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PAK: आतंकी संगठन लश्कर-ए-इस्लाम को मिला नया सरगना, पिछले दिनों मारा गया था मंगल बाघ

पाकिस्तान सरकार ने आंतकी मंगल बाघ के ऊपर 2 करोड़ पाकिस्तानी रुपये का इनाम रखा था, जो कई वर्षों तक खैबर जिले में रहा और वहीं अपनी निजी जेल और कोर्ट चलाता था. अफरीदी जनजाति के एक सदस्य मंगल बाघ ने कई सालों तक एक मदरसे में पढ़ाई की थी. अब लश्कर-ए-इस्लाम को नया सरगना मिल गया है.

अफगानिस्तान में तैनात सुरक्षाकर्मी (फाइल-एपी) अफगानिस्तान में तैनात सुरक्षाकर्मी (फाइल-एपी)
aajtak.in
  • इस्लामाबाद,
  • 31 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 12:01 AM IST
  • खैबर पख्तूनख्वा का रहने वाला है जला खान
  • बाघ के बेटे को नया डिप्टी कमांडर बनाया गया
  • पिछले दिनों धमाके में मारा गया था मंगल बाघ

पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-इस्लाम ने भगोड़ा प्रमुख मंगल बाघ के मारे जाने के करीब 2 दिन के बाद ही जला खान अफरीदी को अपना नया सरगना चुन लिया है. दक्षिणी अफगानिस्तान में सड़क के किनारे एक बम धमाके में मंगल बाघ मारा गया था.

संगठन के सदस्यों द्वारा खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बंडेर क्षेत्र में आयोजित बैठक के बाद बाघ के करीबी अफरीदी को नए सरगना के रूप में नामित किया गया था. नया सरगना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बारा तहसील के अकाखेल जनजाति से ताल्लुक रखता है. शूरा (परिषद) ने बाघ के बेटे तैय्यब उर्फ ​​अजनबी को नए डिप्टी कमांडर के रूप में नामित किया. 

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एक वरिष्ठ अफगान अधिकारी के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि मंगल बाघ, जो कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था और उसके ऊपर 30 लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा गया था, को दक्षिणी अफगानिस्तान में मार दिया गया.

एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत के गवर्नर जियाउलहक अमरखिल के हवाले से बताया, "नंगरहार के अछिन जिले के बंडेर डेरा क्षेत्र में गुरुवार को सड़क किनारे एक बम धमाके में बाघ को दो सहयोगियों के साथ मार दिया गया."

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ट्रक क्लीनर से आतंकी बना था बाघ

मंगल बाघ एक ट्रक क्लीनर था जो बाद में आतंकी बन गया. वह प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से संबंधित था- यह संगठन पाकिस्तान के कबायली क्षेत्रों में सक्रिय आतंकवादी समूहों का एक संगठन है. उसके आतंकी ग्रुप पर नाटो के काफिले पर हमला करने का आरोप था.

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उसके ग्रुप का खैबर के बारा तहसील पर जून 2008 तक खासा दबदबा रहा, लेकिन सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू करने के बाद वह और उसके हथियारबंद लोग अफगानिस्तान भाग गए.

पाकिस्तान सरकार ने बाघ के ऊपर 2 करोड़ पाकिस्तानी रुपये का इनाम रखा था, जो 2008 तक खैबर एजेंसी (अब खैबर जिला) में रहा और वहीं अपनी निजी जेल और कोर्ट चलाता था. अफरीदी जनजाति से ताल्लुक रखने वाले बाघ ने कई सालों तक मदरसे में पढ़ाई की और बाद में अफगानिस्तान में आतंकवादी समूहों के साथ काम करने लगा.

 

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