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अकेले हरदीप सिंह निज्जर ही नहीं, इन खालिस्तानी आतंकियों को भी ट्रूडो के कनाडा में मिली है शरण, देखें लिस्ट

भारत-कनाडा के बीच विवाद की शुरुआत साल 2023 में हुई. ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में 18 जून 2023 को एक गुरुद्वारे के बाहर अज्ञात हमलावरों ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी थी. भारत द्वारा आतंकवादी घोषित निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख था. कनाडा ने इस हत्याकांड में भारत की संलिप्तता का दावा किया.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो. (फाइल फोटो) कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 12:01 PM IST

भारत के कनाडा से रिश्ते पटरी से उतर गए हैं. दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव चरम पर पहुंच गया है. ये पूरा विवाद खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हत्या के बाद गहराया है. निज्जर, भारत में आतंकी घोषित था और सालों से कनाडा में रह रहा था. हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब कनाडा में किसी अलगाववादी आतंकी को शरण देने का मामला सामने आया हो. गुरजीत चीमा, मलकीत फौजी, सुलिंदर सिंह, हरदीप सोहोटा जैसे खालिस्तानी आतंकी वर्षों से कनाडा में शरण लेकर रह रहे हैं और अलगाववादी गतिविधियां में संलिप्त पाए जा रहे हैं. यहां तक कि भारत में मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू भी कनाडा में आता-जाता रहता है.

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भारत-कनाडा के बीच विवाद की शुरुआत साल 2023 में हुई.  ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में 18 जून 2023 को एक गुरुद्वारे के बाहर अज्ञात हमलावरों ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी थी. भारत द्वारा आतंकवादी घोषित निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख था. कनाडा ने इस हत्याकांड में भारत की संलिप्तता का दावा किया. प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 सितंबर 2023 को कनाडा की संसद में आरोप लगाया कि भारत सरकार के एजेंटों ने ही निज्जर की हत्या की. हालांकि, भारत ने कनाडा के आरोपों को बेबुनियाद बताया था. इस विवाद में कनाडा अब तक भारत को एक भी सबूत भी नहीं दे पाया है.

सोमवार को मोदी सरकार ने कनाडा से भारतीय हाई कमिश्नर और अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया. वहीं, कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और भारत छोड़ने के लिए 19 अक्टूबर तक का वक्त दिया है. भारतीय हाई कमिश्नर को आतंकी निज्जर की हत्या की जांच में जोड़ने के संकेत मिलने पर कनाडा को खरी-खरी सुनाई और इसके पीछे कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की वोट बैंक की राजनीति को जिम्मेदार ठहराया है. विदेश मंत्रालय ने कनाडा के डिप्टी हाई कमिश्नर को तलब किया और कहा, राजनयिकों को निराधार तरीके से टारगेट करना अस्वीकार्य है.

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भारत ने कनाडा को बताए थे खालिस्तानी आतंकियों के नाम

भारत ने 6 साल पहले ही कनाडा के खालिस्तानी प्रेम को उजागर कर दिया था और अलगाववादी आतंकियों की सूची सौंप दी थी. लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. भारत का कहना था कि आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने वाले करीब 9 अलगाववादी संगठनों ने कनाडा में अपना ठिकाने बना लिया है. 2018 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो को निज्जर जैसे 10 आतंकियों के नाम बताए थे. इतना ही नहीं, भारतीय एजेंसियों और पंजाब सरकार ने खालिस्तानी समर्थकों पर कार्रवाई ना किए जाने पर कनाडा सरकार की ढिलाई पर भी नाराजगी जाहिर की थी.

भारत का कहना था कि विश्व सिख संगठन (WSO), खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF), सिख फॉर जस्टिस (SFJ) और बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) जैसे खालिस्तान समर्थक संगठन पाकिस्तान के इशारे पर काम करते हैं और कनाडा की धरती से खुलेआम अलगाववाद फैला रहे हैं. भारत ने कनाडाई सरकार को डोजियर के कई सेट सौंपे थे. साल 2018 में जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत दौरे पर आए थे तो पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें 10 ऐसे लोगों की सूची सौंपी थी, जो कानूनी प्रक्रिया से बचकर भाग गए हैं. इनमें मलकीत सिंह उर्फ ​​फौजी, गुरप्रीत सिंह, हरदीप सिंह निज्जर, गुरपतवंत सिंह पन्नू और गुरजीत सिंह चीमा का नाम शामिल था. इन भारत विरोधी तत्वों पर आतंकवाद में शामिल होने के गंभीर आरोप लगे हैं. 

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गुरजीत सिंह चीमा

पंजाब के गुरदासपुर के जोगी चीमा के मूल निवासी गुरजीत सिंह चीमा वर्तमान में कनाडा के ब्रैम्पटन में रहता है. वो ब्रैम्पटन, टोरंटो में सिंह खालसा सेवा क्लब का सक्रिय सदस्य है और अंतर्राष्ट्रीय सिख युवा फेडरेशन का कार्यकर्ता है. उसने पंजाब में टारगेट किलिंग के लिए सिख नाबालिगों को कट्टरपंथी बनाया और प्रेरित किया. फंडिंग के काम में भी लगाया. इससे भी ज्यादा उसने एक आतंकवादी मॉड्यूल बनाने के लिए मार्च और अप्रैल 2017 में पंजाब की यात्रा की थी. मॉड्यूल चलाने के लिए उसने सुखमनप्रीत सिंह को जुलाई 2016 और मई 2017 में 75,000 रुपये भी भेजे. मार्च 2017 में गुरजीत सिंह चीमा मॉड्यूल के लिए बंदूकें खरीदने के लिए मध्य प्रदेश के ग्वालियर गया था. 2016 में पंजाब में एक दक्षिणपंथी नेता की हत्या में उसकी संलिप्तता सामने आई थी. जिसके बाद 2018 में तत्कालीन कैप्टन अमरिंदर सरकार ने उसे आतंकवाद की सूची में डाल दिया था. भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस मामले में कई चार्जशीट दाखिल की हैं. हालांकि, उसके खिलाफ कोई इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी नहीं किया गया.

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गुरप्रीत सिंह

गुरप्रीत सिंह पंजाब के मोगा जिले का रहने वाला है. वर्तमान में कनाडा के ओंटारियो में रह रहा है. वो इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISYF) का सदस्य भी है. वर्तमान में उसके पास कनाडा की नागरिकता है और वो टोरंटो में सिंह खालसा सेवा क्लब में सक्रिय रूप से हिस्सा लेता है. उसने पंजाब में टारगेट किलिंग के लिए सिख युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, प्रेरित करने और भर्ती का काम संभाला और फंडिंग में हिस्सा लिया. मार्च 2016 में गुरप्रीत भारत आया और पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए एक ISYF सेल बनाया. उसने कथित तौर पर गुरप्रीत सिंह उर्फ ​​पीट को भी अपने मकसद के लिए राजी किया.

खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (KLF) के नेता हरमीत पीएचडी की फरवरी 2020 में पाकिस्तान में हत्या कर दी गई थी. गुरप्रीत ने नवंबर 2016 में मॉड्यूल के सदस्यों के लिए दो पिस्तौलें खरीदीं. उसने अप्रैल 2017 में पैसे दिए ताकि मॉड्यूल ग्वालियर से हथियारों का इंतजाम कर सके. मॉड्यूल को संचालित करने के लिए उसने जून 2016 से फरवरी 2017 के बीच 100,972 रुपये भी भेजे. गुरप्रीत पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और शस्त्र अधिनियम समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज है.

हरदीप सिंह निज्जर

निज्जर पर 10 लाख रुपये का नकद इनाम था. वो 10 नवंबर 1977 को पंजाब में पैदा हुआ. बाद में प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स से जुड़ा. उसे 1990 के दशक में गिरफ्तार किया गया. बाद में जमानत पर रिहा हो गया और 19 फरवरी 1997 को रवि शर्मा की फर्जी पहचान बनाकर भारत से भाग गया. 2013-14 में निज्जर पाकिस्तान गया. वहां उसकी मुलाकात खालिस्तान टाइगर फोर्स के जगतार सिंह तारा से हुई, जो पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में वांछित था. उसे आईएसआई ने अपनी टीम में शामिल किया, जिसने उसे ब्रिटिश कोलंबिया के मिसिगन हिल्स में खालिस्तान आंदोलन से जुड़े सिख चरमपंथी संगठनों के लिए गुप्त ट्रेनिंग कैंप संचालित करने में मदद मिली.

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निज्जर ने दिसंबर 2015 में मिशन हिल्स, ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा में एक सशस्त्र प्रशिक्षण शिविर चलाया, जिसमें मनदीप सिंह धालीवाल, सरबजीत सिंह, अनूपवीर सिंह और दर्शन सिंह (फौजी उपनाम) को एके-47 राइफलों, स्नाइपर राइफलों और पिस्तौलों के इस्तेमाल के बारे में बताया गया. उसने जनवरी 2016 में धालीवाल को शिवसेना नेताओं की हत्या करने और वहां सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के इरादे से पंजाब भेजा, लेकिन उसी वर्ष जून में पंजाब पुलिस ने धालीवाल को पकड़ लिया. डोजियर के अनुसार, निज्जर और गैंगस्टर से आतंकवादी बने अर्शदीप सिंह डाला ने चार KTF सदस्यों के एक मॉड्यूल को प्रशिक्षित किया. इस मॉड्यूल ने 2020 और 2021 में टारगेट किलिंग और किडनैपिंग की घटनाओं को अंजाम दिया. बाद में निज्जर प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस से भी जुड़ा और वो कनाडा चैप्टर का प्रमुख बन गया.

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निज्जर ने कनाडा में भारत विरोधी कई हिंसक प्रदर्शन बुलाए और सार्वजनिक रूप से भारतीय राजनयिकों को धमकाया. इसके अलावा, उसने फरमान जारी किया था कि कनाडा के गुरुद्वारे ऐसे आयोजनों की मेजबानी ना करें जिनमें भारतीय दूतावास के प्रतिनिधि शामिल होते हों.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निज्जर को आतंकवादी घोषित किया. उसका नाम 2018 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को सौंपी गई मोस्ट वांटेड सूची में शामिल था. निज्जर, अर्श दल्ला जैसे अपराधियों के साथ मिलकर भारत विरोधी गतिविधियों के लिए भारी मात्रा में धन जुटा रहा था. निज्जर की हत्या 18 जून 2023 को ब्रिटिश कोलंबिया में कर दी गई.

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गुरजिंदर सिंह पन्नू

पन्नू का जन्म 1992 में तरनतारन इलाके में हुआ और अब वो कनाडा के हैमिल्टन में रहता है. वो सिंह खालसा सेवा क्लब का सदस्य होने के साथ-साथ ISYF कार्यकर्ता भी है. इसके अलावा, प्रतिबंधित संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल से भी जुड़ा है. उसने युवा सिखों को कट्टरपंथी बनाया और आतंकवादी मॉड्यूल को सक्रिय करने के लिए धन जुटाया. हथियार खरीदने के लिए उसने जून 2016 से फरवरी 2017 के बीच गुरप्रीत पीट और आतंकवादी सेल के अन्य सदस्यों को 370,836 रुपये भेजे. पन्नू की उसके साथी गुरप्रीत सिंह की तरह ही इंटरपोल को तलाश है. इंटरपोल के अनुसार, उस पर साजिश रचने, आतंकवादियों को पनाह देने, आतंकवादी संगठन से जुड़े होने, आतंकवादी गतिविधियों को वित्त पोषित करने, शस्त्र अधिनियम का उल्लंघन करने और जीवन या संपत्ति को खतरे में डालने जैसे गंभीर आरोप हैं. 2016 में दक्षिणपंथी नेता की हत्या के संबंध में चीमा के अलावा पन्नू के नाम का भी जिक्र किया गया है.

मलकीत सिंह उर्फ ​​फौजी

मलकीत को फौजी के नाम से भी जाना जाता है. उसका जन्म और पालन-पोषण अमृतसर के तलवंडी नाहर में हुआ और वर्तमान में वो कनाडा के सरे में रहता है. वो बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) संगठन से जुड़ा है. मलकीत कट्टरपंथ, भर्ती और वित्तीय सहायता में लगा है. 2014 में उसने आतंकवादी मॉड्यूल को सक्रिय करने के लिए उत्तर प्रदेश से बंदूकें खरीदीं. उसने गुरजीत घेंट, गुरमुख सिंह, हरि सिंह और अन्य लोगों को मनवीर दोहरे के साथ पंजाब में टारगेट किलिंग के लिए भर्ती किया. 2014 में मॉड्यूल बनाने के बाद वो कनाडा चला गया. कनाडा लौटने के बाद भी गुरजीत ने मॉड्यूल के अन्य सदस्यों के साथ संपर्क बनाए रखा. इंटरपोल ने भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने का प्रयास करने या युद्ध छेड़ने में मदद करने का आरोप लगाया है. मलकीत सिंह को प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू के सहयोगियों में गिना जाता है. 

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परविकर सिंह दुलाई

सरे निवासी और कनाडाई नागरिक परविकर सिंह दुलाई एक ISYF कार्यकर्ता है. नवंबर 2015 और नवंबर 2016 में वो पाकिस्तान गया. दुलाई पाकिस्तान में ISI समर्थित खालिस्तानी आतंकवादियों के साथ-साथ KZF के नेता रणजीत सिंह के साथ नियमित रूप से संपर्क में रहता है. इसके अलावा वो गुरजीत सिंह चीमन, गुरपीत सिंह और भगत सिंह बग्गू बराड़ जैसे प्रसिद्ध कनाडाई सिख चरमपंथियों के साथ निकट संपर्क रखता है. उसने और गुरजीत चीमा ने 2017 में पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों की साजिश रची और हथियारों की खरीद, धन उगाहने, प्रशिक्षण और अन्य गतिविधियों की योजना बनाई. दुलाई का नाम 2018 में पंजाब सरकार की वांछित व्यक्तियों की सूची में आया. उसी वर्ष उसे कनाडा में नो-फ्लाई सूची में डाल दिया गया. पंजाब सरकार की 10 लोगों की सूची में शामिल एक और व्यक्ति भगत सिंह बरार को भी नो-फ्लाई सूची में शामिल किया गया है. कनाडा सरकार ने उसे आतंकवाद के मददगार के रूप में स्वीकार किया था. 

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भगत सिंह बराड़

भगत सिंह बराड़ कनाडा में रहता है. वो हरदीप सिंह निज्जर से जुड़ा रहा है. एनआईए ने 2021 में लुधियाना में एक कोर्ट बिल्डिंग में बम विस्फोट में कथित संलिप्तता के लिए उसके पिता लखबीर सिंह रोडे के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था. रोडे कट्टरपंथी सिख उपदेशक जरनैल सिंह भिंडरावाले का भतीजा है.

लखबीर सिंह रोडे के पास कनाडाई नागरिकता है और पाकिस्तान में रहता है. वो 2015 में भारत में आतंकी हमले की तैयारी में शामिल था. 10 जून 2017 को कनाडाई संसद के सामने बराड़ ने मोनिंदर बुआल, सुखमिंदर सिंह हंसरा और गुरपतवंत सिंह पन्नू के साथ प्रमुख वक्ता के रूप में काम किया. ब्रैंपटन निवासी बराड़ को नो-फ्लाई सूची में तब शामिल किया गया, जब कनाडाई अधिकारियों को भरोसा हो गया कि वो एक खालिस्तानी चरमपंथी है और आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों में संलिप्त है. विशेष रूप से विदेशों में आतंकवादी हमलों के लिए धन जुटाने में संलिप्त रहा है.

टहल सिंह

टहल उर्फ ​​टुट जालंधर के परागपुर का रहने वाला है. वो सुलिंदर सिंह का करीबी दोस्त है और सिख अलगाववादियों के लिए पैसे का प्रबंध करता रहा है. टहल सिंह पंजाब में युवाओं को उग्रवाद में झोंकने के लिए सुलिंदर सिंह, गुरजीत सिंह चीमा, गुरप्रीत सिंह बराड़ के साथ काम कर रहा है. वो पिछले 34-35 वर्षों से ब्रैम्पटन, कनाडा में रह रहा है.

सुलिंदर सिंह

सुलिंदर ISYF कार्यकर्ता है और ब्रैम्पटन, कनाडा में रहता है. 2016-17 में उसने और गुरजीत सिंह चीमा ने पंजाब में सिख युवाओं को वहां आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. वो मॉड्यूल के सदस्यों के लिए हथियार खरीदने के लिए धन जुटाने में काफी हद तक शामिल रहा. सुलिंदर पाकिस्तान में तैनात BKI के प्रमुख वधावा सिंह बब्बर के साथ भी अक्सर संवाद करता है.

हरदीप सोहोता

सोहोता खालिस्तान कमांडो फोर्स से जुड़ा हुआ है और सरे में रहता है. उस पर पंजाब में कुछ खास लोगों पर टारगेट अटैक करने की योजना बनाने का आरोप है. वो अलगाववादियों सतिंदर पाल सिंह गिल, परविकर पैरी दुलाई और मोनिंदर बुआल से जुड़ा हुआ है. इसके अलावा वो पाकिस्तान की यात्रा करता है और वहां चरमपंथी सिखों से मिलता है. टारगेट किलिंग के लिए सोहोता ने अगस्त 2016 में कनाडा में जगतार (जग्गी जोहल) से मुलाकात की.

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