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US हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में ‘NO BAN’ बिल पास, धर्म के आधार पर नहीं लग सकेगा ट्रैवल बैन  

अमेरिका में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने एक बिल पास किया है. इसमें प्रावधान है कि कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति धर्म के आधार पर ट्रैवल बैन नहीं लगा सकेगा.

व्हाइट हाउस  (फाइल-फोटो) व्हाइट हाउस (फाइल-फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 22 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 10:20 PM IST
  • हाउस में 208 के मुकाबले 218 वोट से बिल पास
  • सीनेट से पास होने के बाद बनेगा कानून 

अमेरिका में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने एक बिल पास किया है. इसमें प्रावधान है कि कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति धर्म के आधार पर ट्रैवल बैन नहीं लगा सकेगा. नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे आगे की ओर अहम कदम बताते हुए स्वागत किया है. इस बिल के कानून बनने के लिए अमेरिकी सीनेट में इसका पास होना जरूरी है. अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में बुधवार को बिल के समर्थन में 218 और विरोध में 208 वोट पड़े. बिल को औपचारिक तौर पर ‘नो बैन एक्ट’ नाम दिया गया है. बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कई मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों के अमेरिका की यात्रा करने पर रोक लगाने का विवादित कदम उठाया था.   

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अमेरिकी सीनेटर क्रिस कून्स ने ट्वीट में हाउस में बिल पास होने की जानकारी दी.  इस ट्वीट में कून्स ने ये भी लिखा कि जब से मुस्लिम बैन प्रभावी हुआ तब से वो और जूडी चू @RepJudyChu ये सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे थे कि कोई भी राष्ट्रपति आगे इस तरह का भेदभाव वाला बैन लागू न कर सके जो डर और पूर्वाग्रह पर आधारित हो. मैं अब इस बिल के सीनेट से आगे बढ़ने की ओर देख रहा हूं. 

ट्रंप ने ये बैन 2017 में राष्ट्रपति का दफ्तर संभालने के कुछ देर बाद ही लागू किया था. इसका व्यापक विरोध हुआ था. अमेरिकी अदालतों में बैन को दो बार खारिज किया गया. लेकिन इसे फिर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उठाए कदम के तौर पर पेश किया गया. आखिरकार अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में इसे वैध ठहराया. बैन को शुरू में लीबिया, वेनेजुएला, नॉर्थ कोरिया, सोमालिया, यमन, ईरान, सीरिया के नागरिकों को अमेरिका आने से रोकने के लिए लागू किया गया. 2020 में ट्र्ंप ने इस बैन के दायरे में म्यामांर, इरीट्रिया, किर्गिस्तान, नाइजीरिया, सूडान और तंजानिया को भी शामिल कर लिया.   

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बैन को भेदभावकारी और दंडात्मक बताते हुए इसे अमेरिकी मुसलमानों, उनके परिवारों, शरणार्थियों के लिए दूरगामी प्रभावों वाला बताया गया था. इससे हेल्थकेयर सुविधाओं तक पहुंच में दिक्कत के अलावा परिवारों में शादी, मृत्यु में एक दूसरे के यहां जाने के लिए बाधाकारी बताया गया. साथ ही कहा गया कि इससे युवाओं के शिक्षा करियर में भी दिक्कत आएगी. नो बैन एक्ट से अमेरिकी इमिग्रेशन कानून में बदलाव होगा, जिससे धर्म के आधार पर भेदभाव को रोका जा सकेगा. साथ ही राष्ट्रपतियों के इस तरह के बैन के लिए कार्यकारी आदेश जारी करने की शक्ति भी सीमित होगी. हालांकि 2020 चुनाव में ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव में हारने के बाद नए राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ट्रैवल बैन को उलट दिया था, लेकिन कई अमेरिकी सांसदों का कहना था कि इस संबंध में विधायी कार्रवाई जरूरी है. 

 

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