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पाकिस्तान में न्यायपालिका और सरकार आमने-सामने! सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद ने किया खारिज

पाकिस्तान की संसद ने पंजाब विधानसभा चुनाव में देरी संबंधी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया. इस कदम के बाद देश की न्यायपालिका और सरकार के बीच विवाद और गहराने की पूरी संभावना है.

पाकिस्तान में सरकार और सुप्रीम कोर्ट आए आमने-सामने (प्रतीकात्मक तस्वीर) पाकिस्तान में सरकार और सुप्रीम कोर्ट आए आमने-सामने (प्रतीकात्मक तस्वीर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 11:50 AM IST

पाकिस्तान में न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव के बाद देश में मार्शल लॉ लगने की संभावना बढ़ गई है. शहबाज शरीफ सरकार ने कोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए ऐसा कदम उठाया है, जिससे संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है. दरअसल पंजाब विधानसभा चुनाव में देरी संबंधी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मतदान के लिए 14 मई की तारीख तय की थी. कोर्ट के इस फैसले को अब संसद ने प्रस्ताव पारित कर खारिज कर दिया है. 

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मुख्य न्यायाधीश उमर अता बांदियाल की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को पंजाब विधानसभा के लिए चुनाव की नई तारीख 14 मई तय की. कोर्ट ने पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) के चुनाव की तारीख को 10 अप्रैल से बढ़ाकर 8 अक्टूबर करने के फैसले को रद्द कर दिया था. गुरुवार को ही सरकार में शामिल पीपीपी के बिलावल भुट्टो ने ये अंदेशा जताते हुए कहा कि देश में मॉर्शल लॉ लग सकता है.

सरकार लाई फैसले खिलाफ प्रस्ताव

गठबंधन सरकार ने फैसले पर कड़ी नाराजगी जताते हुए इसे खारिज कर दिया था. इसके बाद नेशनल असेंबली (संसद) यानि निचले सदन ने शीर्ष अदालत के फैसले को खारिज करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया. इस प्रस्ताव को बलूचिस्तान अवामी पार्टी के सांसद खालिद मागसी द्वारा पेश किया गया था जो सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हैं.प्रस्ताव को निचले सदन ने पारित कर दिया. प्रस्ताव में प्रधानमंत्री और संघीय कैबिनेट से इस फैसले (सुप्रीम कोर्ट के फैसले) को लागू नहीं करने का आह्वान किया गया है और कहा गया है कि यह संविधान के खिलाफ है.

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शहबाज बोले- यह कानून का मजाक

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक के दौरान अदालत के फैसले को ‘संविधान और कानून का मजाक’ बताते हुए कहा गया कि इसे लागू नहीं किया जा सकता है. बैठक में कहा गया कि राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता के लिए कानून और संविधान में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार कदम उठाए जाने चाहिए. सदन ने कोर्ट के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि 'अल्पसंख्यक' के निर्णय देश में अराजकता पैदा कर रहे हैं और संघीय इकाइयों में विभाजन का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं.

विवाद की वजह 

दरअसल पाकिस्तान की पंजाब प्रांत की विधानसभा को इसी साल 13 जनवरी को भंग कर दिया गया था. संविधान के अनुसार विधानसभा भंग होने की तारीख के 90 दिनों के भीतर चुनाव कराना जरूरी है. सरकार का दावा है कि उसके पास चुनावों में देरी करने और अगस्त के बाद देश में आम चुनाव कराने का अधिकार है. पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) ने इससे पहले 22 मार्च को कहा था कि देश नकदी की कमी से जूझ रहा है. देश में सुरक्षा की बिगड़ती स्थिति है. ऐसे में पंजाब  प्रांत में इस समय विधानसभा चुनाव नहीं कराए जा सकते. तब आयोग ने आठ अक्तूबर को मतदान की नई तारीख का एलान करने की बात कही थी.हालांकि उससे पहले आयोग ने  30 अप्रैल से 8 अक्टूबर के बीच मतदान कराने का फैसला लिया था. 

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इमरान की मांग

वहीं इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) समय से पहले चुनाव कराने पर जोर दे रही है और मांग कर रही है कि पंजाब चुनाव में देरी करने के बजाय संसद को भंग कर दिया जाना चाहिए और देश में आम चुनाव कराए जाने चाहिए।

 

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