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ऑपरेशन कावेरी के तहत पहला जत्था रवाना, 278 भारतीयों को सूडान से लेकर निकला INS सुमेधा

अफ्रीकी देश सूडान इस समय भीषण गृहयुद्ध से जूझ रहा है. यहां आर्मी और पैरामलिट्री फोर्स के बीच सत्ता पर कब्जे को लेकर जंग छिड़ गई है. इस बीच भारतीयों को सूडान से बाहर निकालने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन कावेरी शुरू किया है.

सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भारत सरकार का ऑपरेशन कावेरी सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भारत सरकार का ऑपरेशन कावेरी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 3:22 AM IST

संकटग्रस्त सूडान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए भारत सरकार का ऑपरेशन कावेरी सुर्खियों में है. इस ऑपरेशन के तहत वहां फंसे भारतीयों का पहला जत्था सूडान से रवाना हो गया है. 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट कर बताया कि ऑपरेशन कावेरी के तहत INS सुमेधा 278 भारतीयों को लेकर पोर्ट सूडान से जेद्दा के लिए रवाना हो गया है. दूसरा जत्था भी 121 भारतीयों को लेकर निकल गया है.

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इससे पहले सोमवार को 500 भारतीय पोर्ट सूडान पहुंच गए थे. लेकिन पहले जत्थे में सिर्फ 278 भारतीयों को लेकर ही जहाज सूडान के बंदरगाह से सऊदी अरब के शहर जेद्दा के लिए रवाना हुआ. 

वायुसेना के दो C-130 विमान और नौसेना का आईएनएस सुमेधा जहाज सूडान में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए सऊदी अरब और सूडान में हैं. वायुसेना के जहाज सऊदी अरब के जेद्दा में तैनात हैं.

सऊदी और फ्रांस ने भी भारतीयों को सुरक्षित निकाला

सऊदी अरब भी संकटग्रस्त देश सूडान में फंसे भारतीयों की मदद को आगे आया. सऊदी अरब ने सूडान से भारत और बांग्लादेश सहित कई देशों के नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला है.

फ्रांसीसी वायुसेना ने भी अपने नागरिकों के साथ पांच भारतीय नागरिकों को सूडान से बाहर निकाला. तीन उड़ानों के जरिए लगभग 500 लोगों को जिबूती में फ्रांस के सैन्यअड्डे पर लाया गया. इनमें भारतीयों के साथ 28 से अधिक देशों के लोग शामिल थे.

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बता दें कि सूडान में लगभग दो हफ्ते से आर्मी और पैरामिलिट्री फोर्स में जंग चल रही है. इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, सूडान में तीन हजार से ज्यादा भारतीय फंसे हैं.

क्या है ऑपरेशन कावेरी?

- संकटग्रस्त देशों में फंसे अपने नागरिकों को निकालने के लिए भारत ऐसे ऑपरेशन शुरू करता है. जब अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा किया था, तो वहां से अपनों को निकालने के लिए भारत ने 'ऑपरेशन देवी शक्ति' लॉन्च किया था.

- इसी तरह जब पिछली साल रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जंग शुरू कर दी थी, तो वहां फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भारत ने 'ऑपरेशन गंगा' शुरू किया था. 

- अब जब सूडान में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं तो वहां रह रहे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए केंद्र सरकार ने 'ऑपरेशन कावेरी' शुरू किया है.

कैसे निकाला जाएगा भारतीयों को?

- इसके लिए वायुसेना और नौसेना की मदद ली जा रही है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय वायुसेना के दो ट्रांसपोर्ट विमान C-130J सऊदी अरब के जेद्दाह में स्टैंडबाय पर हैं.

- इसी तरह नौसेना का जहाज आईएनएस सुमेधा तो पोर्ट सूडान भी पहुंच गया है. इसी जहाज के जरिए पहले 500 भारतीयों को वहां से लाया जा रहा है.

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- हालांकि, विदेश मंत्रालय का ये भी कहना है कि वहां से भारतीयों को निकालने का प्लान जमीनी हालात पर भी निर्भर करेगा. क्योंकि राजधानी खार्तूम में हालात 'अस्थिर' बने हुए हैं.

- इसके अलावा भारत उन देशों के साथ भी को-ऑर्डिनेट कर रहा है, जो वहां फंसे अपने नागरिकों को बाहर निकालना चाहते हैं.

सूडान में कैसे बिगड़ रहे हालात?

- सूडान में कुछ दिन पहले सेना और पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के बीच जंग शुरू हो गई थी. ये संघर्ष सेना के कमांडर जनरल अब्देल-फतह बुरहान और पैरामिलिट्री फोर्स के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो के बीच हो रहा है. जनरल बुरहान और जनरल डगालो, दोनों पहले साथ ही थे. 

- मौजूदा संघर्ष की जड़ें अप्रैल 2019 से जुड़ी हैं. उस समय सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ जनता ने विद्रोह कर दिया था. बाद में सेना ने अल-बशीर की सत्ता को उखाड़ फेंक दिया था. 

- बशीर को सत्ता से बेदखल करने के बावजूद विद्रोह थमा नहीं. बाद में सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच एक समझौता हुआ. समझौते के तहत एक सोवरेनिटी काउंसिल बनी और तय हुआ कि 2023 के आखिर तक चुनाव करवाए जाएंगे. उसी साल अबदल्ला हमडोक को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. 

- लेकिन इससे भी बात नहीं बनी. अक्टूबर 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया. जनरल बुरहान काउंसिल के अध्यक्ष तो जनरल डगालो उपाध्यक्ष बन गए.

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किस बात को लेकर हो रही है जंग?

- जनरल बुरहान और जनरल डगालो कभी साथ ही थे, लेकिन अब दोनों एक-दूसरे के खिलाफ हो गए हैं. इसकी वजह दोनों के बीच मनमुटाव होना है. 

- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, दोनों के बीच सूडान में चुनाव कराने को लेकर एकराय नहीं बन सकी. इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि सेना ने प्रस्ताव रखा था जिसके तहत आरएसएफ के 10 हजार जवानों को सेना में ही शामिल करने की बात थी. 

- लेकिन फिर सवाल उठा कि सेना में पैरामिलिट्री फोर्स को मिलाने के बाद जो नई फोर्स बनेगी, उसका प्रमुख कौन बनेगा. 

- बताया जा रहा है कि बीते कुछ हफ्तों से देशभर के अलग-अलग हिस्सों में पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती बढ़ गई थी, जिसे सेना ने उकसावे और खतरे के तौर पर देखा.

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