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'चुनाव बाद अगर भारत ने...', पाकिस्तान को सता रहा किस बात का डर?

पाकिस्तान ने चावल निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि की है और उसका मुनाफा काफी ज्यादा हो गया है. चावल निर्यात में पिछले साल के मुकाबले इस साल भारी मुनाफा हुआ है जिससे पाकिस्तान काफी खुश है लेकिन पाकिस्तान के किसान भारत को लेकर डरे हुए भी हैं.

पाकिस्तान चावल बेचकर खूब मुनाफा कमा रहा है (Photo- Reuters) पाकिस्तान चावल बेचकर खूब मुनाफा कमा रहा है (Photo- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 मई 2024,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST

भारत के गैर-बासमती चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से पाकिस्तान के किसानों को काफी फायदा हुआ है. पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों से पता चलता है कि चावल का निर्यात 10 महीनों (जुलाई-अप्रैल वित्त वर्ष 24) में 50 लाख टन का आंकड़ा पार कर गया, जिससे 3.4 अरब डॉलर की कमाई हुई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 1.8 अरब डॉलर का 32 लाख टन निर्यात हुआ था. लेकिन पाकिस्तान को इस बात की भी चिंता है कि भारत चुनाव के बाद निर्यात से प्रतिबंध हटाता है तो यह उसके किसानों के लिए तबाही ला देगा.

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पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 30 जून को समाप्त होने वाले इस वित्तीय वर्ष में, पाकिस्तान से चावल का निर्यात 58 लाख टन के आंकड़े को छू सकता है. इतने बड़े पैमाने पर चावल निर्यात का मुख्य कारण भारत के गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध तो है ही, साथ ही अनुकूल मौसम ने भी बड़ी भूमिका निभाई है.

पाकिस्तान के गैर बासमती चावल के निर्यात में 32 प्रतिशत की अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है और बासमती चावल का निर्यात 24 प्रतिशत बढ़ा है. 10 महीनों के दौरान बासमती का निर्यात मूल्य 1,141 डॉलर प्रति टन और गैर-बासमती का निर्यात मूल्य 573 डॉलर प्रति टन रहा.

किस वजह से बढ़ा पाकिस्तान का चावल निर्यात
 
पाकिस्तान के कृषि नीति अनुसंधान संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हामिद मलिक का मानना ​​है कि देश के चावल निर्यात में अभूतपूर्व तेजी इसलिए आई है क्योंकि मौसम अनुकूल रहा, किसानों को चावल उत्पादन के लिए सभी सुविधाएं मिलीं, सरकारी और निजी सेक्टर ने हाइब्रिड बीजों का विकास किया और किसानों को सरकारी समर्थन मिला. 

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वो कहते हैं, 'अगर मैं पिछले 10 वर्षों में चावल निर्यात में पाकिस्तान के अभूतपूर्व प्रदर्शन का प्रमुख कारण बताऊं तो यह देश निजी क्षेत्र का हाइब्रिड बीज का विकास है. 1960 के दशक में चावल और आयातित गेहूं के बीज में इरी किस्मों की शुरूआत के बाद इसे पाकिस्तान में दूसरी हरित क्रांति कहा जा सकता है.'

साथ ही उन्हें इस बात का दुख भी है कि औपचारिक भुगतान माध्यमों की कमी के कारण पाकिस्तान यमन और इराक के बाजारों में बासमती चावल नहीं बेच पा रहा है. उनका कहना है कि पाकिस्तान के कुछ स्थानीय निर्यातकों ने यमनी बाजार में चावल बेचने की कोशिश की थी लेकिन उनका पैसा वहीं फंस गया.

यमन और इराकी बाजार में सबसे अधिक चावल तुर्की और भारत से जाता है. उनका कहना है कि इराक हर साल भारत से कम से कम 7 लाख टन चावल का आयात करता है जिससे पता चलता है कि वहां के लोगों को बासमती चावल का स्वाद लग रहा है.

बासमती के पाकिस्तानी किस्म के निर्यात में गिरावट

पाकिस्तान के राइस एप्सपोर्टर्स एसोसिएशन (REAP) के एक अधिकारी का कहना है कि पाकिस्तान में कायनात किस्म के बासमती चावल का प्रचुर भंडार है. यह किस्म पाकिस्तान से निर्यात की जाने वाली मुख्य बासमती की किस्म है.

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उनका कहना है कि इसकी कीमत भारत के बासमती की कीमत (1,115 डॉलर प्रति टन) से ज्यादा है जिसके कारण, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने इस सीजन में यह किस्म कम खरीदी जिससे 24 प्रतिशत की गिरावट के साथ इसके निर्यात को करारा झटका लगा है.

भारत ने चावल निर्यात पर प्रतिबंध हटाया तो पाकिस्तान...

पाकिस्तान ने भरपूर मात्रा में चावल का उत्पादन कर लिया है और वो बड़े पैमाने पर उसे निर्यात कर रहा है. वहां बासमती समेत सभी तरह के चावल का स्टॉक इस साल के लिए बहुत ज्यादा हो गया है और यह स्टॉक इतना है कि अगले साल भी यह स्थानीय इस्तेमाल के लिए बहुत ज्यादा है. वहीं, चावल के अगले सीजन में इसका उत्पादन भी खूब होने वाला है. 

चावल निर्यातक इमरान शेख कहते हैं कि अगर भारत चुनाव के बाद गैर-बासमती चावल से निर्यात प्रतिबंध हटा देता है तो यह पाकिस्तान के किसानों के लिए तबाही ला देगा. उन्हें डर है कि पाकिस्तान के किसान अगले सीजन में बाजार की जरूरत से ज्यादा गैर-बासमती चावल उपजाने वाले हैं जिसका शायद कोई खरीददार न मिले. 

भारत ने क्यों लगाया है चावल निर्यात पर बैन

पिछले साल जुलाई में भारत ने बासमती चावल को छोड़कर सभी तरह के कच्चे चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया था. यह फैसला घरेलू मांग को पूरा करने और चावल की महंगाई बढ़ने के रोकने के मकसद से लिया गया था.

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भारतीय बाजार में चावल की कीमतें बढ़ने लगी थीं. जुलाई के महीने में ही चावल के दाम में 10-20 फीसद की बढ़ोतरी देखी गई थी. इसे देखते हुए सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल, जो कि सबसे अधिक निर्यात होता था, पर प्रतिबंध लगा दिया.

इसके बाद उसी साल अगस्त में महीने में बासमती चावल के निर्यात पर भी कुछ शर्तों के साथ प्रतिबंध लगा दिया गया. सरकार ने कहा कि 1200 डॉलर प्रति टन से ज्यादा कीमत वाले बासमती चावल के निर्यात की ही अनुमति होगी.

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