
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में गाजा से फिलीस्तीनियों को अरब देशों में ट्रांसफर करने का सुझाव दिया था. ट्रंप चाहते हैं कि युद्धग्रस्त गाजा में शांति के लिए यहां की आबादी को शिफ्ट किया जाए.लेकिन अमेरिका का ये फैसला अरब देशों को रास नहीं आ रहा है. जॉर्डन, मिस्त्र समेत कई अरब देशों ने इसका विरोध किया है. आइए जानते हैं कि आखिर ट्रंप के इस फैसले पर अरब देश क्यों आपत्ति जता रहे हैं और वो इसके विरोध के लिए क्या कर रहे हैं.
अरब देशों ने किया विरोध
अमेरिका के इस प्रस्ताव का अबतक 5 देशों ने खुलकर विरोध किया है. मिस्त्र की राजधानी काहिरा में मिस्त्र, जॉर्डन, यूएई, सऊदी अरब, कतर, फिलिस्तीनी प्राधिकरण और अरब लीग के विदेश मंत्रियों के बीच बैठक हुई. इसमें कहा गया कि वे फिलिस्तीनियों के जबरन गाजा से बाहर निकालने और अरब देशों में बसाने के फैसले के खिलाफ हैं. इन देशों का तर्क है कि इससे अन्य देशों में अस्थिरता फैल जाएगी.
अरब देशों का क्या कहना है...
मिस्त्र ने इस फैसले का विरोध करते हुए फिलिस्तीनियों को अपने देश में शरण देने से इनकार कर दिया है. जॉर्डन का भी कहना है कि वह इस फैसले को नहीं मानेंगे. उन्होंने कहा कि इस कदम से फिलिस्तीनियों के अधिकारों का हनन होगा और शांति की बातें अधर में रह जाएंगी.
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बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, हमास में मौजूद कई लोगों का कहना है कि यह हमारी जमीन है और हमारे पूर्वजों की ऐतिहासिक संपत्ति है. हम इसे मरते दम तक नहीं छोड़ेंगे.
हमेशा पलायन को होना पड़ा है मजबूर
1948 में इजरायल की स्थापना के बाद करीब 7 लाख फिलिस्तीनियों को उनके घरों से निकाल दिया गया था. उन दिनों कई लोग पड़ोसी अरब देशों जैसे जॉर्डन, सीरिया और लेबनान में शरण लेने गए थे. बहुत से लोग अब भी शरणार्थी शिविरों में ही रह रहे हैं. इस दर्दनाक इतिहास को देखते हुए, गाजा के लोग किसी भी तरह के नए पलायन को लेकर गहरे भय में हैं, जो एक बार फिर उन्हें स्थायी रूप से बेघर कर सकता है.
1967 की मिडिल ईस्ट की जंग में जब इजरायल ने वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया तो 3 लाख से अधिक फिलिस्तीनी फिर घर छोड़ने को मजबूर हुए, जिनमें से ज्यादातर जॉर्डन में गए. गाजा छोड़कर अरब देशों में गए लोगों की संख्या 6 मिलियन है, जिनमें से अधिकांश वेस्ट बैंक, गाजा, लेबनान, सीरिया और जॉर्डन के शिविरों और समुदायों में रहते हैं.
कई देशों ने बंद की सीमाएं
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि गाजा में अब कोई भी सुरक्षित स्थान नहीं बचा है. मिस्त्र ने पहले ही गाजा की सीमा को मजबूती से बंद रखा है. मिस्त्र पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है. आंकड़ों के अनुसार, मिस्त्र में करीब 9 मिलियन शरणार्थी रह रहे हैं. ऐसी ही चिंता जॉर्डन ने भी जताई है. अरब देशों का कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो हमारे यहां अस्थिरता पैदा हो जाएगी.