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भ्रष्ट सेना की इंटरनेशनल बेइज्जती से सकते में पाकिस्तान, ISPR के जरिए कर रहा है इमेज मेकवर की कवायद

पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों ने कथित तौर पर संबंधित हलकों से अपने संस्थान की छवि को सुधारने के बारे में सुझाव मांगे हैं. रिपोर्ट बताती है कि मौजूदा नीति पर फिर से विचार करने और सेना के मीडिया विंग - इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) पर एक नई नीति तैयार करने के निर्देश जारी किए गए हैं.

जनरल असीम मुनीर जनरल असीम मुनीर
सुबोध कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:33 PM IST

पाकिस्तानी सेना में भ्रष्टाचार और राजनीति में इसके हस्तक्षेप की हालिया रिपोर्टों से परेशान वरिष्ठ सैन्य कर्मी सेना के मीडिया विंग इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के माध्यम से इसकी छवि बदलने की कवायद कर रहे हैं. पाकिस्तान के दैनिक बिजनेस रिकॉर्डर ने विश्वसनीय सूत्र के हवाले से बताया, 29 नवंबर को कमान बदलने के बाद अब पूरा ध्यान देश में सेना के छवि निर्माण और बढ़ती आतंकवाद संबंधी घटनाओं से निपटने पर है.

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सेना की छवि सुधारने को नई नीति तैयार

रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों ने कथित तौर पर संबंधित हलकों से अपने संस्थान की छवि को सुधारने के बारे में सुझाव मांगे हैं. रिपोर्ट बताती है कि मौजूदा नीति पर फिर से विचार करने और सेना के मीडिया विंग - इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) पर एक नई नीति तैयार करने के निर्देश जारी किए गए हैं. बता दें कि नवंबर में पाकिस्तान में एक बड़ा सैन्य परिवर्तन हुआ, देश के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने जनरल असीम मुनीर को देश की शक्तिशाली सेना के नए प्रमुख के रूप में नियुक्त किया.  

पाकिस्तानी समाचार पोर्टल ने किए थे बड़े खुलासे

हाल के खुलासे पाकिस्तानी सेना के भीतर भ्रष्टाचार की खबरों को मजबूत करते हैं. दरअसल, पिछले महीने पाकिस्तानी समाचार पोर्टल फैक्टफोकस ने जनरल कमर जावेद बाजवा के परिवार के सदस्यों द्वारा उनके विस्तारित छह साल के कार्यकाल के दौरान लगभग $56 मिलियन की संपत्ति और संपत्ति के संचय के बारे में एक स्टोरी पब्लिश की थी. रिपोर्ट में बाजवा की पत्नी आयशा अमजद और बहू महनूर साबिर के सौदे भी शामिल थे.

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'भ्रष्ट तरीके से काम करती है पाकिस्तानी सेना'
 
पाकिस्तानी सेना में भ्रष्टाचार के बारे में एक और खुलासा एशियन लाइट इंटरनेशनल के जरिए से हुआ था. रिपोर्ट में हाइलाइट किया गया था कि भले ही पाकिस्तान के वरिष्ठ जनरलों और अधिकारियों को मोटी तनख्वाह और अन्य भत्ते मिलते हों लेकिन इसको बावजूद भी वे भ्रष्ट तरीके से काम करते हैं.

'बाजवा ने मानी थी राजनीति में पाक सेना के हस्तक्षेप की बात'

पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने 23 नवंबर को अपने अंतिम संबोधन में देश की राजनीति में पाकिस्तानी सेना के हस्तक्षेप को स्वीकार किया था क्योंकि उन्होंने कहा था कि दशकों तक सेना ने राजनीति में अवैध रूप से दखल दिया और अब ऐसा नहीं करेगी. उसी समय बाजवा ने पूर्वी पाकिस्तान की पराजय के लिए पाकिस्तान के राजनेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि 1971 एक सैन्य नहीं, बल्कि एक राजनीतिक विफलता थी. हमारी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में बहादुरी से लड़ाई लड़ी. इसके अलावा पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच एक बड़े मुद्दे पर टकराव भी देखा जा चुका है.

 

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