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'पाकिस्तानी सह नहीं पाएंगे ऐसा झटका, सड़कों पर होंगे दंगे', PAK मंत्री की चेतावनी

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था डूबने के बिल्कुल करीब पहुंच चुकी है. वहां के योजना मंत्री कह रहे हैं कि अगर पाकिस्तान ने कठिन शर्तों वाले IMF के बेलआउट पैकेज को स्वीकार किया तो पाकिस्तान की सड़कों पर दंगे होंगे.

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था डूबने के कगार पर है (File Photo) पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था डूबने के कगार पर है (File Photo)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:20 PM IST

पाकिस्तान की डगमगाती अर्थव्यवस्था अब डूबने के बेहद करीब पहुंच गई है. हाल ही में फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में इस बात की चेतावनी दी गई है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पतन की तरफ है. पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी आई है जिस कारण सामान से भरे हजारों कंटेनर बंदरगाहों पर अटके हैं. पाकिस्तान अगर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मदद के लिए उसके बेलआउट प्रोग्राम को स्वीकार करता है तो पाकिस्तान के योजना मंत्री अहसान इकबाल के अनुसार, सड़कों पर दंगे होंगे.

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ब्रिटेन के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है जिसमें विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान जल्द ही श्रीलंका बन सकता है. पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति अस्थिर होती जा रही है और सामानों की किल्लत भी बढ़ती जा रही है. श्रीलंका में भी पहले विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण सामानों की भारी किल्लत हुई थी और मई में जाकर वो डिफॉल्ट हो गया था.

रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तान में ईंधन की भारी कमी हो गई है जिसे बचाने के लिए कपड़ा उद्योग और अन्य कारखाने बंद किए जा रहे हैं. कई कारखानों में बस कुछ ही घंटे काम हो रहा है.

सोमवार को पाकिस्तान में 12 घंटे से अधिक समय तक बिजली गुल रही जिससे मुश्किलें और बढ़ गईं. इस्लामाबाद में मैक्रो इकोनॉमिक इनसाइट्स के संस्थापक साकिब शेरानी ने कहा, 'पहले से ही बहुत सारे उद्योग बंद हो गए हैं, और अगर जल्दी ही उन्हें शुरू नहीं किया गया तो पाकिस्तान के उद्योगों को स्थायी नुकसान होगा.'

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पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के पास फिलहाल साढ़े चार अरब से भी कम विदेशी मुद्रा भंडार बचा है. इतने पैसे से पाकिस्तान की सरकार कुछ हफ्ते ही आयात कर पाएगी. पाकिस्तान की सरकार और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बीच सात अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज पर पिछले साल अक्टूबर से ही गतिरोध बना हुआ है.

IMF कठिन शर्तों पर पाकिस्तान को लोन देने के लिए राजी हो रहा है. लेकिन अगर पाकिस्तान की सरकार उन कठिन शर्तों को मानती है तो देश में पहले से ही बढ़ी महंगाई और बढ़ जाएगी. IMF चाहता है कि पाकिस्तान की सरकार ऊर्जा पर दी जाने वाले सब्सिडी की कीमतें बढ़ाए, लोगों पर टैक्स बढ़ाए, रुपये को डॉलर के मुकाबले और लचीला बनाए आदि. 

पाकिस्तान के लोगों में सरकार के प्रति बेहद गुस्सा भरा है और अगर सरकार IMF प्रोग्राम को स्वीकारती है तो पाकिस्तान के आम लोगों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होगी और वो सड़कों पर उतर सकते हैं.

पाकिस्तान के योजना मंत्री अहसान इकबाल ने चेताया, 'अगर हम आईएमएफ की शर्तों का पालन करते हैं, जैसा कि वे चाहते हैं, तो सड़कों पर दंगे होंगे. हमें कम शर्तों वाले प्रोग्राम की जरूरत है. हमारी अर्थव्यवस्था और हमारा समाज कठिन शर्तों वाले IMF के इस प्रोग्राम के झटके को सह नहीं पाएगा.'

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विश्व बैंक के पूर्व सलाहकार आबिद हसन का कहना है कि IMF पाकिस्तान को लोन की किस्त के रूप में 1-2 अरब डॉलर देता भी है तो इससे अर्थव्यवस्था को खास लाभ नहीं होने वाला. उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि यह मदद ज्यादा से ज्यादा जख्म पर पट्टी बांधने जैसी होगी. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए अब एक-एक दिन मायने रखता है.'

योजना मंत्री इकबाल ने बताया कि विदेशी मुद्रा को बचाकर रखने के लिए पाकिस्तान ने आयात में भारी कटौती की है. सरकार ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वो व्यापारियों को ऋण पत्र न जारी करे. इसे लेकर पाकिस्तान के व्यापारी सरकार से खासे नाराज हैं. इसी हफ्ते स्टील उद्योगों के एक निकाय ने उत्पादन पूरी तरह रोकने की धमकी दी है. 

पाकिस्तान के योजना मंत्री की बातों से साफ है कि पाकिस्तान इस बार जिस आर्थिक संकट में फंसा है, उससे निकलना इतना आसान नहीं है.

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