
लेबनान में पेजर बम विस्फोट और वॉकी-टॉकी ब्लास्ट ने तकनीक के खतरनाक इस्तेमाल को लेकर पूरी दुनिया में घबराहट पैदा कर दी है. इजरायल विरोधी लेबनानी समूह हिज्बुल्लाह के लड़ाकों को निशाना बनाकर किए गए इन हमलों में दर्जनों लोग मारे गए और हजारों घायल हुए. इस हमले के बाद अमेरिका भी सतर्क हो गया है. अमेरिकी वाणिज्य विभाग सुरक्षा चिंताओं के कारण देश में चल रही गाड़ियों में चीनी सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर पर प्रतिबंध लगाने की सोच रहा है.
सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को अमेरिका की इस चिंता की जानकारी दी. अमेरिका के वाणिज्य सचिव जीना रेमोंडो ने कहा, 'आप कल्पना कर सकते हैं जब सड़कों पर लाखों कारें चल रही हों और अचानक से उनके सॉफ्टवेयर को निष्क्रिय कर दिया जाए तो कितना बड़ा महाविनाश होगा.'
सूत्रों ने बताया कि अगर अमेरिका चीन के खिलाफ यह कदम उठाता है तो चीन से ऑटोमैटिक ड्राइविंग सिस्टम सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर वाली गाड़ियों के आयात और ब्रिकी पर प्रतिबंध लग जाएगा.
अमेरिका की सड़कों पर चलने वाली लगभग सभी गाड़ियों को कनेक्टेड माना जाता है. कनेक्टेड गाड़ियों में ऑनबोर्ड नेटवर्क हार्डवेयर होता है जिससे इंटरनेट का एक्सेस मिलता है. इससे गाड़ी के अंदर और बाहर दोनों जगह डिवाइस के साथ डेटा शेयर कर सकते हैं.
नवंबर में अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने इस बात को लेकर चिंता जताई थी कि अमेरिका में गाड़ियों की टेस्टिंग के समय चीनी ऑटो और टेक कंपनियां संवेदनशील डेटा लेती हैं और उसे भविष्य के लिए संभालकर रख सकती हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने फरवरी में चीन से खरीदी जाने वाली गाड़ियों के सुरक्षा रिस्क की जांच के आदेश दिए थे.
ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट में चीनी स्पाइवेयर को लेकर दी गई चेतावनी
पिछले साल एक ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि खुफिया अधिकारियों को चीनी स्पाइवेयर को लेकर चिंताएं थीं. इस कारण उन्होंने सरकारी और राजनयिक गाड़ियों की जांच कराई थी. जांच में कम से कम एक सिम कार्ड मिला जो लोकेशन का डेटा भेज सकता था. रिपोर्ट में दावा किया गया था कि डिवाइस को एक चीनी सप्लायर से खरीदा गया था.
लेबनान में पेजर और वॉकी-टॉकी ब्लास्ट से पहले माना जाता था कि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के जरिए जासूसी का काम किया जा सकता है लेकिन ब्लास्ट के बाद एक नए तरह के युद्ध का खतरा बढ़ गया है. अब दूर रहते हुए भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में ब्लास्ट कर तबाही मचाई जा सकती है जैसे कि कनेक्टेड कारों को निष्क्रिय करना और सड़क पर भारी तबाही मचा देना.
सप्लाई चेन में सेंध का खतरा बढ़ा
लेबनान में पेजर विस्फोट के लिए हिज्बुल्लाह ने इजरायल को दोषी ठहराया है. इस हमले ने सप्लाई चेन वॉर का नया खतरा पेश किया है. एक रिपोर्ट में कहा गया कि इजरायल ने ताइवान की एक फर्म 'गोल्ड अपोलो' के बनाए पेजर में विस्फोटक डाले.
रिपोर्टों के अनुसार, विस्फोट हुए पेजरों के टुकड़ों पर गोल्ड अपोलो के लोगो और स्टिकर लगे थे. हालांकि, गोल्ड अपोलो ने दावा किया है कि उसके पेजर बुडापेस्ट (हंगरी) स्थित बीएसी कंसल्टिंग ने बनाए थे. कंसल्टिंग कंपनी के पास गोल्ड अपोलो के लोगो के इस्तेमाल का मालिकाना हक था. और हंगरी के अधिकारियों ने कहा कि कंपनी एक व्यापारिक मध्यस्थ है, और देश में कुछ भी बनाती नहीं है.
ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक सप्लाई चेन अक्सर कई देशों में फैले कॉन्ट्रैक्टर्स, सब-कॉन्ट्रैक्टर्स और कॉम्पोनेंट सप्लायरों की भूलभुलैया से होकर गुजरती हैं. इन सप्लाई चेन्स में चीन की भूमिका बहुत बड़ी है क्योंकि यह दुनिया को सबसे ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई करता है.
चीन के शेन्जेन स्थित चीनी दूरसंचार कंपनी Huawei कई सालों से चीन और अमेरिका के बीच तकनीक प्रतिद्वंद्विता के केंद्र में है. अमेरिकी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि इसके डिवाइस का इस्तेमाल कर चीनी अधिकारी जासूसी का काम कर सकते हैं, हालांकि चीन ने इन आरोपों का खंडन किया है.
बिजनेस रिस्क कंसल्टेंसी फर्म क्रोल के सप्लाई चेन विशेषज्ञ माइकल वाट ने वॉशिंगटन पोस्ट को बताया कि सरकारें अपने बंदरगाहों से आने-जाने वाले सामानों के शिपमेंट की जांच बढ़ाना शुरू कर सकती हैं.
वाट ने कहा, 'यह देश की सरकारों के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए कि वे अपने कस्टम कंट्रोल में आने वाले सभी सामानों में किसी भी तरह की कमी पर विचार करें.'
लेकिन वर्तमान हालात ये हैं कि अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक सामान जब एक से दूसरे देश आते हैं तो उनकी बहुत कम जांच होती है. वाट का कहना है कि अगर सभी सामानों की अतिरिक्त जांच शुरू कर दी जाए तो इससे सप्लाई चेन में अतिरिक्त अड़चन भी पैदा होगी.
पेजर्स ब्लास्ट ने चीन की भी चिंता बढ़ाई
पेजर ब्लास्ट के बाद जहां अमेरिका चीन से आयात इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को लेकर सतर्क हो गया है, वहीं चीन भी इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को उसके खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल करने के लेकर चिंता में हो सकता है.
सिंगापुर में एस राजारत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के रिसर्च फेलो मुहम्मद फैजल अब्दुल रहमान ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से बात करते हुए कहा कि चीन अब अमेरिका और उसके सहयोगियों - जिसमें ताइवान भी शामिल है- इनके बनाए इलेक्ट्रॉनिक और कम्यूनिकेशन प्रोडक्ट्स को अधिक संदेह की नजर से देखेगा.
उन्होंने कहा, 'चीन में कुछ लोग हैं जो यह मानते हैं कि ताइवान, जो अमेरिका का करीबी सहयोगी है और इस हिसाब से इजरायल के भी नजदीक है, किसी तरह इस सीक्रेट ऑपरेशन में शामिल है. इसके बाद चीन ताइवान के बाकी उद्योगों पर भी और अधिक सतर्क नजर रख सकता है.'
अब्दुल रहमान कहते हैं कि दुनिया की बड़ी शक्तियों और उनके सहयोगियों की खुफिया और सैन्य एजेंसियां ग्लोबल सप्लाई चेन का गलत इस्तेमाल कर पहले से ही वार डिवाइस तैयार कर रख सकती हैं. वो इन तैयार डिवाइस को किसी संघर्ष या युद्ध के समय सक्रिय कर तबाही मचा सकती हैं.