
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई चेयरमैन इमरान खान की गिरफ्तारी उस समय हुई, जब वह वॉशरूम में नहा रहे थे. इमरान के वकील सरदार लतीफ खोसा ने हाई कोर्ट को बताया कि पुलिसकर्मियों ने वॉशरूम का दरवाजा तोड़कर इमरान को गिरफ्तार किया था.
इमरान खान इस समय तोशाखाना मामले में अटक जेल में बंद हैं. यह एक तरह की सी कैटेगरी की जेल है. लेकिन अब खबर सामने आई है कि जिस कोठरी में इमरान को रखा गया है, वह बेहद छोटी है और इसकोठरी में उन्हें सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रखा गया है.
पांच फीट ऊंची दीवार, दरवाजा भी... इमरान खान की प्राइवेसी के लिए अटक जेल में बनवाया गया नया 'वॉशरूम'
इस सीसीटीवी कैमरे की जद में बाथरूम भी आता है. यानी जेल में नहाने से लेकर शौच करने तक सबकुछ सीसीटीवी कैमरे में कैद होता है. इस तरह से इमरान खान की जेल में हर छोटी से लेकर बड़ी प्रक्रिया कैमरे में कैद होती है. यह जानकारी जब एडिशनल डिस्ट्रिक्ट सेशन जज को मिली तो वह जेल का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे. निरीक्षण के बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा गया कि खान को सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में कैद किया गया है.
छोटी सी कालकोठरी, बाथरूम में भी कैमरा... जेल में ऐसे रह रहे हैं इमरान खान
वहीं इमरान की शिकायत के बाद उनके लिए स्पेशल टॉयलेट तैयार की गई. इसमें एक वेस्टर्न कमोड और वॉश बेसिन भी लगाया गया है.
इसकी ऊंचाई सिर्फ 5 फीट है, जबकि इमरान की हाइट छह फीट से भी ज्यादा है.
जेल में मक्खियों, कीटों से परेशान इमरान
इमरान खान को अटक जेल में रखा गया है, लेकिन वह चाहते हैं कि उन्हें अटक से रावलपिंडी की अदियाला जेल में शिफ्ट कर दिया जाए. इमरान खान के वकीलों का कहना है कि 70 साल के उनके मुवक्किल अटक जेल में नहीं रहना चाहते क्योंकि यहां दिन के समय मक्खियों और रात में कीट-पतंगों ने उनका जीना मुहाल कर रखा है.
3 साल की सजा, 5 साल चुनाव लड़ने पर रोक
इमरान खान को तोशाखाना मामले में 3 साल की सजा हुई है. इसके अलावा चुनाव आयोग ने उन पर पांच साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है. इमरान ने तोशाखाना मामले में दोषी ठहराए जाने के निचली अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि 'ट्रायल कोर्ट द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें सजा दिया जाना न्यायाधीश का पक्षपाती फैसला था. यह पूरी तरह निष्पक्ष सुनवाई के चेहरे पर तमाचा है. इसके साथ ही यह न्याय व उचित प्रक्रिया का मजाक उड़ाने जैसा है.