहीं किया, पैगंबर ने उनका कोई नुकसान नहीं किया क्योंकि वो जानते थे कि अगर उन्हें नुकसान पहुंचाया गया तो वो एक हत्यारे बन जाएंगे.
गुमी ने कहा कि नाइजीरिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो किसी धर्म को नहीं मानते लेकिन सभी धर्म ये कोशिश कर रहे हैं कि वो उनकी तरफ हो जाएं. ऐसे में अगर मुसलमान दूसरे धर्मों के लोगों को मारना शुरू कर देंगे तो लोग समझेंगे कि इस्लाम खून-खराबे का धर्म है.
उन्होंने आगे कहा, 'इस्लामी न्याय प्रणाली के अलावा किसी को भी ये अधिकार नहीं है कि वो किसी का कत्ल करे. किसी को मारे जाने से पहले न्याय की सभी शर्तों को पूरा किया चाहिए. हमारा धर्म एक सभ्य धर्म है. गोरे लोगों ने इस्लाम से कानून का राज सीखा. लेकिन आज हम उस स्थिति में आ गए हैं कि कई मौलवी ही बर्बरता को बढ़ावा दे रहे हैं.'