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पाकिस्तान ने फिर दिखाई झूठी अकड़, ठुकराया भारत का ये ऑफर

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(एनएसए) डॉ मोईद यूसुफ ने कहा है कि वे भारत द्वारा आयोजित सम्मेलन में भाग लेने के लिए नई दिल्ली की यात्रा नहीं करेंगे. बता दें कि 10 नवंबर को नई दिल्ली में अफगानिस्तान को लेकर भारत एक सम्मेलन का आयोजन करेगा. मोईद युसूफ से जब इस बारे में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान सवाल पूछा गया तो उन्होंने भारत पर तंज कसते हुए कहा कि कोई 'बिगाड़ने वाला' 'शांतिदूत' की भूमिका नहीं निभा सकता है.

इमरान खान फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स इमरान खान फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:42 PM IST
  • पाकिस्तान के एनएसए ने भारत का निमंत्रण ठुकराया
  • पाकिस्तान ने अपने सम्मेलन में भारत को नहीं दिया था निमंत्रण

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(एनएसए) डॉ मोईद यूसुफ ने कहा है कि वे भारत द्वारा आयोजित सम्मेलन में भाग लेने के लिए नई दिल्ली की यात्रा नहीं करेंगे. बता दें कि 10 नवंबर को नई दिल्ली में अफगानिस्तान को लेकर भारत एक सम्मेलन का आयोजन करेगा. मोईद युसूफ से जब इस बारे में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान सवाल पूछा गया तो उन्होंने भारत पर तंज कसते हुए कहा कि कोई 'बिगाड़ने वाला' 'शांतिदूत' की भूमिका नहीं निभा सकता है. 

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भारत के निमंत्रण को पाकिस्तान ने अस्वीकारा

रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस, चीन, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान, भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) द्वारा आयोजित सम्मेलन में शामिल होंगे. पाकिस्तान ने सितंबर में और अक्टूबर में ईरान ने भी एक ऐसा ही सम्मेलन आयोजित किया था. हालांकि, भारत को इस सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया था. लेकिन भारत ने अपने क्षेत्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए मोईद को भी निमंत्रण दिया था. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी इसकी पुष्टि की थी.

इससे पहले एक समाचार ब्रीफिंग में, पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता असीम इफ्तिखार ने कहा था कि भारत नई दिल्ली में आगामी सम्मेलन के जरिए अफगानिस्तान में अपनी प्रासंगिकता तलाशने की कोशिश कर रहा है. 

मोईद ने कहा कि पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान का अफगानिस्तान को लेकर एक ही नजरिया है. उन्होंने कहा कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में मानवीय संकट को टालने के लिए तालिबान शासन के साथ रचनात्मक जुड़ाव की जरूरत है. काबुल के साथ अगर दुनिया जुड़ने में नाकाम रहती है तो इसके परिणास्वरूप गंभीर मानवीय संकट पैदा हो सकते हैं. 

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मोईद के अनुसार, पिछले चार दशकों से अफगानिस्तान में चल रहे युद्ध ने पाकिस्तान को भी सीधा नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में युद्ध के चलते पाकिस्तान के 80,000 लोगों की जानें गई हैं. इसके अलावा पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को 150 बिलियन डॉलर्स का नुकसान हुआ है. अफगानिस्तान के गृहयुद्ध ने पाकिस्तान को बुरी तरह प्रभावित किया है. ये पाकिस्तान के लिए राजनीतिक मामला नहीं है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवीय चिंता का मुद्दा है. पाकिस्तान के लिए अफगानिस्तान के साथ जुड़ने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. पाकिस्तान चाहता है कि काबुल में तालिबान शासन का समर्थन किया जाए ताकि आम अफगानियों को सुविधा हो सके. 

'भारत का व्यवहार पहुंचा रहा क्षेत्रीय एकता को नुकसान'

मोईद ने कहा कि पाकिस्तान भू-आर्थिक विजन पर केंद्रित है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पहले सेंट्रल एशियाई देशों के साथ जुड़ने में असमर्थ था लेकिन ये देश खासतौर पर उज्बेकिस्तान, पाकिस्तान के विजन को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण साझेदार है. उन्होंने आगे कहा कि सेंट्रल एशिया पाकिस्तान के लिए प्राथमिकता है. पाकिस्तान सेंटर एशियाई देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों के माध्यम से जुड़ेगा. मोईद ने आगे कहा कि इस क्षेत्र को भारत के व्यवहार के बारे में चिंतित होना चाहिए क्योंकि भारत का व्यवहार क्षेत्रीय एकता को नुकसान पहुंचा सकता है. 

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