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Pakistan: पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अंतरिम जमानत, महिला जज को धमकाने का है आरोप

पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के प्रमुख इमरान खान को शुक्रवार तक के लिए ही अंतरिम जमानत दी गई है. उन पर 20 अगस्त को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जेबा चौधरी के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है. इसके लिए उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट भी जारी किया गया था.

इमरान खान इमरान खान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 8:32 AM IST

पाकिस्तान की एक अदलत ने पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के प्रमुख इमरान खान को रविवार को अंतरिम जमानत दे दी. यह जमानत शुक्रवार तक के लिए ही दी गई है. दरअसल उन पर 20 अगस्त को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जेबा चौधरी के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है. इसके लिए उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट भी जारी किया गया था.

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अदालत ने 10,000 रुपये के बॉन्ड पर इमरान खान को अंतरिम जमानत दी. अदालत ने खान को सात अक्टूबर से पहले स्थानीय अदालत के समक्ष पेश होने को भी कहा. समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद में 20 अगस्त को एक रैली के दौरान इमरान खान ने अपने एक सहयोगी शाहबाज गिल के साथ हुए गलत व्यवहार को लेकर शीर्ष पुलिस अधिकारियों, चुनाव आयोग और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की धमकी दी थी. इस दौरान उन्होंने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जेबा चौधरी के बारे में भी आपत्तजिनक भाषा का इस्तेमाल किया था. 

20 अगस्त को दिए गए भाषण पर हुई कार्रवाई

इमरान खान के 20 अगस्त के भाषण के कुछ घंटों के बाद इमरान खान (69) के खिलाफ पुलिस, न्यायपालिका और देश के अन्य संस्थानों को धमकाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.

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उनके खिलाफ पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) की चार धाराओं 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 189 (लोक सेवक को चोट की धमकी), और 188 के तहत मामला दर्ज किया गया था.

इसके बाद इमरान खान के वकील बाबर अवान ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट का रुख कर एक याचिका दायर की थी, जिसमें उनका अरेस्ट वारंट रद्द करने की मांग की गई थी.  

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ पहले आतंकवाद से संबंधित धारा में भी मामला दर्ज किया गया था. लेकिन इस्लामाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर ये आरोप हटा दिए गए थे और मामले को आतंकवाद निरोधक अदालत से सामान्य सत्र अदालत में ट्रांसफर कर दिया था. 


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