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न्यूक्लियर सबमरीन, बॉम्बर्स और बैलिस्टिक मिसाइल्स... बड़े युद्ध की ओर पुतिन ने बढ़ाए कदम

एक दिन पहले पुतिन ने देश के सामरिक परमाणु बलों के अभ्यास के बारे में जानकारी ली, जिसमें बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के कई अभ्यास प्रक्षेपण शामिल थे. रूस की तरफ से कहा गया कि इसका उद्देश्य था कि देश पर किसी भी खतरे की संभावना से निपटा जा सके और परमाणु युद्ध के खतरों का जवाब देने के लिए हर वक्त तैनात रखा जाए.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन. (फाइल फोटो) रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन. (फाइल फोटो)
उदित नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 9:31 PM IST

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के 246 दिन पूरे हो गए हैं. दोनों देश युद्ध के मैदान में डटे हैं. इस बीच, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ऐलान ने दुनियाभर के देशों की टेंशन बढ़ा दी है. इस बार पुतिन ने न्यूक्लियर एक्सरसाइज का ऐलान किया है. इसके साथ ही रूस की तरफ से सबमरीन, बॉम्बर्स और बैलिस्टिक मिसाइल्स की चेतावनी भी दी जा रही है. माना जा रहा है कि पुतिन अब युद्ध को नया मोड़ देना चाहते हैं और किसी भी हालत में झुकने को तैयार नहीं हैं.

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बता दें कि एक दिन पहले पुतिन ने देश के सामरिक परमाणु बलों के अभ्यास के बारे में जानकारी ली, जिसमें बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के कई अभ्यास प्रक्षेपण शामिल थे. रूस की तरफ से कहा गया कि इसका उद्देश्य था कि देश पर किसी भी खतरे की संभावना से निपटा जा सके और परमाणु युद्ध के खतरों का जवाब देने के लिए हर वक्त तैनात रखा जाए. ऐसे में अब यूक्रेन पर न्यूक्लियर हमले की आशंका एक बार फिर तेज हो गई है. हालांकि, अमेरिका ने रूस को कड़ी चेतावनी दी है. लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या रूस, अमेरिका की चेतावनी पर अपने इरादे बदलेगा? रूस ने इससे पहले फरवरी में भी न्यूक्लियर ड्रिल की थी.

खेरसॉन इलाके में रूसी सेनाओं ने किलेबंदी की

उधर, यूक्रेन की तरफ से कहा गया है कि रूसी सेना अपने कब्जे वाले यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र में गुप्त रूप से निर्माण कार्य कर रही है और अपनी गतिविधि से ध्यान हटाने के लिए यूक्रेन पर आरोप लगाए जा रहे हैं. फिलहाल, रूस अपने वार्षिक परमाणु अभ्यास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. बंदरगाह शहर खेरसॉन इलाके में रूसी अधिकारियों ने अलर्ट जारी किया है. उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि वे इलाके के मुख्य शहर खेरसॉन समेत दाहिने किनारे के एरिया को छोड़ दें, क्योंकि रूसी सैनिकों को यूक्रेन की सेनाओं की तरफ से जवाबी कार्रवाई करनी होती है.

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रूसी ड्रिल के बाद चेतावनियों का दौर शुरू

रूस ने यूक्रेन में हमले तेज करने के अलावा अमेरिका को भी सूचित किया है कि वह अपने परमाणु ठिकानों और बलों का वार्षिक अभ्यास करने की योजना बना रहा है. विशेषज्ञों ने इसे अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए संभावित खतरे के रूप में देखा है. क्योंकि पुतिन ने युद्ध हारने से बचने के लिए परमाणु हथियारों का उपयोग करने की संभावना की घोषणा की है. रूस ने बुधवार को ही अपने वार्षिक परमाणु अभ्यास के रूप में बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च किया है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुद परमाणु बलों के अभ्यास की वर्चुअल निगरानी की. इस ड्रिल के बाद चेतावनियों का दौर शुरू हो गया है. 

युद्ध के मैदान में घुटने टेकने लगा रूस?

पुतिन ने 'डर्टी बम' का इस्तेमाल करने के लिए यूक्रेन और उसकी योजना को जिम्मेदार ठहराया है. ये पहली बार है जब खुद पुतिन ने यूक्रेन पर 'डर्टी बम' का इस्तेमाल करने की साजिश रचने और अपने देश को 'सैन्य प्रयोग के लिए परीक्षण के मैदान' में बदलने का आरोप लगाया. हालांकि, यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने दावों का खंडन किया है और तर्क दिया है कि रूस, युद्ध के मैदान में घुटने टेकने लगा है. उसे लगातार असफलताओं का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए वह खुद एक 'डर्टी बम' विस्फोट करने की कोशिश कर सकता है. 

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नाटो उत्तर पश्चिमी यूरोप में कर रहा वार्षिक परमाणु अभ्यास

रूसी अभ्यास तब हुआ, जब नाटो उत्तर-पश्चिमी यूरोप में अपना वार्षिक परमाणु अभ्यास कर रहा है जो 30 अक्टूबर तक चलेगा. स्टीडफास्ट नून नामक अभ्यास में लगभग 60 विमान शामिल हैं, जिसमें अमेरिकी के लंबी दूरी के बी -52 बमवर्षक और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम लड़ाकू जेट शामिल हैं. नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने रूस के दावे को बेतुका बताया है. उन्होंने कहा कि रूस को युद्ध को आगे बढ़ाने के लिए झूठे बहाने नहीं बनाने चाहिए. यहां तक ​​कि युद्ध के बाद तत्काल शांति की पेशकश नहीं की गई. उसके बावजूद व्लादिमीर पुतिन ने संकेत भेजे हैं कि वह यूक्रेन के साथ सीधी बातचीत के लिए तैयार हैं. 

'दोनों देशों के बीच हो सीधा संवाद'

हाल ही में गिनी बिसाऊ (Guinea Bissau) के राष्ट्रपति उमारो मोख्तार सिसोको एम्बालो (Umaro Mokhtar Sissoco Embalo) के जरिए संदेश आया है, जो राष्ट्रपति वोलोडिमर जेलेंस्की से मिलने के लिए कीव गए थे. उन्होंने कहा- मैं रूस में राष्ट्रपति पुतिन के साथ था, जिन्होंने मुझसे कहा था कि जो हमने बात की, वह आपको आगे बताएं. वह चाहते हैं और सोचते हैं कि आपके दोनों देशों के बीच एक सीधा संवाद होना चाहिए.

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परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकता रूस 

बताते चलें कि रूस से परमाणु को लेकर बयानबाजी सितंबर में शुरू हुई, जब मास्को ने कहा कि वह यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर कब्जा कर रहा है, जिस पर उसके बलों का आंशिक नियंत्रण है. व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस उनकी रक्षा के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. उन क्षेत्रों में से एक खेरसॉन है, जो एक बंदरगाह शहर है जो 'सबसे बड़ी लड़ाई' झेलने का गवाह है. यहां रूसी सेनाएं अभी भी यूक्रेनी सैनिकों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए तैनात हैं.

खेरसॉन से नागरिकों को रूस नियंत्रित क्षेत्र में लेकर जा रहे सैनिक

इतना ही नहीं, रूसी अधिकारियों ने हाल के दिनों में स्थानीय लोगों से पलायन करने का आग्रह किया है. खेरसॉन शहर को एक 'किले' में बदल दिया गया है. बंदरगाह शहर से 70,000 से अधिक निवासियों को निकाला गया है. यूक्रेन ने लोगों के इस आंदोलन की तुलना 'देश निकाला' से की है, क्योंकि उन्हें रूस-नियंत्रित क्षेत्रों में ले जाया जा रहा है.

पुतिन ने जिन चार प्रांतों पर कब्जा किया, उनमें एक खेरसॉन

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जिन चार प्रांतों पर कब्जा किया है, उनमें से खेरसॉन रणनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण है. ये क्रीमिया के लिए एकमात्र भूमि मार्ग को नियंत्रित करता है. इसे रूस ने 2014 में जब्त कर लिया था. खेरसॉन में रूस की हार संघर्ष में उसके सबसे बड़े झटकों में से एक होगी.

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यूक्रेन में ऊर्जा, राशनिंग और ब्लैकआउट का संकट

हाल के मिसाइल और ड्रोन हमलों ने यूक्रेन की 40 प्रतिशत से ज्यादा बिजली पैदा करने वाली क्षमताओं को पहले ही खत्म कर दिया है, जिससे पूरे देश में ऊर्जा, राशनिंग और ब्लैकआउट हो गया है. ऐसे में आने वाले दिनों में यूक्रेन की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं. चूंकि युद्ध जारी है. 

बार-बार परमाणु हमले की धमकी दे रहे पुतिन

गौरतलब है कि सितंबर में रूसी सेना को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. इसलिए पुतिन ने रिजर्व फोर्स को तैनात करने के आदेश दिए और कुछ क्षेत्र में कब्जे की घोषणा की. उसके बाद वे बार-बार परमाणु हथियारों का उपयोग करने की धमकी दे रहे हैं.

इसलिए बढ़ी न्यूक्लियर हमले की आशंका 

पिछले कुछ दिनों से यूक्रेन में न्यूक्लियर हमले की आशंका बढ़ गई है. इसके पीछे कई वजहें बताई जा रही हैं. सबसे पहली वजह रूसी सेना का अचानक बेलारूस की धरती का जंग के लिए इस्तेमाल करना है. माना जा रहा है कि रूस ने यह कदम परमाणु हमले को लेकर उठाया है. हालांकि, बेलारूस के तानाशाह राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको ने कहा है कि रूस यहां अपना सैन्य बेस बनाएगा. लुकाशेंको ने ये साफ नहीं किया कि बेलारूस में रूस की कितनी संख्या में सेनाएं रहेंगी. 

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कई देशों ने यूक्रेन छोड़कर निकलने की सलाह दी

अब यूक्रेन के खिलाफ बेलारूस के रूस को सैन्य मदद के ऐलान से यूरोप में बड़े युद्ध का खतरा बढ़ गया है. इस बीच, नाटो महासचिव स्टॉल्टेनबर्ग ने कहा कि वे यूक्रेन की मदद से पीछे नहीं हटेंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने इन हमलों को पुतिन की बर्बरता करार दिया है. दूसरी वजह ये भी बताई जा रही है कि पिछले दिनों रूस ने यूक्रेन पर आरोप लगाया था कि वो अपनी ही धरती पर डर्टी बम का इस्तेमाल कर सकता है. परमाणु हमले की आशंका इसलिए भी बढ़ रही है, क्योंकि कई देश अचानक अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़कर फौरन निकलने की सलाह दे रहे हैं, जिसमें भारत भी शामिल है.

(एजेंसी के इनपुट के साथ)

 

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