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पाकिस्तान में 8 फरवरी को हुए आम चुनाव के मतदान से पहले कहा जा रहा था कि लंदन में निर्वासन के बाद देश वापस लौटे नवाज शरीफ आसानी से जीत जाएंगे और चौथी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनेंगे. नवाज शरीफ को सेना का भारी समर्थन हासिल था लेकिन चुनाव के नतीजों से बाजी पलट गई. इमरान खान की पार्टी पीटीआई को चुनाव से दूर रखने की हर कोशिश नाकाम साबित हुई और पार्टी के समर्थन से निर्दलीय लड़ रहे उम्मीदवारों ने आम चुनाव में सबसे अधिक सीटें हासिल की हैं.
हालांकि, न तो पीटीआई और न ही नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज को बहुमत मिला है. पाकिस्तान आम चुनाव के नतीजे आए कई दिन बीत गए हैं लेकिन अभी तक सरकार बनाने को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है.
पाकिस्तान के इस चुनाव में तीन बड़े दलों पीटीआई (स्वतंत्र उम्मीदवार), पीएमएल (एन) और बिलावल भुट्टो की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीएम) ने हिस्सा लिया था. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 366 सीटें हैं जिनमें से केवल 266 सीटों के लिए ही प्रत्यक्ष तरीके से वोटिंग होती है. 70 सीटें अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित होती हैं जिसमें 60 सीटें महिलाओं के लिए और 10 सीटें गैर-मुसलमानों के लिए होती हैं.
सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी के पास 134 सीटों का आंकड़ा होना जरूरी है. लेकिन पाकिस्तान आम चुनाव 2024 में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है.
किस पार्टी को कितनी सीटें मिलीं?
पीटीआई (इमरान)- 93 सीटें
पीएमएल (नवाज)- 75 सीटें
पीपीपी (बिलावल भुट्टो)- 54 सीटें
एमक्यूएम- 17 सीटें
जमीयत उलेमा ए इस्लाम- 4 सीटें
सेना जिस तरह से नवाज शरीफ को देश वापस लाई थी, यह उम्मीद थी कि पीएमएल (एन) को बहुमत मिलेगा. नवाज फिर से पाक के पीएम बन जाएंगे और सेना के हाथ की कठपुतली बनकर देश चलाएंगे. लेकिन ऐसा हो नहीं सका.
जनता ने इमरान के समर्थन में जबर्दस्त जोश दिखाया और पीटीआई सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. इमरान खान के उम्मीदवारों ने चुनाव के दौरान धांधली के भी आरोप लगाए हैं. चुनाव और मतगणना के दिन सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए जिसमें मतदान केंद्रों पर हिंसा, मतपेटियों को नुकसान पहुंचाने और बैलेट पेपर फाड़ने से संबंधित घटनाएं थीं.
किसकी बन सकती है सरकार?
पाकिस्तान में किसकी सरकार बनेगी, फिलहाल इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक, चुनाव के 21 दिनों के भीतर सरकार का गठन करना जरूरी है. तीन हफ्ते की यह अवधि 29 फरवरी को समाप्त हो रही है.
पाकिस्तान में सरकार के गठन को लेकर फिलहाल पिक्चर साफ नहीं है लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि इस तरह के समीकरण बन सकते है-
शहबाज-बिलावल के बीच 50=50 का फॉर्मूला
साल 2022 में जब इमरान खान विश्वास मत हार गए थे तब शहबाज शरीफ ने बिलावल भुट्टो की पार्टी पीपीपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी. भुट्टो शहबाज शरीफ सरकार में विदेश मंत्री पद पर थे.
आम चुनाव 2024 में बिलावल बहुमत हासिल कर प्रधानमंत्री बनना चाहते थे लेकिन उन्हें बहुमत नहीं मिला और पार्टी 54 सीटों पर ही सिमटकर रह गई. खबर है कि बिलावल भुट्टो प्रधानमंत्री पद के लिए मोलतोल कर रहे हैं. ऐसे में एक समीकरण तो ये बन रहा कि शहबाज शरीफ और बिलावल भुट्टो 3-2 के फॉर्मूले पर पीएम पद के लिए राजी हो जाएं. यानी तीन साल शहबाज और दो साल बिलावल पीएम रहें.
इमरान से मुकदमे हटें, वो नवाज को समर्थन दें
इमरान खान पर शहबाज शरीफ की सरकार में भ्रष्टाचार के सैकड़ों आरोप लगे और वो फिलहाल भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में ही 14 साल की सजा पर जेल में बंद हैं.
खबर है इमरान खान को भ्रष्टाचार के कई मामलों में तत्काल जमानत दी गई है जिससे गठबंधन सरकार का एक और समीकरण तैयार होता दिख रहा है. ऐसा भी हो सकता है कि इमरान खान पीएम पद के लिए नवाज शरीफ को समर्थन देने की घोषणा कर दें. इमरान खान फिलहाल तो इस बात के लिए मना कर रहे हैं लेकिन यदि उनकी रिहाई और मुकदमे खत्म करने जैसी चीजें हो तो यह बात संभव दिखाई दे रही है.
हालांकि, पीटीआई नेता बैरिस्टर गौहर अली खान ने कहा है कि पार्टी न तो पीएमएल-एन और न ही पीपीपी के साथ कोई समझौता करेगी. उन्होंने कहा है कि इस तरह का कोई गठबंधन करने के बजाए पीटीआई विपक्ष में बैठना पसंद करेगी.
इमरान के निर्दलीय टूटें, नवाज के पक्ष में आएं
एक और समीकरण यह बन रहा है कि नवाज शरीफ सभी छोटे दलों को साथ लेकर आएं. इसके अलावा वो अच्छी खासी संख्या में पीटीआई के समर्थन से चुनाव जीतकर आए निर्दलीय उम्मीदवारों को अपने पाले में ले लें. उनपर दायर मुकदमे खत्म करने और मंत्री पद का लालच दिया जाए.
यह समीकरण इसलिए भी बनता दिख रहा है क्योंकि पीटीआई समर्थित उम्मीदवार वसीम कादिर ने जीत के बाद नवाज शरीफ की पार्टी ज्वॉइन कर ली है. नवाज जिस तरह से इस दिशा में काम कर रहे हैं, यह समीकरण भी संभव दिखाई दे रहा है.
हालांकि, इसे लेकर पीटीआई नेता गौहर अली खान ने कहा है कि बाकी से सभी स्वतंत्र उम्मीदवार उनके संपर्क में हैं और वो पीटीआई के साथ ही रहेंगे.
पाकिस्तान में होगा वही, जो सेना चाहेगी
वहीं, पाकिस्तान की सेना को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. भले ही सेना के समर्थन के बावजूद नवाज शरीफ को बहुमत नहीं मिला है लेकिन पाकिस्तान में होगा वही जो सेना चाहेगी.
मशहूर रणनीतिक विचारक ब्रह्मा चेलानी ने एक्स पर लिखा है, 'संकटग्रस्त पाकिस्तान भले ही और गहरे गड्ढे में धंसता जा रहा हो, लेकिन हालिया चुनावों के अस्पष्ट नतीजों से कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है, सेना की धांधली के कारण अपनी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने के कारण नवाज शरीफ गठबंधन सहयोगियों की तलाश कर रहे हैं. लेकिन पाकिस्तान को अपनी सेना की अंतहीन राजनीतिक साजिशों की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.'
पाकिस्तान में सरकार चला लेना आसान नहीं
पाकिस्तान राजनीतिक रूप से अस्थिर देश रहा है जहां अब तक कोई भी प्रधानमंत्री पांच सालों का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. अब भी जो सरकार बनती है उसके लिए सरकार और देश को चला लेना टेढ़ी खीर होगी.
सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां...
1. जिस भी पार्टी/निर्दलियों के समर्थन से सरकार बने, उन्हें एकजुट रखने की चुनौती.
2. पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है और वहां गरीबी बढ़ती जा रही है. अर्थव्यवस्था डांवाडोल है. महंगाई से त्रस्त आम लोगों का भरोसा नेताओं से उठता जा रहा है. पाकिस्तान में बेरोजगारी भी चरम पर है. इसलिए जो भी सरकार आती है, उसे तत्काल इस मोर्चे पर काम करने की जरूरत होगी.
3. नई सरकार के सामने चुनाव में धांधली के आरोपों के बीच वैश्विक स्तर पर विश्वसनीयता कायम करने की भी चुनौती होगी. पाकिस्तान में मतदान के दिन इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी गई थी और चुनाव में बड़े पैमाने पर अनियमितता के आरोप लगे हैं. इस पर अमेरिका ने चिंता जताई है और कहा है कि अमेरिका पाकिस्तान में चुनाव के दौरान राजनीतिक हिंसा और इंटरनेट के निलंबन की निंदा करता है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, 'इससे चुनावी प्रक्रिया पर नकारात्मक असर पड़ा है. अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान का न्यायिक सिस्टम हस्तक्षेप करे और धोखाधड़ी के दावों की पूरी जांच करे. आने वाले समय में हमारी नजर इस पर बनी हुई है.'
4. अगर नवाज शरीफ, बिलावल भुट्टो या शहबाज शरीफ में से कोई एक पीएम बनता है तो उनके सामने इमरान खान की लोकप्रियता से निपटने की बड़ी चुनौती होगी.