
क्या पाकिस्तान में इमरान खान की कुर्सी सेना की वजह से गई? ऐसा इसलिए क्योंकि इमरान की सरकार में गृह मंत्री रहे शेख रशीद ने इमरान और सेना के बीच तनाव की बात मानी है. रशीद ने ये भी कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) को नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) से कुछ सीखना चाहिए, जो सेना की आलोचना भी करती है, लेकिन सत्ता में आने के लिए शांति भी बनाए रखती है. उन्होंने ये भी माना है कि PTI और सेना के बीच कुछ 'गलतफहमियां' थीं.
शेख रशीद आवामी मुस्लिम लीग (AML) के प्रमुख हैं और इमरान खान के समर्थक हैं. इमरान सरकार में शेख रशीद गृह मंत्री थे. पिछले हफ्ते पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास होने के बाद सोशल मीडिया पर सेना की आलोचना हुई थी. रशीद का कहना है कि सेना की आलोचना नहीं की जानी चाहिए थी.
शेख रशीद ने इमरान को नसीहत देते हुए कहा, जो लोग (PML-N) आर्मी को कोसते थे, अगर वो आर्मी से शांति बना सकते हैं, तो हमें भी सारी गलतफहमियों को दूर करना चाहिए और आर्मी से अच्छे रिश्ते बनाने चाहिए. उन्होंने कहा कि PML-N के नेता खुलेआम आर्मी की आलोचना करते थे, लेकिन अब वो उनके जूते पॉलिश कर रहे हैं.
हालांकि, पाकिस्तान के इस पूरे सियासी संकट से आर्मी ने दूरी बनाए रखी. आर्मी का कहना था कि उनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन ये भी सच है कि पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में 35 साल आर्मी ने ही राज किया है.
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ऐसे बिगड़ते चले गए इमरान और आर्मी चीफ बाजवा के रिश्ते!
- पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा के रिश्ते बिगड़ गए थे. दोनों के बीच रिश्ते अक्टूबर 2021 में ISI चीफ फैज हमीद के ट्रांसफर को लेकर बिगड़ने शुरू हुए.
- हुआ ये था कि अक्टूबर 2021 में पाकिस्तानी आर्मी का कम्युनिकेशन संभालने वाली इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशन (ISPR) ने तब के ISI चीफ फैज हमीद का ट्रांसफर कर पेशावर का कोर कमांडर बना दिया. फैज हमीद इमरान खान के करीबियों में से थे. बताया जाता है कि हमीद का ट्रांसफर करने से पहले इमरान से आर्मी ने सलाह नहीं ली थी.
- नवंबर 2019 में इमरान ने आर्मी चीफ बाजवा का कार्यकाल 3 साल के लिए बढ़ा दिया था. लेकिन ऐसी खबरें थीं कि अब इमरान बाजवा को हटाकर फैज हमीद को सेना की कमान सौंपने का मूड बना रहे हैं. आर्मी को ये नामंजूर था.
इमरान ने की इंडियन आर्मी की तारीफ
- ये रिश्ते तब और बिगड़ गए, जब इसी साल इमरान ने विपक्ष और सेना के बीच डील होने का आरोप लगाया. सियासी संकट पर आर्मी के न्यूट्रल रहने पर भी इमरान ने नाराजगी जताई. बात तब और बिगड़ गई, जब इमरान ने भारतीय सेना की तारीफ करते हुए कहा कि वहां की सेना कभी चुनी हुई सरकार में दखल नहीं देती.
सेना ने तीन बार किया तख्तापलट
पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में कोई भी प्रधानमंत्री 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है. पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान 4 साल 2 महीने तक पद पर रहे थे. लियाकत अभी तक इकलौते प्रधानमंत्री हैं, जो सबसे लंबे समय तक इस पद पर रहे. 16 अक्टूबर 1951 को रावलपिंडी में उनकी हत्या कर दी गई थी. पाकिस्तान की सियासत में आर्मी का बड़ा रोल रहा है. वहां करीब 35 साल तक सेना ने ही राज किया है. तीन बार सेना चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर चुकी है.
- पहली बारः पाकिस्तान में पहली बार फिरोज खान नून की सरकार का तख्तापलट हुआ. फिरोज खान 16 दिसंबर 1957 से 7 अक्टूबर 1958 तक प्रधानमंत्री थे. उस समय के आर्मी चीफ अयूब खान ने उनकी सरकार का तख्तापलट कर दिया और मार्शल लॉ लागू कर दिया.
- दूसरी बारः 1971 की जंग के बाद 1973 में पाकिस्तान का नया संविधान बना. 14 अगस्त को जुल्फिकार अली भुट्टो प्रधानमंत्री बने, लेकिन 1977 में आर्मी ने उनका तख्तापलट कर दिया. जनरल जिया उल-हक ने भुट्टो को जेल में डाल दिया. हत्या के एक केस में भुट्टो को फांसी की सजा सुनाई गई. 4 अप्रैल 1979 को भुट्टो को फांसी दे दी गई.
- तीसरी बारः 12 अक्टूबर 1999 को पाकिस्तानी सेना के तब के चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ की सरकार का तख्तापलट कर दिया. नवाज शरीफ को जेल में डाल दिया गया. मुशर्रफ पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए. इस पर मुशर्रफ अगस्त 2008 तक रहे. बाद में मुशर्रफ को देशद्रोह के मामले में दोषी पाया गया और फांसी की सजा सुनाई गई. फिलहाल मुशर्रफ दुबई में हैं.