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UN में PM मोदी के संबोधन से पहले कश्मीर पर नई रणनीति बना रहा है पाकिस्तान

इमरान खान की विशेष सहायक फिरदौस आशिक अवान ने कहा कि कैबिनेट मीटिंग में पाक पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि कश्मीर पाकिस्तान की रक्षा की पहली पंक्ति है. उन्होंने कहा कि वह 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी के भाषण से पहले कश्मीर को मुद्दा बनाना चाहते हैं.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 8:49 AM IST

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि कश्मीर पाक के लिए रक्षा की पहली पंक्ति (first line of defence) है.  इमरान की कैबिनेट ने मंगलवार को फैसला किया कि वह संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में पीएम मोदी के संबोधन से पहले कश्मीर के हालात को मुद्दा बनाएंगे. मंगलवार को इमरान खान के नेतृत्व में हुई कैबिनेट मीटिंग में ये फैसला लिया गया है.

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इमरान खान की विशेष सहायक फिरदौस आशिक अवान ने कहा कि कैबिनेट मीटिंग में पाक पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि कश्मीर पाकिस्तान की रक्षा की पहली पंक्ति है. उन्होंने कहा कि वह 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी के भाषण से पहले कश्मीर को मुद्दा बनाना चाहते हैं.

जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और ज्यादा बढ़ गया है. वहीं जम्मू और कश्मीर से लद्दाख को अलग करने पर भी पाकिस्तान ने कड़ा विरोध जताया था.

भारत इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर कहा चुका है कि जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना हमारा आंतरिक मसला है और इसके साथ पाकिस्तान को भी इस सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए.

फिरदौस आशिक अवान ने कहा कि भारत ने कश्मीर से कर्फ्यू हटाने से इनकार कर दिया है. पाकिस्तान इसे अंतरराष्ट्रीय मंच तक ले जाने में कोई संकोच नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि इसके साथ इमरान खान ने कैबिनेट को भी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से हुई बातचीत के बारे में बताया.

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फिरदौस आशिक अवान ने कहा कि कैबिनेट ने कानून के तहत कश्मीर मसले को यूएन में ले जाने की अनुमति दे दी है. अवान ने पाकिस्तान आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल को 3 साल बढ़ाने का भी बचाव करते हुए कहा कि वह अफगान शांति प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे थे. अवान ने कहा कि यह प्रधानमंत्री इमरान खान का एक सही कदम है क्योंकि हमें क्षेत्रीय नीतियों में निरंतरता की आवश्यकता है.

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