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कर्जा उतारने के लिए दूतावास बेचेगा पाकिस्तान, कीमत है 60 लाख डॉलर

अमेरिका के वॉशिंगटन स्थित पाकिस्तान के पुराने दूतावास की इमारत को बेचने के लिए उसे फॉरेन ऑफिस से मंजूरी भी मिल गई है. बता दें कि पाकिस्तान का यह दूतावास बीते 15 सालों से खाली पड़ा है. पाकिस्तान का यह दूतावास वॉशिंगटन के बेहद पॉश इलाके में हैं और इसकी कुल कीमत 50 से 60 लाख डॉलर है.

अमेरिका में पाकिस्तान के पुराने दूतावास की इमारत (Photo: Twitter) अमेरिका में पाकिस्तान के पुराने दूतावास की इमारत (Photo: Twitter)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 9:11 AM IST

कर्ज के बोझ के तले दबे पाकिस्तान पर चौतरफा मार पड़ी है. एक तरफ वह आर्थिक संकट से जूझ रहा है तो दूसरी तरफ अंदरूनी कलह से परेशान है. ऐसे में पाकिस्तान ने खुद को कर्ज से उबारने के लिए अमेरिका स्थित अपने पुराने दूतावास की इमारत को बेचने को फैसला किया है. 

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के वॉशिंगटन स्थित पाकिस्तान के पुराने दूतावास की इमारत को बेचने के लिए उसे फॉरेन ऑफिस से मंजूरी भी मिल गई है. बता दें कि पाकिस्तान का यह दूतावास बीते 15 सालों से खाली पड़ा है. 

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सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान का यह दूतावास वॉशिंगटन के बेहद पॉश इलाके में हैं और इसकी कुल कीमत 50 से 60 लाख डॉलर है. पाकिस्तान ने अपनी खस्ता माली हालत को देखते हुए इसे बेचने का फैसला किया है. 

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का हाल

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बीते कुछ समय से बेहद बुरे दौर से गुजर रही है. देश में महंगाई ऐतिहासिक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी 6.7 अरब डॉलर तक नीचे लुढ़क गया है. पाकिस्तान की मुद्रा का लगातार डिवैल्यूवेशन (अवमूल्यन) हो रहा है, ऐसे में वह एक डॉलर 224.63 पाकिस्तानी रुपये में खरीद रहा है.

पाकिस्तान का निर्यात भी घट रहा है और ऐसे में देश के पास इतनी पर्याप्त विदेशी मुद्रा नहीं है कि वह आयात के लिए भुगतान कर सके. अफगानिस्तान और ईरान से आयात भी कम हुआ है क्योंकि पाकिस्तान के पास इसके लिए भुगतान करने का पैसा नहीं है. 

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दवाइयों की भी किल्लत

पाकिस्तान के मौजूदा आर्थिक संकट ने देश की फार्मा कंपनियों को हाशिए की ओर धकेल दिया है. आयात कम होने की वजह से दवाइयों के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली कच्चा सामग्री भी प्रभावित हुई है. 

पाकिस्तान दवाइयों के उत्पादन के लिए 19 फीसदी कच्ची सामग्री का आयात करता है. डायबिटीज जैसी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की सप्लाई भी कम हुई है. 

कर्ज में डूबा पाकिस्तान!

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान को इससे पहले भी काफी कर्ज दे चुका है. 2019 में पाकिस्तान ने आईएमएफ से 6 अरब डॉलर का कर्ज लेने का समझौता किया था. यह राशि पाकिस्तान को तीन सालों में किश्तों में दी जानी थी. हालांकि, इसी दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के राजनीतिक निर्णय को आईएमएफ के शर्तों का उल्लंघन करार देते हुए संस्था की ओर से कर्ज जारी रखने पर रोक लगा दी गई थी.

दरअसल, इमरान खान ने पेट्रोल-डीजल पर सब्सिडी देने की घोषणा कर दी थी. आईएमएफ ने इसे शर्तों का उल्लंघन माना था. नई सरकार के बनने के बाद शहबाज शरीफ ने आईएमएफ से फिर से बातचीत शुरू की. आईएमएफ कड़ी शर्तों के साथ लोन देने के लिए राजी हुआ था. वर्तमान की 1.2 अरब डॉलर का कर्ज लेने के बाद आईएमएफ का कर्ज बढ़कर 7 अरब डॉलर हो जाएगा.

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