
ईरान ने मंगलवार रात इजरायल पर ताबड़तोड़ हमले किए जिससे पूरे मध्यपूर्व में एक व्यापक युद्ध का खतरा पैदा हो गया है. इससे पहले इजरायल हमले में पहले ईरान समर्थित लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह मारे गए थे. और अब जवाबी कार्रवाई में ईरान ने इजरायल पर हमला कर दिया है. तेल उत्पादक देश ईरान के युद्ध में शामिल होने से कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल देखा गया है.
मंगलवार को तेल की कीमतों में लगभग 3% की बढ़ोतरी देखी गई. ग्लोबल ट्रेडमार्क क्रूट ब्रेंट 1.86 डॉलर यानी 2.6% बढ़कर 73.56 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड 1.66 डॉलर यानी 2.4% बढ़कर 69.83 डॉलर पर बंद हुआ. मंगलवार को ही दोनों क्रूड बेंचमार्क में 5% से अधिक का उछाल देखा गया था.
गिरावट के बाद तेल की कीमतों में उछाल
पिछले सप्ताह ब्रेंट में लगभग 3% की गिरावट आई थी, जबकि WTI में लगभग 5% की गिरावट आई. हालांकि, ईरान के साथ इजरायल के संघर्ष की संभावना के मद्देनजर सोमवार को तेल की कीमतों में उछाल आया. ईरान के प्रॉक्सी हिजबुल्लाह और यमन के हूती विद्रोहियों पर इजरायल के तेज होते हमले के बीच तनाव के और अधिक बढ़ने की आशंका है जिससे तेल की कीमतें बढ़ीं. शीर्ष तेल उत्पादकों में शामिल ईरान पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) का एक प्रमुख सदस्य है.
फिलिप नोवा की वरिष्ठ बाजार विश्लेषक प्रियंका सचदेवा ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि बाजार को डर है कि मध्य-पूर्व का संकट बढ़ेगा जिससे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों से सप्लाई कम हो सकती है.
आईजी मार्केट्स के बाजार विश्लेषक टोनी साइकैमोर का कहना है कि हिजबुल्लाह पर इजरायल के हमले के संदर्भ में, तेल की कीमतें सप्लाई और मांग के हिसाब से घटती-बढ़ती रहेंगी.
इंडिपेंडेंट पॉलिटिकल रिस्क रणनीतिकार क्ले सीगल ने रॉयटर्स को बताया, 'इजरायल ईरान पर सीधे हमला करने में अब जरा भी संकोच नहीं करेगा. बहुत संभावना है कि वो ईरान के तेल असेस्ट्स को निशाना बनाएगा.'
सीगल ने कहा कि अगर इजरायल ईरान के तेल उत्पादन और निर्यात फैसिलिटीज पर हमला करता है तो बड़ा नुकसान होगा जो प्रतिदिन 10 लाख बैरल से भी अधिक हो सकता है.
भारत पर क्या होगा असर?
भारत की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक कच्चे तेल पर निर्भर है. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का उपभोक्ता है और अपनी जरूरत का 85 फीसद से अधिक तेल आयात करता है. ऐसे में तेल की बढ़ती कीमतों का असर भारत पर भी देखने को मिल सकता है.
भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का कुछ हिस्सा ईरान से भी खरीदता है. हालांकि, ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच ईरान से भारत की तेल खरीद कम हुई है. वित्त वर्ष 2014-15 में जहां भारत ने ईरान से 4 अरब डॉलर से अधिक का कच्चा तेल खरीदा था वहीं 2019-20 में यह गिरकर महज 1.4 अरब डॉलर रह गया था.
एसएस वेल्थस्ट्रीट की संस्थापक सुगंधा सचदेवा ने इस बात पर जोर दिया कि मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव वैश्विक तेल की कीमतों पर बड़ा असर डालेंगे. खास तौर से होर्मुज स्ट्रेट को देखते हुए जो एक महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग है. इस शिपिंग रास्ते से वैश्विक तेल व्यापार का 30 प्रतिशत तेल गुजरता है.
सचदेवा ने चेतावनी दी कि होर्मुज स्ट्रेट में कोई भी रुकावट वैश्विक तेल सप्लाई और माल ढुलाई को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है, जिससे रसद संबंधी चुनौतियां और बढ़ सकती हैं. उनका कहना है कि कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा 71 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 85-87 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं जो भारत के लिए चिंता की बात है.
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी भारत का बजट बिगाड़ने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकती है. इससे रुपये पर भी दबाव पड़ सकता है और विदेशी पूंजी प्रवाह पर भी नकारात्मक असर हो सकता है.
ईरान से भारत न केवल कच्चा तेल बल्कि सूखे मेवे, रसायन और कांच के बर्तन भी खरीदता है. ईरान के इजरायल पर हमले से सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है जिससे इस व्यापार पर भी असर होगा.
क्षेत्र में तनाव को लेकर विदेश मंत्री क्या बोले?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव को लेकर भारत बेहद चिंतित है. इजरायल और ईरान के बीच बढ़े तनाव ने क्षेत्र में एक बड़े युद्ध का खतरा बढ़ा दिया है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के मुद्दों को सुलझाने के लिए भारत चर्चा और कूटनीति के जरिए इसका हिस्सा बन सकता है.
विदेश मंत्री ने वाशिंगटन में एक थिंक टैंक से बात करते हुए कहा, 'मुश्किल वक्त में बातचीत के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता है. अगर कुछ बातचीत करनी है या किसी तक कोई संदेश पहुंचाना हो और फिर वापस उसे संदेश देना है तो मुझे लगता है कि ये हम कर सकते हैं.' विदेश मंत्री के इस बयान के कुछ घंटे बाद ही इजरायल पर ईरान के मिसाइलों की बौछार शुरू हुई.