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पाकिस्तान ने भारत पर मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के घर के बाहर ब्लास्ट कराने का आरोप लगाया है. पिछले साल जून में हाफिज सईद के घर के बाहर ये धमाका हुआ था. इसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी. जबकि 2 पुलिसकर्मी समेत 24 लोग जख्मी हुए थे. इतना ही नहीं पाकिस्तान ने दावा किया है कि इस हमले का मास्टरमाइंड बबलू श्रीवास्तव है.
पाकिस्तान के गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह खान ने पंजाब काउंटर टेररिज्म के एडिशनल इंस्पेक्टर जनरल के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा कि इस ब्लास्ट का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे पास सबूत हैं कि इस हमले के पीछे भारत का हाथ था. उन्होंने कहा कि हमने दुनिया के सामने अपनी बात रखने का फैसला किया है.
हमले का दोषी सबूतों के साथ गिरफ्तार- सनाउल्लाह
सनाउल्लाह ने दावा किया कि विदेश मंत्रालय यह मामला दुनिया के सामने रखेगा क्योंकि इस हमले के दोषी को सबूतों के साथ गिरफ्तार किया गया है. सबूत बताते हैं कि भारत इसमें सीधे तौर पर शामिल था. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत पाकिस्तान में बैन तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का भी समर्थन कर रहा है. वहीं, पाकिस्तान के पंजाब काउंटर टेररिज्म (CTD) के एडिशनल इंस्पेक्टर जनरल इमरान महमूद ने दावा किया कि हमें पता चला है कि भारत की ओर से पाकिस्तान में कई माध्यमों से आतंक फैलाने के लिए फंडिंग भी की गई है.
राणा सनाउल्लाह ने कहा कि भारतीय खुफिया एजेंसी RAW के दो एजेंट अंडरवर्ल्ड डॉन बबलू श्रीवास्तव और अली बुदेश ने ये बम धमाके करवाए थे. बबलू श्रीवास्तव फिलहाल यूपी के बरेली जेल में बंद है. अली बुदेश बहरीन में था कुछ महीनों पहले बुदेश की बीमारी से मौत हो गई है.
डर की वजह से अंडरग्राउंड हो चुके हैं बड़े आतंकी
सूत्रों के मुताबिक, इस बम धमाके के बाद हाफिज सईद डर की वजह से अंडरग्राउंड हो चुका है. इतना ही नहीं पिछले कुछ साल में पाकिस्तान में कई आतंकी संगठन के चीफ पर हमले हुए हैं. सैयद सलाउद्दीन पर इस्लामाबाद में हमला हुआ जिसके बाद से वो भी अंडरग्राउंड है. हाफिज के बेटे तलहा सईद पर लाहौर में हमला हुआ जिसके बाद वो भी अंडरग्राउंड है. जैश के चीफ मौलाना मसूद पर पेशावर में हमला हुआ जिसके बाद से वो भी डरा सहमा है और खुलकर रैली करने से डरता है. पाकिस्तान में पिछले कुछ सालों में लगभग सभी बड़े आतंकी संगठन के आकाओं पर आत्मघाती हमले हो चुके हैं.
200 किलोग्राम विस्फोटक का हुआ था इस्तेमाल
हाफिज सईद इन दिनों टेरर फंडिंग के मामले में लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद है. पिछले साल जून में उसके जोहर में स्थित घर के बाहर ब्लास्ट हुआ था. इसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी. जबकि 24 घायल हो गए थे. ब्लास्ट के अफवाह उड़ी थी कि हाफिज सईद उस वक्त घर में मौजूद था. पाकिस्तान की पुलिस के मुताबिक, इस हमले में 200 किलोग्राम विस्फोटक इस्तेमाल किया गया था. यह रिहायशी इलाका था, ऐसे में इस हमले में तमाम घरों को भी नुकसान पहुंचा था. हालांकि, अभी तक किसी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है.
बबलू श्रीवास्तव RAW का एजेंट- पाक
इस हमले के मामले में CTD ने मामला दर्ज किया था. इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था. CTD अफसर के मुताबिक, इस मामले में पीटर पॉल डेविड, की पहचान कार के जरिए की गई थी. आरोप है कि डेविड ने इस हमले की देखरेख की थी. पाकिस्तान का दावा है कि डेविड का संबंध RAW के दो एजेंट्स है. ये एजेंट्स बबलू श्रीवास्तव और अली बुदाइश हैं. इन्हीं दोनों एजेंट्स ने डेविड को फंडिंग की.
इमरान महमूद ने बबलू श्रीवास्तव को RAW का फ्रंट मैन बताया और वह रॉ के टेरर फाइनेंसिंग और फैसिलेटिंग नेटवर्क को चलाता है. इमरान महमूद ने कहा कि संजय तिवारी रॉ ऑपरेटर है और बबलू श्रीवास्तव के टेरर नेटवर्क का सुपरवाइजर है. उन्होंने दावा किया कि संजय तिवारी समी उल हक और नवीद अख्तर का हेंडलर था, जिन्होंने इस विस्फोट को अंजाम दिया था.
कौन है बबलू श्रीवास्तव?
माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव का असली नाम ओम प्रकाश श्रीवास्तव है. वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले का रहने वाला है. उनका घर आम घाट कॉलोनी में था. उसके पिता विश्वनाथ प्रताप श्रीवास्तव जीटीआई में प्रिंसिपल थे. बबलू का बड़ा भाई विकास श्रीवास्तव आर्मी में कर्नल है.
ओमप्रकाश श्रीवास्तव उर्फ बबलू ने एक बार पेशी के दौरान खुद मीडिया के सामने खुलासा किया था कि वह अपने भाई की तरह सेना में अफसर बनना चाहता था. या फिर उसे आईएएस अधिकारी बनने की ललक थी. लेकिन उसकी जिंदगी को कॉलेज की एक छोटी सी घटना ने पूरी तरह बदल दिया. और वह कुछ और ही बन गया.
कैसे आया अपराध की दुनिया में?
बबलू श्रीवास्तव लखनऊ विश्वविद्यालय में लॉ का छात्र था. 1982 में छात्रसंघ चुनाव के दौरान दो छात्र गुटों में चुनावी झगड़ा हुआ. जिसमें किसी ने एक छात्र को चाकू मार दिया. घायल छात्र का संबंध लखनऊ के माफिया अरुण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना के साथ था. इस मामले में अन्ना ने बबलू श्रीवास्तव को आरोपी बनाकर जेल भिजवा दिया. यह बबलू के खिलाफ पहला मुकदमा था. इसके बाद बबलू माफिया रामगोपाल मिश्र के संपर्क में आ गया.
मुंबई हमलों के बाद छोड़ा दाऊद इब्राहिम का साथ
बबलू उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र तक अपनी पकड़ बना चुका था. उसने अंडरवर्ल्ड की दुनिया में अपहरण को तरजीह दी. इस धंधे में उसने कई लोगों को मात दे दी थी. उसके नाम पुलिस ने अपहरण के कई मामले दर्ज किए थे. उसने फिरौती के लिए कई लोगों का अपहरण किया. जुर्म की दुनिया में लोग उसे किडनैपिंग किंग कहने लगे थे. 1984 से शुरू हुआ उसका आपराधिक ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा था. 1989 में वह पुलिस से बचने के लिए चंद्रास्वामी से मिला. लेकिन उसके साथ बबलू की ज्यादा नहीं बनी. बबूल वहां से नेपाल चला गया और कुछ साल वहां रहने के बाद वह 1992 में दुबई जा पहुंचा. जहां नेपाल के माफिया डॉन और राजनेता मिर्जा दिलशाद बेग ने उसकी मुलाकात अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से कराई. सिर पर दाऊद का हाथ आ जाने से बबलू श्रीवास्तव की ताकत बढ़ती जा रही थी. लेकिन 1993 में अचानक मुंबई एक साथ कई धमाकों से दहल गई. इन धमाकों के पीछे डॉन दाऊद इब्राहिम का नाम आने लगा. इसी दौरान छोटा राजन और बबलू श्रीवास्तव समेत कई लोगों ने डी कंपनी को अलविदा कह दिया.
जेल में बंद है बबलू
1995 में माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव मॉरिशस में पकड़ा गया था. उसके बाद उसे भारत लाया गया. यहां उसके खिलाफ करीब 60 मामले चल रहे थे. जिसमें से अब केवल चार लंबित हैं. कई मामलों में उसे सजा सुनाई जा चुकी है. इस दौरान कई बार ऐसे मामलों का खुलासा हुआ जिनमें बबलू की जान लेने की साजिश रची गई थी. इन सभी मामलों के पीछे अक्सर डी कंपनी का नाम आया. एक बार पुलिस ने खुलासा किया था कि बबलू की हत्या के लिए बड़ी सुपारी दी गई थी. लेकिन वह बच गया. फिलहाल, वह बरेली की सेंट्रल जेल में बंद है.