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हरिद्वार धर्म संसद को लेकर भड़का पाकिस्तान, भारतीय राजनयिक को किया तलब

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में हरिद्वार धर्म संसद को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार की तीखी आलोचना की है. मंत्रालय ने कहा है कि भारत सरकार ने न तो घटना में शामिल लोगों की निंदा की है और न ही उन पर किसी तरह की कार्रवाई की गई है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:52 AM IST
  • हरिद्वार धर्म संसद पर पाकिस्तान ने भारतीय प्रभारी को किया तलब
  • भारत सरकार की चुप्पी पर उठाए सवाल
  • 2020 के दिल्ली दंगों का भी किया जिक्र

हरिद्वार में हाल ही में आयोजित हुई धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और लोगों को हिंसा के लिए उकसाने को लेकर पाकिस्तान ने कड़ी आलोचना की है. पाकिस्तान ने सोमवार को विदेश मंत्रालय में भारतीय राजनयिक को तलब किया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि है कि भारत में अल्पसंख्यक मुसलमानों के खिलाफ हेट स्पीच पर भारत सरकार चुप है. न तो भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है और न ही उनकी निंदा की है. 

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क्या बोला पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय?

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 'ये हिंसक घृणास्पद भाषण 17-20 दिसंबर 2021 के बीच हरिद्वार, उत्तराखंड में आयोजित "धर्म संसद" के दौरान दिए गए. ये घटना अत्यधिक निंदनीय है कि हिंदू रक्षा सेना के प्रबोधानंद गिरि और अन्य हिंदुत्व के चेहरों ने अल्पसंख्यकों की सफाई का आह्वान किया है. भारत सरकार ने न तो कोई खेद व्यक्त किया है और न ही अब तक उनकी निंदा की है या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की है.'

बयान में आगे कहा गया, 'भारतीय पक्ष को यह बताया गया कि कथित घृणास्पद भाषणों पर पाकिस्तान और दुनियाभर के लोगों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है. अफसोस की बात है कि अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों और उनके उत्पीड़न की जहरीली कहानियां भारत में वर्तमान हिंदुत्व-संचालित भाजपा-आरएसएस गठबंधन सरकार के तहत आदर्श बन गई हैं.'

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बयान में दिल्ली दंगों का भी जिक्र

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों का भी जिक्र किया और कहा कि सत्ताधारी पार्टी के निर्वाचित सदस्यों सहित हिंदुत्ववादी लोगों द्वारा हिंसा के लिए इस तरह की उत्तेजना दिल्ली दंगों से पहले भी दिखाई गई थी जिसके बाद मुस्लिम विरोधी दंगे हुए.

बयान में कहा गया है कि 'अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों और उनके पूजा स्थलों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन भारत में निरंतर जारी है. भारत की केंद्र सरकार और कई भाजपा शासित राज्यों द्वारा मुस्लिम विरोधी कानून लाए जा रहे हैं.'

'हिंदुत्व समूहों द्वारा मामूली बहाने बनाकर मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को पूरी तरह से जारी रखा गया. इन्हें सरकार का संरक्षण मिलता है और किसी प्रकार की सजा नहीं होती. ये बातें भारत में बढ़ते इस्लामोफोबिया का प्रतीक हैं और भारत में मुसलमानों के भविष्य की एक गंभीर तस्वीर पेश करते हैं.'

मानवाधिकार संगठनों से पाकिस्तान ने की अपील

पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र, ओआईसी (मुस्लिन देशों के संगठन) और संबंधित मानवाधिकार संगठनों सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों के खिलाफ घोर और व्यवस्थित मानवाधिकार उल्लंघन के लिए भारत को जवाबदेह ठहराने और उन्हें 'भविष्य के नरसंहार' से बचाने के लिए तत्काल उपाय करने का आह्वान किया है.

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बयान में आगे लिखा गया, 'भारत से इन घृणास्पद भाषणों और अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों और उनके पूजा स्थलों के खिलाफ व्यापक हिंसा की घटनाओं की जांच करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उपाय करने की उम्मीद है.'

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, पाकिस्तान ने भारत सरकार से अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया, जिसमें उनके धार्मिक स्थलों और जीवन शैली की सुरक्षा भी शामिल है.

'मोदी सरकार कर रही हिंसा भड़काने वालों का समर्थन'

पाकिस्तान के अखबारों ने भी हरिद्वार में धर्म संसद में दिए गए भाषणों पर कई संपादकीय लेख छापे हैं. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून लिखता है कि हरिद्वार की घटना पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने नरेंद्र मोदी सरकार की चुप्पी पर चिंता जताते हुए कहा कि यह मुस्लिमों के खिलाफ हिंदू चरमपंथियों के आह्वान का समर्थन है.

ट्रिब्यून ने अपनी रिपोर्ट में विश्लेषकों के हवाले से लिखा है कि मुसलमानों के खिलाफ ऐसी भड़काऊ बयानबाजी उत्तर प्रदेश के आगामी चुनावों को देखते हुए की गई है क्योंकि चुनाव में कम्युनल कार्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. 

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