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भारत ने भेजा शहबाज शरीफ को न्योता, पाकिस्तानी मंत्री हिना रब्बानी ने फिर दिखाए तेवर

भारत ने शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री को न्योता भेजा है. इस बीच पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा है कि भारत-पाकिस्तान के बीच कोई बैकचैनल डिप्लोमेसी नहीं चल रही है.

पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार (Photo-Reuters) पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार (Photo-Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:25 PM IST

भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता को लेकर चल रही गहमागहमी के बीच पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा है कि दोनों देशों के बीच कोई बैकचैनल डिप्लोमेसी नहीं चल रही है. गुरुवार को खार ने कहा कि जब से मौजूदा सरकार सत्ता में आई है, भारत से किसी तरह की बैकचैनल वार्ता नहीं हुई है. उनका यह बयान भारत की तरफ से पाकिस्तान के शंघाई सहयोग संगठन में  निमंत्रण भेजे जाने के ठीक एक दिन बाद आया है.

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भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और मुख्य न्यायाधीश उमर अता बांदियाल को शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है. ये सम्मेलन मई के महीने में गोवा में होने वाला है.

खबरों के मुताबिक, इस्लामाबाद में अपने उच्चायोग के माध्यम से भारत द्वारा भेजे गए निमंत्रण का पाकिस्तान ने अभी तक जवाब नहीं दिया है.

'भारत-पाकिस्तान के बीच कोई बैकचैनल कूटनीति नहीं'

खान ने पाकिस्तान की संसद में सीनेट सत्र के दौरान कहा, 'मैं बताना चाहती हूं कि जब से मौजूदा सरकार सत्ता में आई है, भारत और पाकिस्तान के बीच बाकी दुनिया को बिना बताए किसी तरह की बैकचैनल कूटनीति नहीं चल रही है. मेरा मानना है कि पिछली सरकारों के दौरान ऐसा होता होगा....आप बातें कुछ और करें और पीछे कुछ और करें- ये किसी देश को शोभा नहीं देता.'

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उन्होंने आगे कहा, 'अगर बैकचैनल कूटनीति से किसी तरह का फायदा होता हो तो जरूर होनी चाहिए...लेकिन इस वक्त किसी तरह की बैकचैनल कूटनीति नहीं हो रही.'

खार ने कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा शांति को बढ़ावा देने के लिए पहल की है. उन्होंने कहा, 'हालांकि, अभी सीमा पार भारत से दुश्मनी एक अभूतपूर्व स्थिति में है.'

पाकिस्तानी विदेश राज्य मंत्री ने पीएम मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री का जिक्र करते हुए कहा कि इसने दुनिया को दिखाया है कि भारत के साथ पाकिस्तान के रिश्ते ऐसे क्यों हैं. पाकिस्तान ने अपने इतिहास से सीखा है लेकिन क्षेत्र के कुछ देश अभी भी अपने इतिहास से सीख नहीं ले रहे.

उन्होंने आगे कहा, 'कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को भारत के साथ अपने संबंधों को सामान्य करने के लिए कहा जाता था. उनको हम कहना चाहते हैं कि वो उन बातों को एक बार सुन लें जो हमारे लिए भारत बोलता है. भारत हमारे लिए भड़काऊ शब्दों का इस्तेमाल करता है. पाकिस्तान इस क्षेत्र में तरक्की देखना चाहता है लेकिन जब आपके दूसरी तरफ का प्रधानमंत्री कहता है कि हमारी परमाणु शक्ति दीवाली के लिए नहीं है तो हम क्या कर सकते हैं.'

खान ने यह बात पीएम मोदी के उस बयान के संदर्भ में कही जो उन्होंने 2019 लोकसभा चुनावों के दौरान दिया था. राजस्थान के बाड़मेर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था, 'भारत ने पाकिस्तान की धमकी से डरने की नीति छोड़ दी है. वो कहते थे कि हमारे पास न्यूक्लियर बटन है. तो भारत के पास क्या है भाई? ये परमाणु बम हमने दिवाली के लिए रखा हुआ है क्या?'

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SCO Summit में भारत के बुलावे पर क्या बोला पाकिस्तान?

पाकिस्तान ने कहा है कि वो SCO की बैठक में भारत के आमंत्रण की समीक्षा कर रहा है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने गुरुवार को एक साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पाकिस्तान को भारत की तरफ से एससीओ की बैठक में शामिल होने का न्योता मिला है.

उन्होंने कहा, 'भारत और पाकिस्तान दोनों एससीओ के सदस्य हैं. भारत इस साल सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है और अध्यक्ष के रूप में उसने हमें निमंत्रण भेजा है. भारत की तरफ से आए आमंत्रण की समीक्षा की जा रही है. बैठक में भाग लेने के संबंध में निर्णय विचार-विमर्श के बाद लिया जाएगा.'

मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिक्रिया देते हुए जहरा बलूच ने कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है जो पहले से लोगों को पता न हो.

पाकिस्तान के अलावा चीन को भी भारत ने भेजा न्योता

मेजबान भारत ने पाकिस्तान के अलावा चीन और रूस के विदेश मंत्रियों को भी एससीओ की बैठक का न्योता भेजा है. एससीओ के सदस्य देशों में भारत पाकिस्तान के अलावा, रूस, चीन, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान शामिल हैं. 

भारत का पाकिस्तान को एससीओ की बैठक के लिए न्योता देना कोई आश्चर्य की बात नहीं है. मेजबान देश सभी सदस्य देशों को रेगुलर रूटीन के तहत न्योता भेजता है. लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच वर्तमान में जो तनाव की स्थिति है, उसे देखते हुए पाकिस्तान को न्योता देना अहम हो जाता है.

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पाकिस्तान के किसी शीर्ष नेता को भारत आए हुए एक दशक से अधिक समय हो गए हैं. साल 2011 में वर्तमान विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार भारत आई थीं जो उस दौरान विदेश मंत्री थीं. अगर पाकिस्तान भारत के निमंत्रण को स्वीकारता है तो दशकों बाद पाकिस्तान का कोई शीर्ष नेता भारत आएगा.

शहबाज शरीफ कर चुके हैं भारत से बातचीत की अपील

पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने यूएई के समाचार चैनल अल-अरबिया को एक हफ्ते पहले दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि वो भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कश्मीर सहित सभी लंबित मुद्दों पर ईमानदार बातचीत चाहते हैं. उन्होंने कहा था, 'दोनों देश एक-दूसरे के पड़ोसी हैं और दोनों को साथ ही रहना है. यह हमारे ऊपर है कि शांति से रहे और तरक्की करे या एक-दूसरे से लड़कर अपना समय और संसाधन बर्बाद करें. भारत के साथ तीन युद्ध हुए जिससे बेरोजगारी, गरीबी ही आई. पाकिस्तान अब अपना सबक सीख चुका है.'

हालांकि, बातचीत की इस अपील के अगले दिन ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने शरीफ के बयान पर एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा था कि जब तक भारत कश्मीर में धारा 370 को वापस बहाल नहीं करता, दोनों देशों के बीच बातचीत संभव नहीं है. 

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