Advertisement

पाकिस्तान का अल्पसंख्यक विरोधी चेहरा फिर बेनकाब! करतारपुर के दरबार साहिब गुरुद्वारे का प्रबंधन मुस्लिम कमेटी को सौंपा

पाकिस्तान इवेक्यूइ ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) ने जिस 9 सदस्यीय कमेटी को गुरुद्वारे के प्रबंधन का जिम्मा सौंपा है, उसमें एक भी सिख सदस्य को नहीं रखा गया है. 3 नवंबर को अचानक PSGPC से ये जिम्मेदारी छीन कर ETPB ने 9 सदस्यीय कमेटी के सुपुर्द कर दी.

PAK ने करतारपुर के दरबार साहिब गुरुद्वारे का प्रबंधन मुस्लिम कमेटी को सौंपा (फाइल-पीटीआई) PAK ने करतारपुर के दरबार साहिब गुरुद्वारे का प्रबंधन मुस्लिम कमेटी को सौंपा (फाइल-पीटीआई)
मनजीत सहगल
  • चंडीगढ़,
  • 05 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:03 PM IST
  • दरबार साहिब गुरुद्वारे का प्रबंधन मुस्लिम कमेटी को सौंपा
  • भारतीय श्रद्धालुओं के लिए खोलने की सालगिरह से पहले फैसला
  • 9 सदस्यीय कमेटी को मिली जिम्मेदारी, लेकिन एक भी सिख नहीं

पाकिस्तान का अपने देश में अल्पसंख्यकों को लेकर असली चेहरा फिर बेनकाब हुआ है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने मुल्क में अल्पसंख्यकों से भेदभाव न किए जाने की बेशक हर जगह दुहाई देते हों, लेकिन जमीनी हकीकत इससे ठीक उलट है. इसका नया सबूत है- पाकिस्तान सरकार की ओर से करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब के रखरखाव की जिम्मेदारी पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (PSGPC) से लेकर मुस्लिम कमेटी को सौंपे जाना. इस गुरुद्वारे को भारत के श्रद्धालुओं के लिए पिछले साल खोला गया.  

Advertisement

पाकिस्तान में करीब 170 गुरुद्वारे हैं. इनमें 5 सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं जिनमें दरबार साहिब, करतारपुर के अलावा ननकाना साहिब, पंजा साहिब, डेरा साहिब और रोड़ी साहिब शामिल हैं. 

बता दें कि पिछले साल ही 9 नवंबर को भारतीय श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर में दरबार साहिब गुरुद्वारा के लिए जाने का रास्ता खुला था. इसकी सालगिरह से ठीक कुछ दिन पहले पाकिस्तान की ओर से लिए गए फैसले से सिख समुदाय में भारी रोष है.  

हैरानी की बात है कि पाकिस्तान इवेक्यूइ ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) ने जिस 9 सदस्यीय कमेटी को गुरुद्वारे के प्रबंधन का जिम्मा सौंपा है उसमें एक भी सिख सदस्य को नहीं रखा गया है. 3 नवंबर को अचानक PSGPC से ये जिम्मेदारी छीन कर ETPB ने 9 सदस्यीय कमेटी के सुपुर्द कर दी.

ETPB को प्रबंधन सौंपे जाने की जानकारी

भारत में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष गोविंद सिंह लोंगोवाल के अलावा पंजाब की सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने भी पाकिस्तान के इस फैसले की निंदा की है. साथ ही मांग की गई है कि गुरुद्वारे का प्रबंधन तत्काल PSGPC को वापस सौंपा जाए.

Advertisement

हालांकि अभी पाकिस्तान के अन्य गुरुद्वारों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. लेकिन भारत में सिख समुदाय को आशंका है कि कहीं पाकिस्तान के सभी गुरुद्वारों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी PSGPC से न ले ली जाए. 

अलगावादी सिख संगठन पाक के फैसले पर मौन 
हैरानी की बात है कि आए दिन भारत विरोधी प्रचार के जरिए जहर उगलने वाले खालिस्तान समर्थक संगठन पाकिस्तान सरकार के इस फैसले पर चुप्पी साधे हुए हैं. सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) का गुरपतवंत सिंह पन्नू भी इस मुद्दे पर अपना मुंह सिले हुए हैं. 

जाहिर है कि ऐसे सभी अलगाववादी संगठन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के पिट्ठू हैं. इनको भारत विरोधी प्रचार करने के लिए बाकायदा पैसा और मदद मिलती है. यही साबित करता है कि सिख समुदाय और उससे जुड़े मुद्दों से उनका कोई सरोकार नहीं है.

पाक में बढ़ रहा अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न कोई नई बात नहीं है. एक अनुमान के मुताबिक हर साल 1,000 हिंदुओं को जबरन मुस्लिम धर्म अपनाने पर मजबूर किया जाता है.

देखें: आजतक LIVE TV

ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जिनमें हिन्दुओं की लड़कियों को अगवा करके जबरन धर्म परिवर्तन कर निकाह करा दिया गया. सिख समुदाय को भी ऐसी घटना का सामना करना पड़ा है.

Advertisement

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर उत्पीड़न की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. अपहरण, पैसा वसूली जैसे अपराध भी इसमें शामिल हैं. अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य ऐसी घटनाओं से तंग आकर या तो पाकिस्तान से बाहर जाकर बसने का रास्ता चुनते हैं या उन्हें फिर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर होना पड़ता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement