
लंदन की हाई कोर्ट में मंगलवार को 2 अरब डॉलर के पीएनबी घोटाले के आरोपी भगोड़ा नीरव मोदी के आत्महत्या करने की आशंकाओं को लेकर सुनवाई हुई. कोर्ट ने मनोरोग के क्षेत्र में दो प्रमुख विशेषज्ञों के आंकलन के आधार पर सुनवाई की ताकि इस बात को तय किया जा सके कि अगर नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पण किया जाता है तो क्या वह आत्महत्या कर सकता है?
लॉर्ड जस्टिस जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और जस्टिस रॉबर्ट जे ने कार्डिफ यूनिवर्सिटी में फॉरेंसिक साइकाइट्री के प्रोफेसर एंड्रयू फॉरेस्टर और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में फोरेंसिक साइकाइट्री की प्रोफेसर सीना फजेल 51 साल के नीरव के प्रत्यर्पण अपील के अंतिम चरण में दलीलें सुनीं.
दो मनोचिकित्सकों ने नीरव के डिप्रेशन के स्तर का आकलन किया जिससे आत्महत्या का पर्याप्त या उच्च जोखिम हो सकता है. उसने विशेषज्ञों को बताया कि वह प्रत्यर्पित होने पर खुद को काटने या फांसी के बारे में सोचता है. दोनों ने दक्षिण-पश्चिम लंदन के वैंड्सवर्थ जेल में बंद नीरव मोदी का पर्सनल असिसमेंट किया है. नीरव तीन साल से ज्यादा समय से इस जेल में बंद है. सुनवाई के दौरान नीरव की मां की आत्महत्या के मामले का भी जिक्र किया गया.
नीरव ने सवालों के समझादी से जवाब दिए
प्रोफेसर एंड्रयू फॉरेस्टर ने कहा कि वह अपने डिप्रेशन के कारण दुनिया को एक अंधकारमय तरीके से देखता है. नीरव मोदी ने कोर्ट को बताया है कि वह मध्यम स्तर के अवसाद के विकार से पीड़ित है, जिस कारण उसमें आत्महत्या करने का जोखिम काफी ज्यादा है.
फजल के विश्लेषण के मुताबिक नीरव हल्का उदास नजर आया, जिसका मूल्यांकन कुछ निश्चित मानदंडों के आधार पर किया गया जैसे कि कम मूड और लगातार थकान या बहुत आसानी से थक जाना. फजल ने कहा कि वह अच्छी तरह से काम करता है, सवालों का समझदारी से जवाब देता है और गंभीर अवसाद जैसे नींद, भूख या भ्रम की कमी के कुछ अन्य लक्षण नहीं दिखाता.
सुनवाई के दौरान दोनों ने यह भी कहा कि भारत की जेल में रहते हुए भी नीरव मोदी का इलाज किया जा सकता. दरअसल यह दावा किया गया था कि मुंबई के आर्थर जेल में रहते हुए उसका इलाज नहीं किया जा सकता.
पिछले साल से मानसिक स्वास्थ्य को लेकर हो रही है सुनवाई
51 वर्षीय हीरा कारोबारी नीरव ने पिछले साल अपने मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर प्रत्यर्पण के आदेश पर रोक लगाने के लिए अपील की थी. दिसंबर 2021 में हाई कोर्ट में सुनवाई में यह देखा गया था कि वेस्टमिनस्टर मेजिस्ट्रेट कोर्ट के डिस्ट्रिक्ट जज सैम गूजी की फरवरी 2021 की रूलिंग हीरा कारोबारी के प्रत्यर्पण के पक्ष में दिए फैसले से उसके आत्महत्या करने का खतरा बढ़ता है कि नहीं.
इस मामले में हफ्ते में तीन दिन सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है, जिसके निष्कर्ष पर दो-न्यायाधीशों के पैनल से इस पर अपना फैसला देने की उम्मीद है कि क्या मानसिक स्वास्थ्य और मानवाधिकार आधार पर नीरव मोदी के भारत के प्रत्यर्पण को रोका जा सकता है.