
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का भारत से रिश्ते ठीक करने का बयान भारत सहित पाकिस्तान की मीडिया में भी छाया हुआ है. पाकिस्तान के एक प्रमुख अखबार का कहना है कि शहबाज ने ये पहल करके अपनी भू-राजनीतिक समझ को दिखाया है. अब भारत की बारी है कि वो बातचीत की टेबल पर आए और अपनी परिपक्वता दिखाए. अखबार ने लिखा है कि पाकिस्तान ने भारत को अपनी हालिया स्थिति बताई है और अब वो दोनों देशों के बीच के गतिरोध से निकलने का रास्ता तलाश रहा है.
पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के एक संपादकीय लेख में लिखा है, 'प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने यूएई के एक समाचार चैनल के साथ बातचीत में भारत से वार्ता शुरू करने की बात की, जो बिल्कुल सही है. हालांकि, भारत की तरफ से ऐसी किसी पहल की शायद ही कोई उम्मीद है, फिर भी अपने इंटरव्यू के जरिए शहबाज ने स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान का इरादा शांतिपूर्ण पड़ोसी बने रहने का है. साथ ही पाकिस्तान चाहता है कि भारत के साथ बातचीत जम्मू-कश्मीर सहित सभी लंबित मुद्दों पर भी हो.'
बातचीत के बीच में कश्मीर का मुद्दा
शहबाज शरीफ ने यूएई के समाचार चैनल अल-अरबिया को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ईमानदार बातचीत चाहते हैं. उन्होंने कहा था कि वो भारत के साथ कश्मीर सहित अन्य सभी लंबित मुद्दों पर गंभीरता से बातचीत करना चाहते हैं.
लेकिन इसके कुछ समय बाद ही प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से उनके बयान का स्पष्टीकरण जारी हुआ जिसमें कहा गया, 'पीएम शहबाज शरीफ ने यह स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए बिना भारत के साथ बातचीत संभव नहीं है.
स्पष्टीकरण पर अखबार ने लिखा, 'यह कहकर पाकिस्तान ने अपना सैद्धांतिक रुख बनाए रखा है कि दिल्ली को चाहिए 5 अगस्त, 2019 से पहले का कश्मीर का संवैधानिक दर्जा बहाल करे. आरएसएस-बीजेपी ने गठजोड़ कर इस इलाके के मुस्लिमों को हाशिए पर डालने की साजिश की है. पाकिस्तान कश्मीर की पूर्व की स्थिति को बहाल करने के लिए कह रहा है जिससे दोनों देशों के बीच रचनात्मक जुड़ाव होगा. यह न केवल द्विपक्षीय संदर्भ में बल्कि क्षेत्रीय संदर्भ में भी सहायक होगा.'
अखबार लिखता है कि इस नए युग में एक देश के बिना किसी दूसरे देश का काम नहीं चल सकता, विशेष रूप से जब यह क्षेत्र चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत अरबों डॉलर के व्यापार और कनेक्टिविटी का घर है. भारत और पाकिस्तान अपनी दुश्मनी के कारण विकास से पीछे नहीं रह सकते इसलिए पाकिस्तान ने भारत के साथ अपने द्विपक्षीयवाद को भू-अर्थशास्त्र में बदल लिया है.
अखबार ने आगे लिखा, 'पाकिस्तान इसका पूरा लाभ उठाना चाहता है. वो समन्वय और विश्वास के एक नए युग की शुरुआत करना चाहता है. भारत को आगे आना चाहिए और इसका लाभ लेना चाहिए लेकिन हां, इसके लिए पहले कश्मीर मुद्दे को सुलझाना निश्चित रूप से एक शर्त है.'
यूएई की भूमिका
अपने इंटरव्यू में शहबाज शरीफ ने कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को खत्म कर उन्हें बातचीत की टेबल पर लाने में यूएई महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. अखबार इसे लेकर लिखता है कि पाकिस्तान अन्य देशों के सहयोग से तनाव को खत्म करना चाहता है लेकिन भारत को भी सकारात्मक कदम उठाने होंगे.
लेख में लिखा गया, 'भारत को अब यूएई की इस पेशकश पर खुलापन दिखाना चाहिए जैसे पाकिस्तान ने पूरी विनम्रता से यूएई की मध्यस्थता की पेशकश को स्वीकार किया है. अब भारत और उसकी भाजपा सरकार के ऊपर है कि वो अब इन मुद्दों पर बातचीत के लिए अपने अड़ियल रवैये को छोड़ दे.'
कश्मीर मुद्दे पर एक और लेख में क्या कहा था अखबार ने?
कश्मीर मुद्दे पर ही अपने एक ऑपिनियन लेख में ट्रिब्यून ने लिखा था कि पाकिस्तान की स्थिति कश्मीर पर पहले की तरह नहीं रही बल्कि यह कमजोर हो चुकी है. अखबार ने लिखा था, 'यह बात बिना किसी संदेह के कही जानी चाहिए कि पिछले कुछ वर्षों में कश्मीर पर भारत की स्थिति पाकिस्तान की मूर्खताओं के कारण ही काफी कमजोर हुई है. एक समय था जब भारत ने आधिकारिक रूप से स्वीकार किया था कि कश्मीर एक विवादित क्षेत्र है और इसका समाधान किया जाना चाहिए. लेकिन अब भारत इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी नहीं करता.'
लेख में आगे लिखा था, 'हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब भारत आर्थिक विकास कर रहा था तब पाकिस्तान एक के बाद एक संकटों से जूझ रहा था. यह बात बहुत से लोगों को खटक सकती है लेकिन पाकिस्तान को फिलहाल कश्मीर पर चर्चा छोड़ अपने देश को संभालना होगा.'
इससे पहले भी अखबार ने एक ऑपिनियन लेख प्रकाशित किया था जिसमें पीएम मोदी की तारीफ की गई थी. अखबार ने लिखा था कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत का कद विश्व पटल पर ऊंचा हुआ है. आर्थिक रूप से बदहाल पाकिस्तान जहां एक तरफ दूसरे देशों पर निर्भर हो गया है वहीं भारत की अर्थव्यवस्था तीन ट्रिलियन डॉलर की हो गई है. पीएम मोदी को भले ही पाकिस्तान में नफरत की नजर से देखा जाए लेकिन उन्होंने भारत को एक ब्रांड बना दिया है.