
मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में बाद जारी घोषणापत्र में भारत ने चीन के प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का समर्थन करने वाले पैराग्राफ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. इसके बाद अब पाकिस्तान ने भारत से कहा है कि वो BRI के तहत आने वाले चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के रास्ते का रोड़ा न बने. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को भारत से आग्रह किया कि CPEC के रास्ते का रोड़ा बनने के बजाए इसका लाभ उठाए.
शहबाज शरीफ ने यह टिप्पणी CPEC प्रोजेक्ट के 10 साल पूरे होने के अवसर पर की. इस अवसर पर उन्होंने पाकिस्तान और चीन को बधाई दी और कहा कि यह प्रोजेक्ट पड़ोसी देशों ईरान, अफगानिस्तान, मध्य एशिया और पूरे क्षेत्र के लिए भी फायदेमंद साबित होगा.
पाकिस्तानी पीएम ने कहा कि पाकिस्तान और चीन भाई हैं और CPEC रणनीतिक साझेदारी में एक नया अध्याय है. उन्होंने कहा कि BRI प्रोजेक्ट चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शांति, मित्रता, आर्थिक साझेदारी और सह-अस्तित्व के सोच की एक अभिव्यक्ति है. शरीफ ने कहा कि CPEC पाकिस्तान के लोगों के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग का उपहार है.
'हमारे दुश्मन नहीं चाहते कि हम गरीबी से निकले', शरीफ
पाकिस्तानी अखबार, द एक्प्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, शहबाज शरीफ ने इस बात पर अफसोस जताया कि CPEC का काम चार सालों तक बाधित रहा और 'हमारे महान मित्र चीन पर बेबुनियाद आरोप लगाए गए.'
पाकिस्तानी पीएम ने भारत पर निशाना साधते हुए कहा, 'CPEC के दुश्मन पाकिस्तान और क्षेत्र में विकास, शांति और समृद्धि के दुश्मन हैं और वे नहीं चाहते कि हमारे लोगों को गरीबी से छुटकारा मिले. हम सीपीईसी की गति तेज कर रहे हैं, जो गरीबी, बेरोजगारी और आर्थिक मंदी को खत्म करने के लिए एक गेम-चेंजर प्रोजेक्ट है.'
उन्होंने कहा कि CPEC महज सड़क, रेल, बंदरगाह और हवाई मार्गों में सुधार वाली परियोजना नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास और विकास प्रक्रिया में साझेदारी की भी एक बेहतरीन योजना है.
उन्होंने कहा, 'यह वैश्वीकरण के वर्तमान युग में आर्थिक क्षेत्रीयकरण का एक गेम-चेंजर प्रोजेक्ट है. CPEC पाकिस्तानियों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने और उन्हें गरीबी से बाहर निकालकर शांति का माहौल प्रदान करने की भी एक यात्रा है.'
शरीफ ने कहा कि CPEC पाकिस्तान और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और आपसी साझेदारी के एक नए युग की शुरुआत का एक जरिया है जिसमें जल आपूर्ति से लेकर शिक्षा, तकनीकी प्रशिक्षण और कौशल विकास जैसी परियोजनाएं भी शामिल हैं.
भारत ने BRI को समर्थन देने से कर दिया है इनकार
भारत की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन के अंत में जारी घोषणापत्र (New Delhi declaration) में भारत ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI Project) का समर्थन करने वाले पैराग्राफ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया.
साल 2022 में भी भारत ने समरकंद घोषणा चीनी प्रोजेक्ट का समर्थन करने से इनकार कर दिया था.
2023 के एससीओ घोषणापत्र में बीआरआई को लेकर एक पैराग्राफ में लिखा है, 'चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान अपने समर्थन की पुष्टि करते हैं. ये देश परियोजना को संयुक्त रूप से लागू करने के लिए चल रहे काम का समर्थन करते हैं, जिसमें यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (बेलारूस, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान का आर्थिक संघ) और बीआरआई को जोड़ने के प्रयास भी शामिल हैं.'
CPEC हमारी क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता है- भारत
भारत हमेशा से चीन के BRI प्रोजेक्ट का विरोध करता रहा है. इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन मध्य-पूर्व, अफ्रीका और यूरोप से जमीन और समुद्र के जरिए संपर्क बढ़ाने के लिए कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है. इसे आज के समय का सिल्क रोड भी कहा जाता है.
चीन इसी प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान में चाइना-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर पर काम कर रहा है जिसे लेकर भारत का कहना है कि यह भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन करता है.
CPEC के तहत चीन ने पाकिस्तान में 62 अरब डॉलर का निवेश किया है और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है.