
पाकिस्तान में अगले साल आठ फरवरी को आम चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है. इस बीच पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि देश का अगला प्रधानमंत्री लाहौर से नहीं होगा. कहा जा रहा है कि ऐसा कहकर उन्होंने नवाज शरीफ पर निशाना साधा है, जो लाहौर के रहने वाले हैं.
पाकिस्तान में चुनाव से पहले समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. बिलावल ने एक तरफ संकेत दिए हैं कि उनकी पार्टी अगले साल अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. उनकी पार्टी पीपीपी को चुनाव में जीत हासिल करने के लिए किसी और की मदद लेने की जरूरत नहीं है.
बिलावल ने कहा कि जब चुनाव की बात आती है तो हमारी पार्टी सिर्फ लोगों से मदद की उम्मीद करती है. हमें किसी और से मदद की उम्मीद नहीं रहती. देश का अगला पीएम वही होगा, जिसे मुल्क की जनता चुनेगी. मेरा मानना है कि इस बार देश का प्रधानमंत्री लाहौर से नहीं होगा.
बता दें कि बिलावल का यह बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब पीपीपी ने रविवार को सिंध के 14 जिलों में हुए उपचुनाव में बड़ी जीत दर्ज की है.
नवाज की पार्टी और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट मिलकर लड़ेगी चुनाव
पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) ने मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ के साथ लाहौर में एमक्यूएम-पी के प्रतिनिधिमंडल की बैठक के बाद यह ऐलान किया गया है.
एमक्यूएम-पी ने सोमवार को कहा था कि पीएमएल-एन नेता और पू्र्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने उनके नेता खालिद मकबूल सिद्दीकी से संपर्क साधा था और उन्हें नवाज शरीफ से मिलने के लिए आमंत्रित किया था. बता दें कि नवाज शरीफ 21 अक्टूबर को ही चार साल बाद पाकिस्तान लौटे हैं.
नौ अगस्त को पाकिस्तानी संसद भंग
देश में नौ अगस्त की आधीरात को पाकिस्तान की संसद भंग कर दी गई थी. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सलाह पर आधीरात में भंग कर दी थी. इसके साथ ही शहबाज शरीफ सरकार का कार्यकाल भी समाप्त हो गया था. संसद को भंग करने को लेकर जारी नोटिफिकेशन में कहा गया था कि नेशनल असेंबली को संविधान के आर्टिकल 58 के तहत भंग किया गया है. संसद का पांच साल का कार्यकाल आधिकारिक तौर पर 12 अगस्त को खत्म होना था.
बता दें कि शहबाज शरीफ ने राष्ट्रपति अल्वी को पत्र लिखकर संसद को भंग करने की सिफारिश की थी. आर्टिकल 58 के तहत अगर राष्ट्रपति संसद भंग करने के लिए प्रधानमंत्री की सिफारिश के 48 घंटे के भीतर असेंबली को भंग नहीं करते हैं तो यह स्वत: ही भंग हो जाएगी.