
साल भर हमनें पाकिस्तान की कंगाली और तंगहाली की खबरें देखी-सुनी. पाकिस्तान के पास अपनी जनता को खिलाने के लिए आटा तक नहीं था, अंडे, दूध और आलू-प्याज कीरोजमर्रा जैसी जरूरतें के लिए भी पाकिस्तानी घंटों कतार में दिखे. महीनों से पाकिस्तान के सरकारी खजाने में डॉलर के कुछ ही रोकड़े बचे हैं. पाकिस्तान महज एक या दो बिलियन डॉलर कर्ज के लिए कई हफ्तों से वर्ल्ड बैंक की चिरौरी कर रहा है, लेकिन वर्ल्ड बैंक को कोई उम्मीद नहीं नजर आती और अपनी अंटी ढीला करने को तैयार ही नहीं है.
लेकिन मुफलिसी के इस दौर में सोमवार को आया एक डाटा सबको हैरान कर गया. दुनिया के ताकतवर मुल्कों के परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाली संस्था द स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान ने पिछले एक साल में यानी कि 2022 से 23 के बीच भारत से ज्यादा परमाणु हथियार अपने जखीरे में जमा कर लिए.
भारत से ज्यादा एटम बम पाकिस्तान के पास!
पाई-पाई डॉलर के लिए जूझ रहे पाकिस्तान से जुड़ी ये खबर निश्चित रूप से चौंकाने वाली है. SIPRI ने कहा है कि 2022 में पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार थे. 2023 में पाकिस्तान ने इसे बढ़ाकर 170 कर लिया है. यानी कि एक साल में पाकिस्तान ने 5 नए परमाणु हथियार बना लिए हैं. अगर भारत की बात करें तो SIPRI का दावा है कि 2022 में भारत के पास 160 न्यूक्लियर वेपन थे. एक साल में भारत ने अपने परमाणु हथियारों में 4 का इजाफा किया और अब भारत के न्यूक्लियर पोटली में 164 परमाणिक अस्त्र-शस्त्र हैं.
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यानी कि पाकिस्तान ने एक साल में भारत से एक परमाणु ज्यादा विकसित किया है. वैसे SIPRI के डाटा बताते हैं कि साल 2022 में भी पाकिस्तान के पास भारत से ज्यादा न्यू्क्लियर वेपन है. तब पाकिस्तान के पास भारत से 5 ज्यादा एटम बम थे. 2023 में पाकिस्तान के पास भारत से 6 ज्यादा परमाणु बम हैं.
जुल्फिकार का घास खाने वाला बयान याद है
निश्चित रूप से पाकिस्तान की खस्ता हालत देखकर इन आंकड़ों ने रक्षा विशेषज्ञों से लेकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकरों को हैरान किया है. आखिर कंगाल पाकिस्तान भारत से ज्यादा परमाणु बम कैसे बना लेता है? इस सवाल का जवाब है- परमाणु बमों की रेस में भारत से आगे निकलने की पाकिस्तान की मानसिकता. इसके लिए पाकिस्तान अपनी आवाम पेट काटने को भी तैयार दिखता है.
एटम बमों की रेस को समझने के लिए हमें इतिहास में जाना पड़ेगा. 1971 के युद्ध में भारत से हारने के बाद पाकिस्तान बुरी तरह बौखलाया हुआ था. इसी दौरान मुल्क के जख्म को सहलाने के लिए तत्कालीन पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो ने पाकिस्तान को एटमी पावर बनाने का पासा फेंका था. तब उन्होंने कहा था कि भले ही हमें घास खाना पड़े, हमें भूखा रहना पड़े लेकिन हम परमाणु बम जरूर बनाएंगे. जुल्फिकार की ये भविष्यवाणी लगभग 50 सालों के बाद सच साबित हो गई है.
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आटे-चावल का पैसा बम पर खर्च करता है पाकिस्तान
भारत से सैन्य क्षेत्र में रेस और इस्लामी मुल्कों का चौधरी बनने के फेर में पाकिस्तान ने हमेशा से अपनी प्राथमिकताएं गलत रखी. खाने से ज्यादा मिसाइल पर खर्च किया, इलाज से ज्यादा डॉलर बमों और रॉकेट पर बहाये. इसी का नतीजा है कि पाकिस्तान की जनता आज अनाज के लिए लाइनों में खड़ी है.
अगर आंकड़े में देखें तो 9 जून को पाकिस्तान में पेश बजट (2023-24) में पिछले साल के मुकाबले भारी भरकम 15.5 फीसद की बढ़ोतरी की गई है. अब पाकिस्तान का रक्षा बजट 1.80 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपया है. 2022-23 में पाकिस्तान का रक्षा बजट 1.57 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपया था, बाद में इसे बढ़ाकर 1.59 ट्रिलियन रुपया किया गया.
पाकिस्तान सरकार से सालाना खर्चे में रक्षा मद दूसरा सबसे बड़ा खर्चा है. पाकिस्तान अपने बजट का सबसे बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने पर खर्च करता है.
बता दें कि 2023-23 में भारत ने अपने रक्षा बजट में 12.95 फीसद की बढोतरी की थी. हालांकि भारत और पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति, बैलेंस ऑफ पेमेंट और विदेशी मुद्रा भंडार में काफी अंतर है. इसके बावजूद प्रतिशत के हिसाब से भारत का डिफेंस बजट हाइक पाकिस्तान से कम है.
अगर पाकिस्तान के दो मुख्य फसलों की बात करें तो गेहूं का कृषि क्षेत्र के कुल उत्पादन में 8.2 प्रतिशत योगदान है. वही पाकिस्तान की जीडीपी में गेहूं का योगदान 1.9 प्रतिशत है. बावजूद इसके वहां की सरकार गेहूं की उपज बढ़ाने में तुलनात्मक रूप से कापी कम खर्च करती है.
चावल की बात करें तो कृषि क्षेत्र के कुल उत्पादन में इसका योगदान 1.09 फीसदी है. जबकि जीडीपी में इसका योगदान 0.4 फीसदी है. चावल का उत्पादन तो इस बार पाकिस्तान में कम हुआ है.
क्या न्यूक्लियर प्रोग्राम पर पैसे कम खर्च करेगी पाक सरकार
इसी मार्च में जब पाकिस्तान के वित्त मंत्री से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान की सरकार अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम में बजट की कटौती कर सकती है. इसके जवाब में वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा कि सरकार न्यूक्लियर और मिसाइल प्रोग्राम के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करेगी. पाकिस्तान की संसद को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा, "मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि कोई भी पाकिस्तान के परमाणु या मिसाइल कार्यक्रम पर कोई समझौता नहीं करने जा रहा है- बिल्कुल भी नहीं."
इशाक डार ने परमाणु बमों पर पाकिस्तान के पुराने अहमकाने को दोहराते हुए कहा, "किसी को भी पाकिस्तान को यह बताने का कोई अधिकार नहीं है कि हमारे पास कितनी रेंज की मिसाइलें हो सकती हैं और कितने परमाणु हथियार हो सकते हैं. हमें अपना डेटरेंस खुद तैयार रखना होगा. हम पाकिस्तान के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और हमें अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी चाहिए."
बता दें कि पाकिस्तान कई महीनों से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से अपने कर्जे चुकाने के लिए नए कर्जे की मांग कर रहा है. लेकिन पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और इसके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए IMF पाकिस्तान को ऐसे किसी भी लोन देने से इनकार करता आ रहा है.