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पाकिस्तान को मदद देने से पहले घुटनों पर ले आया IMF, पीएम शहबाज शरीफ का छलका दर्द

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का कहना है कि IMF की शर्तों को मानने के लिए उनका देश जिन चुनौतियों से गुजर रहा है, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. वहीं, पाकिस्तान के आर्थिक जानकारों का कहना है कि IMF का बेलआउट पैकेज देश के हर मर्ज की दवा नहीं है बल्कि सरकार को और अधिक सुधार करने होंगे.

फोटो- पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ फोटो- पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:55 PM IST

पाकिस्तान के पास डिफॉल्ट होने से बचने के लिए अब बस एक ही रास्ता बचा है और वह है-  अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मदद. पाकिस्तान आईएमएफ से बेलआउट पैकेज पर बात कर रहा है लेकिन इसकी कठिन शर्तों ने पाकिस्तान की हालत खराब कर दी है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को कहा है कि IMF की शर्तों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान जिन आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, वो कल्पना से परे है. उन्होंने कहा कि इस वक्त देश के वित्त मंत्री इशाक डार और उनकी टीम जिस मुश्किल से गुजर रहे हैं, उसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता.

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IMF की एक टीम इस हफ्ते मंगलवार को पाकिस्तान पहुंची जो पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर के लोन प्रोग्राम में शामिल करने के लिए नौंवी समीक्षा बैठक कर रही है. टीम 9 फरवरी तक पाकिस्तान के वित्त मंत्री और उनकी टीम से प्रोग्राम की शर्तों को लागू करवाने पर बात करेगी. IMF की कुछ शर्तों को लागू करने के बाद पाकिस्तान में महंगाई और बढ़ी है और रुपया ऐतिहासिक रूप से लुढ़का है. पाकिस्तान में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत को 16% बढ़ा दिया गया है और खाना पकाने वाले गैस की कीमतों में 30% की बढ़ोतरी की गई है.

IMF की शर्तों को लेकर शहबाज शरीफ बेहद चिंतित दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने कहा है कि देश के पास IMF बेलआउट पैकेज को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था इसलिए वो इस प्रोग्राम को मंजूरी देने की प्रक्रिया अपना रहे हैं. अगर देश IMF प्रोग्राम को नहीं अपनाएगा तो डिफॉल्ट हो जाएगा.

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उन्होंने अपनी हालत बयां करते हुए शुक्रवार को कहा, 'इस समय हमारी आर्थिक चुनौती अकल्पनीय है. IMF की समीक्षा पूरी करने के लिए हमें जिन शर्तों को पूरा करना है, वे कल्पना से परे हैं.'

पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सालों के निचले स्तर पर

पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से खत्म हो रहा है. पाकिस्तान ने हाल ही में विदेशी कर्ज की किस्त चुकाई है जिस कारण देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 3.09 अरब डॉलर रह गया है. इतने पैसे में पाकिस्तान बस 18 दिनों तक ही आयात कर पाएगा.

पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 2014 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर है. पाकिस्तान ने अगर जल्द ही IMF की सभी शर्तों को मानकर उसके बेलआउट पैकेज को हासिल नहीं किया तो वह डिफॉल्ट हो जाएगा.

'IMF बेलआउट पैकेज कोई रामबाण नहीं'

पाकिस्तान के विशेषज्ञों का कहना है कि IMF का पैकेज भले ही पाकिस्तान को अभी के लिए डिफॉल्ट होने से बचा ले लेकिन यह पाकिस्तान की सभी समस्याओं का इलाज नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि IMF का पैकेज कोई रामबाण नहीं है जिससे पाकिस्तान की सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी बल्कि पाकिस्तान की बीमार अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए और अधिक मजबूत सुधारों की जरूरत है.

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पाकिस्तान के अखबार, डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) के पूर्व कार्यवाहक गवर्नर मुर्तजा सैयद ने कहा कि IMF टीम के पाकिस्तान आने से उम्मीद जागी है कि पाकिस्तान डिफॉल्ट को टालने में कामयाब हो जाएगा.

खराब आर्थिक नीतियों के कारण पाकिस्तान की हुई ऐसी हालत

गवर्नर मुर्तजा सैयद ने कहा कि मार्च 2021 में पाकिस्तान अपने प्रयासों से IMF के लोन प्रोग्राम को फिर से शुरू कर में सफल रहा था. उसने कोविड-19 महामारी को जिस तरीके से हैंडल किया, इसके लिए उसकी प्रशंसा भी हुई.

उन्होंने पाकिस्तान के एक अखबार में लिखे गए अपने लेख में लिखा, 'उस दौरान विकास में जोरदार तेजी आई थी और सरकारी कर्ज जीडीपी के 6.5 तक कम हो गया था. चालू खाता संतुलित था और विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 50 फीसद बढ़कर 17 अरब डॉलर हो गया था.'

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ठीक स्थिति में था लेकिन पाकिस्तान का विकास मॉडल उपभोग और आयात का बना रहा. पाकिस्तान के निर्यात और कर का उसके सकल घरेलू उत्पाद में बेहद मामूली हिस्सा बना रहा जिस कारण पाकिस्तान गरीब होता चला गया.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की असल परेशानी 2022 में शुरू हुई जब सरकार ने एक बहुत बड़ा बजट पेश किया. पाकिस्तान की सरकार को विश्वास था कि यह बजट उसकी सभी समस्याओं को हल करेगा लेकिन दांव उल्टा पड़ गया.

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उन्होंने कहा कि पिछले साल की शुरुआत में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार काफी अच्छी स्थिति में था और उस दौरान वो IMF के बेलआउट पैकेज के लिए कोशिश तेज करता तो ऐसी खराब स्थिति नहीं आती. उसे IMF से कर्ज के लिए पापड़ न बेलने पड़ते.

IMF को अपने कर्ज देने के ढांचे में सुधार की जरूरत

SBP के पूर्व गवर्नर रजा बाकिर ने कहा कि आईएमएफ जैसे वैश्विक कर्जदाताओं को उभरती अर्थव्यवस्थाओं को कर्ज के संकट से बाहर निकालने में मदद करने के लिए अपने ढांचे में सुधार करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि गंभीर आर्थिक संकट झेल रहा श्रीलंका भी आर्थिक पैकेज के लिए लंबे समय तक इंतजार करता रहा. उन्होंने सीएनबीसी से बातचीत में कहा कहा कि पाकिस्तान जैसे उभरते बाजारों के लिए वैश्विक निवेश का नजरिया पिछले दो सालों में बहुत तेजी से बिगड़ा है. इसका सबसे प्रमुख कारण सरकारी कर्ज का बढ़ जाना है.

इस तरह संकट से निकल सकता है पाकिस्तान

पाकिस्तान के फेडरल बॉर्ड ऑफ रेवेन्यू के पूर्व अध्यक्ष शब्बर जैदी ने कहा कि पाकिस्तान के अर्थव्यवस्था की रीढ़ टूट चुकी है. ट्विटर पर उन्होंने कई ट्वीट कर बताया है कि पाकिस्तान इन उपायों के जरिए इस मुश्किल से निकल सकता है.

उन्होंने सुझाव दिया कि पाकिस्तान इस स्थिति से निकलने के लिए 15 सालों का वित्तीय आपातकाल घोषित कर दे. इस दौरान पाकिस्तान देश और गरीबों के कल्याण के लिए योजनाएं तैयार करे. उन्होंने चीन, तुर्की, श्रीलंका, इंडोनेशिया, मलेशिया और अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों को रद्द करने  का भी आह्वान किया.

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उन्होंने खुदरा विक्रेताओं और थोक विक्रेताओं को टैक्स के दायरे में लाने और प्रत्येक घर और जमीन के स्वामित्व की पहचान करने का सुझाव दिया. कृषि सुधारों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'कृषि भूमि के सभी पट्टों को सरकार वापस ले. कृषि में पट्टा प्रणाली को खत्म करे. भारत के साथ खुला व्यापार शुरू करे. तुर्कमेनिस्तान-अफगान-पाकिस्तान-भारत गैस पाइपलाइन पर काम शुरू करें.' 

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