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मौत और हिंसा के बीच इमरान खान की पार्टी का फैसला, खत्म किया इस्लामाबाद मार्च

इस्लामाबाद में तीन दिन पहले 24 नवंबर को शुरू हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) नेतृत्व ने बुधवार को समाप्त करने का ऐलान कर दिया है. सरकार की प्रतिक्रिया और संभावित हिंसा की वजह बताते हुए पार्टी ने इस फैसले को अस्थायी बताया और कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से दिशा-निर्देश मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

इमरान खान की पार्टी ने खत्म किया प्रदर्शन (Photo: X/@GeoNews) इमरान खान की पार्टी ने खत्म किया प्रदर्शन (Photo: X/@GeoNews)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 9:34 AM IST

इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने अपना विरोध-प्रदर्शन समाप्त कर दिया है. पार्टी की तरफ से इसका ऐलान किया गया है. वे इस्लामाबाद में सड़कों पर उतरे थे और डी-चौक तक मार्च करना चाहते थे. यह विरोध-प्रदर्शन 24 नवंबर से चल रहा था. पार्टी की तरफ से यह भी कहा गया है कि आगे की कार्रवाई का ऐलान इमरान खान के मार्गदर्शन पर किया जाएगा.

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इमरान की पार्टी PTI के मीडिया सेल द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है, "सरकार की क्रूरता और निहत्थे नागरिकों के लिए संघीय राजधानी को हत्या के स्थल में बदलने की योजनाओं के मद्देनजर, हम अपने शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन को अस्थायी रूप से स्थगित कर रहे हैं."

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रेड जोन में पहुंच गए इमरान खान के समर्थक

इमरान खान पिछले साल अगस्त महीने से जेल में हैं. उनके समर्थक मंगलवार को पुलिस के साथ हुई झड़पों को बाद में इस्लामाबाद में रेड जोन (डी-चौक) के पास पहुंच गए थे, जहां संसद, पीएम-राष्ट्रपति का कार्यालय और सुप्रीम कोर्ट स्थित है. यह झड़पें तब हुईं जब प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और पुलिस से टकराव किया, जिसमें छह सुरक्षा कर्मियों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए.

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सोमवार देर रात को हुई इस झड़प में चार अर्द्धसैनिक रेंजर्स और दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा सुरक्षा कर्मी घायल हो गए थे. इसके बाद शहबाज शरीफ सरकार ने इस्लामाबाद में सेना की तैनाती की थी और शूट-एट-साइट के आदेश जारी किए थे.

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इमरान खान ने की थी प्रदर्शन की अपील

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने 13 नवंबर को देशभर में 24 नवंबर को विरोध प्रदर्शन की "आखिरी कॉल" जारी की थी. उन्होंने इसे जनादेश की चोरी, लोगों की अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी और 26वें संशोधन के पारित होने को तानाशाही शासन को मजबूती देने वाला कदम करार दिया था.

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