बिना पैसे दिए इस देश से तेल खरीदने की तैयारी में है भारत, जानें क्या है यह डील

भारत की प्रमुख तेल कंपनी ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC) विदेश लिमिटेड का लगभग 600 मिलियन डॉलर का लाभांश वेनेजुएला में फंसा हुआ है. ONGC इस लाभांश के बदले वेनेजुएला से तेल खरीदना चाहती है. हालांकि, भारत के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की ओर से इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है.

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फाइल फोटो-रॉयटर्स फाइल फोटो-रॉयटर्स

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 4:23 PM IST

भारत की प्रमुख तेल कंपनी ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC) विदेश लिमिटेड दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला से अपने लाभांश के बदले तेल खरीदने की बातचीत कर रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, ONGC का लगभग 600 मिलियन डॉलर का लाभांश वेनेजुएला में फंसा हुआ है. मामले से अवगत दो लोगों ने बताया है कि ओएनजीसी अपने फंसे लाभांश के बदले वेनेजुएला से तेल खरीद की बातचीत कर रही है.

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ONGC और वेनेजुएला के बीच तेल खरीद को लेकर बातचीत तब संभव हो पाई है जब अक्टूबर 2023 में वेनेजुएला सरकार और विपक्षी दलों के बीच हुए समझौते के बाद अमेरिका ने वेनेजुएला के तेल एवं गैस पर लगे प्रतिबंधों को खत्म कर दिया था. साल 2019 से ही वेनेजुएला के तेल एवं गैस पर प्रतिबंध लगा हुआ था. प्रतिबंध लगने से पहले वेनेजुएला भारत का पांचवां सबसे बड़ा तेल सप्लायर था. 

वेनेजुएला से तेल डील भारत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा तेल खरीददार है. भारत शुरुआत से ही कहता आ रहा है कि उसे जहां से सस्ता तेल मिलेगा,  वहीं से खरीदेगा. ऐसे में अगर वेनेजुएला से लाभांश के बदले तेल मिलता है तो भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ेगा.

वेनेजुएला में फंसा 600 मिलियन डॉलर का लाभांश

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दरअसल, वेनेजुएला के पेट्रोलियोस डी वेनेजुएला एसए के सैन क्रिस्टोबल परियोजना में भारत का भी निवेश है. ओएनजीसी विदेश लिमिटेड के एक प्रवक्ता ने भी इस बात की पुष्टि की है कि सैन क्रिस्टबल परियोजना पर कंपनी का लगभग 600 मिलियन डॉलर का लाभांश बकाया है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों में छूट के बाद कंपनी लाभांश के बदले तेल खरीदने को लेकर बातचीत कर रही है.

अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ने 2008 में सैन क्रिस्टोबल परियोजना में 40 फीसदी का अधिग्रहण किया था. इस परियोजना का घोषित लाभांश 400 मिलियन डॉलर है. वहीं, अघोषित लाभांश भी लगभग 200 मिलियन डॉलर है. वेनेजुएला के पूर्व राष्ट्रपति ह्यूगो चावेज ने इस कंपनी की कमाई से देश में लोक लुभावन खर्च किए. इसके बाद से ही भारत को लाभांश का भुगतान नहीं किया गया है.

भारत के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की ओर से इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है. हालांकि, मामले से अवगत दो लोगों ने मिंट को नाम ना छापने की शर्त पर कहा है कि वेनेजुएला में फंसे लाभांश के बदले हम तेल कार्गो खरीदने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन वेनेजुएला के तेल एवं गैस पर लगे प्रतिबंधों को फिलहाल छह महीने के लिए हटाया गया है. इसके अलावा वेनेजुएला के पास तेजी से उत्पादन बढ़ाने की भी क्षमता नहीं है. 

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वेनेजुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार

कमोडिटी इनसाइट्स वेबसाइट एसएंडपी के मुताबिक, वेनेजुएला की वर्तमान उत्पादन क्षमता अभी 8-8.5 लाख बैरल प्रति दिन है, जबकि वर्तमान उत्पादन लगभग 7.5 लाख बैरल प्रति दिन है. अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाने से पहले भारत वेनेजुएला से लगभग तीन लाख बैरल प्रतिदिन तेल खरीदता था. 

भारत सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2019 तक वेनेजुएला, भारत के लिए पांचवां सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश था. 2019 में वेनेजुएला ने भारत को लगभग 16 मिलियन टन कच्चा तेल निर्यात किया था. यानी भारत ने लगभग 5.7 अरब डॉलर का तेल आयात किया था.

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के सदस्य देशों में शामिल वेनेजुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार है.

15 देशों में मौजूद है ONGC विदेश लिमिटेड 

ONGC कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की सबसे बड़ी भारतीय कंपनी है. यह भारत सरकार का एक उपक्रम है. ओएनजीसी विदेश लिमिटेड भी इसी का एक उद्यम है. यह विदेश में तेल और गैस का उत्पादन करने वाली भारत की पहली कंपनी है. इसकी शुरुआत 2003 में वियतनाम से हुई थी. वहीं, ONGC की स्थापना 14 अगस्त 1956 में हुई थी.

OVL के पास रूस के अलावा वेनेजुएला और वियतनाम समेत कुल 15 देशों के 33 तेल और गैस संपत्तियों में हिस्सेदारी है. 

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