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ईशनिंदा कानून के विरोधी पाकिस्तानी गवर्नर के हत्यारे को दी गई फांसी

पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या के दोषी पूर्व पुलिस कमांडो मुमताज कादरी को सोमवार को तड़के फांसी दे दी गई. इस्लामी कट्टरपंथियों ने फांसी के विरोध में देशभर में प्रदर्शन किए और इसे काला दिवस करार दिया.

केशव कुमार/BHASHA
  • लाहौर,
  • 29 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 7:55 PM IST

पाकिस्तान के विवादास्पद ईशनिंदा कानूनों में बदलाव की मांग करने वाले पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या के दोषी पूर्व पुलिस कमांडो मुमताज कादरी को सोमवार को तड़के फांसी दे दी गई. इस्लामी कट्टरपंथियों ने फांसी के विरोध में देशभर में प्रदर्शन किए और इसे काला दिवस करार दिया.

अडियाला जेल में दी गई फांसी
अधिकारियों ने बताया कि कादरी को सुबह करीब साढ़े चार बजे रावलपिंडी की अडियाला जेल में फांसी दी गई. उसने 2011 में इस्लामाबाद के एक बाजार में पंजाब के उदारवादी गवर्नर की ईशनिंदा कानूनों की आलोचना करने के कारण हत्या कर दी थी. कादरी ने तासीर को 28 गोलियां मारी थीं.

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फांसी के विरोध में हिंसा भड़काने की धमकी
फांसी के कुछ घंटे बाद ही कई शहरों में कादरी के समर्थकों ने सड़कों पर प्रदर्शन शुरू कर दिए. ये लोग उसे मजहब की रक्षा करने वाले नायक के रूप में मानते हैं. समर्थकों ने कादरी को फांसी दिए जाने पर हिंसा की धमकी दी थी.

सड़क पर कट्टरपंथियों का हंगामा, आवाजाही रुकी
रेंजर्स और पुलिस को रावलपिंडी में कादरी के घर के बाहर तैनात किया गया है. वहां उसके सैकड़ों समर्थक एकत्र हो गए. इस्लामाबाद में भी सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं. कादरी को नायक जैसा दर्जा देने वाले सुन्नी समूहों ने रावलपिंडी में मुख्य रास्तों को रोक दिया. इससे राजधानी इस्लामाबाद से आवाजाही रुक गई है. पुलिस और अर्धसैनिक बल सड़कों पर गश्त कर रहे हैं.

रावलपिंडी और शेष पंजाब प्रांत में हाई अलर्ट
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि किसी भी बुरी हालत से निपटने के लिए रावलपिंडी और शेष पंजाब प्रांत में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘सुरक्षाबल हाई अलर्ट पर हैं और सड़कों को खोलने के लिए अतिरिक्त पुलिस मंगाई जा रही है .’’

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कादरी ने तासीर को मारी थी 28 गोलियां
कादरी ने जनवरी 2011 में इस्लामाबाद के बाजार में 66 साल के तासीर को दिन दिहाड़े 28 गोलियां मारी थीं. उसने बाद में अपराध स्वीकार करते हुए कहा था कि उसे ईशनिंदा कानूनों में बदलाव करने के तासीर के आह्वान पर एतराज था.

तासीर ने ईशनिंदा को कहा था काला कानून
तासीर उस ईसाई महिला के समर्थन में आगे आए थे जिस पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया था. उन्होंने ईशनिंदा कानूनों को ‘‘काला कानून’’ बताया था. इसके कारण उन्हें कट्टरपंथियों की आलोचना का सामना करना पड़ा था. एक आतंकवाद रोधी अदालत ने उसी साल कादरी को दोषी ठहराया था और उसकी निंदा की थी. इस्लामाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी उसके फैसले को बरकरार रखा था.

राष्ट्रपति ने भी ठुकराई दया याचिका
कादरी की पुनरीक्षण याचिका भी पिछले साल 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी. इसके बाद उसके पास राष्ट्रपति ममनून हुसैन को दया याचिका देने का आखिरी विकल्प बचा था. राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी.

कादरी के जनाजे में नमाज पढ़ेंगे कट्टरपंथी मुसलमान
कट्टरपंथी धार्मिक समूह इस बात की मांग कर रहे थे कि कादरी को माफ कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि उसने ‘‘ईशनिंदा’’ करने वाले की हत्या की है. सुन्नी तहरीक के प्रमुख सरवात एजाज कादरी ने फांसी की निंदा की. उसने कहा, ‘‘देश के इतिहास में यह एक काला दिन है. जिन्होंने कादरी को फांसी दी है, उन्होंने भविष्य में अपनी सफलता के अवसर खो दिए हैं.’’ कादरी के लिए मंगलवार को रावलपिंडी में जनाजे की नमाज अदा की जाएगी.

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विवादास्पद है ईशनिंदा कानून
पाकिस्तान में ईशनिंदा एक संवेदनशील मामला है. यहां कई बार आरोप साबित नहीं होने पर भी भीड़ के हिंसक हो जाने की घटनाएं होती है. यह विवादास्पद कानून पाकिस्तान के सैन्य शासक जिया उल हक ने 1980 के दशक में पेश किया था. अब तक सैकड़ों लोगों पर इसके तहत आरोप लगे हैं.

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